नीतीश कुमार की नई पहल, मगर बदलाव हमेशा खुद से होनी चाहिए

कल महात्मा गांधी जयंती है. कल के दिन ही देश के राष्ट्रपिता का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को हम राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते आये है. बीते कुछ वर्षों से इसको मोदी जी ने स्वच्छता के नाम से जोड़ दिया तब से गांधी जी को कम और मोदी जी को ज्यादा याद किया जाने लगा है. हर गली हर चौराहे में लोग भले ही सफाई करें  या ना करें मगर झाड़ू के साथ सेल्फी खींचवाते हैं और उसको शोसल मिडिया में डालते नजर जरूर आ जायेंगे.
अब श्री नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री बिहार ने बापू के के जन्मदिन को कुछ दूसरे तरह से मनाये जाने का फैसला किया है. सुनने में आ रहा है कि कल से नीतीश कुमार अपने अगुआई में बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ अभियान शुरू करने जा रहे है.
पटना के गांधी मैदान के पास सम्राट कन्वेंशन सेंटर में बापू सभागार का उद्घाटन बापू जयंती के अवसर पर किया जायेगा. यह अभी तक का यह सबसे बड़ा सभागार होगा. अब भले ही कोई यह कहे कि शराबबंदी का कोई असर नहीं हुआ तो यह झूठ होगा. हमने खुद देखा है कि कुछ परिवार शराब के कारण घरेलु हिंसा के शिकार थे.
जिसमें काफी हद तक कमी आई है. केवल यही नहीं बल्कि सड़क दुर्घटनाये भी पहले कि अपेक्षा कम दर्ज की गई है. मगर इस बात से भी कोई इंकार नहीं कर सकता कि बिहार के गली-गली में राशन व्यवस्ता की तरह शराब पहुंचने वाले भी नीतीश कुमार ही थे. खैर भूल सुधार कर लिया है. हर सिक्के के दो पहलु होते है. यह बात भी परम सत्य है कि लाख सख्ती के बावजूद बिहार में चोरी-छुपे शराब की बिक्री हो रही है. मगर यह भी सौ फीसदी सच है कि शराबबंदी से सबसे फायदा गरीब मजदूरों के परिवार को हुआ है.

अब इस नए अभियान की शुरुआत करने की तैयारी की जा रही वह सचमुच में कबीले तारीफ है. इसमें श्री नीतीश कुमार बिहार की जनता को दहेज प्रथा और बाल विवाह की प्रथा को खत्म करने की शपथ दिलवायेंगे. इसमें हमारा यही कहना है कि केवल शपथ दिलाने से नहीं बल्कि इसके खिलाफ सख्त कानून लाने की जरूरत है.

नीतीश जी ऐसा कानून बनाइये कि बिहार में किसी भी पद किसी भी कुर्सी पर कोई भी गुनहगार न बैठ पाए और अगर बैठ गया हो तो उनकी कुर्सी छीन जाये चाहे वह सीएम ही क्यों न हो. हमारा तो मानना है कि उपदेश देना बहुत आसान है, मगर खुद पर लागु करना बहुत ही कठिन इसलिए बदलाव हमेशा खुद से होनी चाहिए.

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