CTC- कॉस्ट टू कंपनी क्या है? CTC और Salary में मुख्य अंतर जानें?

किसी भी कर्मचारी के लिए Salary बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. इसके साथ ही सैलरी के साथ आने वाले Terms जैसे CTC, Gross Salary, Basic, DA etc आदि की जानकारी हर किसी को होनी चाहिए. आज इसी क्रम में हम इस पोस्ट के माध्यम से हम CTC- कॉस्ट टू कंपनी क्या है? CTC और Salary में अंतर उदाहरण सहित जानेंगे. हम इस टर्म को बहुत ही सिंपल भाषा में समझने की कोशिश करेंगे ताकि आपको इसका पूरा फायदा मिल सके.

CTC- कॉस्ट टू कंपनी क्या है?

हर साल लाखों युवा Job पाते हैं. वो विभिन्न क्षेत्रों में जुड़ने के बाद कर्मचारी बन जाते हैं. कम्पनी में काम करने के बदले हर महीने मेहनताना के तौर पर Salary यानी वेतन मिलता है. उनको अपनी नौकरी प्रोफ़ाइल और कौशल स्तरों के आधार पर अलग-अलग वेतन मिलता है. मगर हर किसी के लिए सैलरी के Basic Term को समझना बहुत ही कठिन होता है.

उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि आपका एम्प्लॉयर/कम्पनी या सीधे तौर पर मालिक कह लीजिये वह आपको इसकी सही जानकारी नहीं होने देना चाहता है. मान लीजिये कि अगर आपने अपने Salary Stracture की जानकारी अगर कहीं से कर भी ली. इसके बाद उसमे अगर गड़बड़ी या अनियमितता की जानकारी भी मिल गई. तो इसके बाद आपका सबसे पहला स्टेप होगा कि आप अपने एम्प्लॉयर से इसके बारे में बात करेंगे.

अब इसके बाद हमें नहीं लगता कि आपका एम्प्लॉयर आपकी बात से आसानी से सहमत हो जायेगा. वह आपको कन्फूज़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा. इसके बाद हम वहां काम करने वाले सहकर्मी से भी चर्चा करते हैं. जो भी आपके ऊपर अपना आधा अधूरा ज्ञान थोपेंगे और फिर समझायेंगे कि ज्यादा बोलोगे तो कम्पनी वाले नौकरी से निकाल देंगे. जिसके कारण ज्यादातर वर्कर चुप रहना ही बेहतर समझते हैं. मगर फिर भी उनकी जिज्ञासा बढ़ती जाती है.

Company का HR विभाग कर्मचारियों के हीत में

नियम के अनुसार कोई भी कम्पनी आवश्यकता अनुसार वर्करों की भर्ती करने, वर्करों से इंडस्ट्रियल सम्बन्ध स्थापित करने और उनको समय पर सैलरी व् अन्य सुविधायें प्रदान करने के लिए एचआर विभाग रखती है. जिनका काम ही कर्मचारियों और कम्पनी प्रबंधन के बीच संवाद कायम करते हुए कर्मचारी हीत की रक्षा करना, उनको उनके हक की सही जानकारी उपलब्ध करना होता है.

मगर हमें नहीं लगता कि कोई भी कम्पनी का एचआर विभाग कर्मचारियों के हीत में काम करता होगा. अगर आपके नजर में कोई ऐसी कम्पनी हो तो कमेंट बॉक्स के लिखकर जरूर बताइयेगा.

CTC full form in salary in hindi – सी.टी.सी का पूरा नाम क्या है?

सी.टी.सी का पूरा नाम “कॉस्ट टू कंपनी” हैं. जिसका मतलब कम्पनी को एक कर्मचारी रखने पर पूरा खर्चा. हमने देखा है कि कंपनियों के एचआर विभाग में ज्यादातर चापलूस किस्म या कंपनी प्रशासन के पिट्ठू अधिकारी रखे जाते हैं. ऐसा वो इसलिए करते हैं ताकि ऐसे लोगों को आगे करके वो वर्करों के ऊपर शोषण कर सकें.

अब ऐसे में हमें नहीं लगता कि वर्कर को पता चल पायेगा कि उनको उनकी योग्यता के हिसाब से सैलरी मिल रही या नहीं. हम अपने आने वाले हर आर्टिकल के माध्यम से आपके पूछे गए सवालों के माध्यम से यथासंभव जानकारी उपलब्ध कराने की कोशिश करेगें. इस पोस्ट में सबसे पहले कॉस्ट टू कंपनी (सीटीसी) के बारे में जान लेते हैं.

What is CTC meaning? – सी.टी.सी क्या है?

अक्सर हमें सुनने या पढ़ने को मिलता है कि फलाना व्यक्ति को फलाना कंपनी ने 4 लाख का पैकेज में नौकरी पर रखा या हम इंटरव्यू देने जाते हैं तो कम्पनी का एचआर का अधिकारी पूछता है कि आपकी एक्सपेक्टेशन क्या है?  मतलब कितना सैलरी लेंगे? असल में वो पूछ रहे होते हैं कि आप कितना सैलरी में नौकरी ज्वाइन करेंगे. ऐसे में मान लिया कि हमने कह दिया कि “आपके कम्पनी के स्टैण्डर्ड के हिसाब से”. फिर उन्होंने कहा कि हम 4 लाख सालाना का पैकेज देंगे. हम ख़ुशी-खुश घर आ जाते हैं.

मगर जब पहले महीने की सैलरी आती है तो हमारे पसीने निकल जाते हैं. मतलब 4 लाख सालाना सोच कर हम अनुमान लगाते है कि शायद महीने का 33 हजार के आस-पास मिलेगा, मगर यह क्या इतना कम क्यों दिया ? फिर हो जाती है भाग दौर शुरू.

सीटीसी – कॉस्ट टू कंपनी  (Cost To Company – CTC) क्या है?

अब इसके लिए जान लें कि सीटीसी होता क्या है? किसी कम्पनी को किसी भी कर्मचारी को काम पर रखने में जितना लागत लगता है, उनको कम्पनी का सीटीसी कहते हैं. सीटीसी का फुल फ्रॉम कॉस्ट टू कम्पनी होता है. सीटीसी में कई अन्य तत्व शामिल होते हैं. यह उन अन्य भत्तों के बीच गृह किराया भत्ता (एचआरए), प्रोविडेंट फंड (पीएफ), और मेडिकल इंश्योरेंस का Cumulative है, जिन्हें मूल वेतन में जोड़ा जाता है.

इन भत्ते में अक्सर नि: शुल्क भोजन या भोजन कूपन शामिल हो सकते हैं जैसे सोडेक्सो और जैसे, ऑफिस स्पेस रेंट, कैब सर्विस टू-एंड-फ़ोर ऑफ़िस, और सब्सिडी वाले ऋण आदि. इन सभी तत्वों को एक साथ जोड़ा जाता है.

सीटीसी मतलब एक तरह से कम्पनी का पूरा लागत होता है. इसे सरल शब्दों में कह सकते हैं कि सीटीसी मूलतः एक कर्मचारी की सेवाओं को बनाये रखने पर कंपनी का खर्च है. सीटीसी को एक वैरिएबल वेतन माना जाता है क्योंकि यह विभिन्न कारकों के आधार पर अलग-अलग होता है और इस प्रकार सीटीसी में बदलता रहता है. वार्षिक सीटीसी वृद्धि होती है, इसका मतलब यह कतई नहीं है कि कर्मचारी का मासिक वेतन भी बढ़ गया है. सीटीसी से टेक होम सैलरी या कर्मचारी का शुद्ध वेतन बिलकुल ही भिन्न होता है. आगे के पोस्ट में इसको भी डिटेल में जानेंगे.

सीटीसी उदाहरण के साथ (What is CTC in salary with example)

सीटीसी को समझने के लिए एक उदाहरण के साथ देखते हैं. मान लीजिये कि श्री रवि कुमार को ABC कंपनी द्वारा 4 लाख रुपये सीटीसी में रखा गया है. उनकी वार्षिक आय का ब्रेकडाउन नीचे आकड़ें सहित जाने –
बेसिक सैलरी : 2,20,000
एचआरए : 88,000
सीए: Rs. 19,200
मेडिकल एक्सपेंस : Rs. 15,000
ईपीएफ कंट्रीब्यूशन : Rs. 21,600
ग्रेच्युटी : Rs. 18,326

स्पेशल अलाउंस: Rs. 17,874

CTC- कॉस्ट टू कंपनी क्या है? CTC और Salary में अंतर उदाहरण सहित जानें

Components of Cost to Company (CTC): सीटीसी के सभी अवयव

ऊपर के चार्ट में कन्फ्यूज होने की कोई बात नहीं है. इसमें एक कर्मचारी के ऊपर कंपनी का कुल लागत को ब्रेक करके दिखाया गया है. जैसा की हमने ऊपर कॉस्ट टू कंपनी (सीटीसी) के विभिन्न तत्व: का उल्लेख किया है. सीटीसी के लागत में कंपनी के विभिन्न तत्व शामिल होता हैं.

सीटीसी मूल रूप से प्रत्यक्ष लाभों का कुल योग है (वार्षिक आधार पर एक कर्मचारी को भुगतान किया जाता है), अप्रत्यक्ष लाभ (नियोक्ता कर्मचारी की ओर से भुगतान करता है) और योगदान सहेजना (बचत योजनाएं कर्मचारी को हकदार हैं).

CTC = Direct Benefits + Indirect Benefits + Savings Contributions

DIRECT INDIRECT SAVINGS
BENEFITS BENEFITS CONTRIBUTION
Basic Interest Superannuation
Salary Free Loans benefits
Dearness Food Employer
Allowance (DA) Coupons/Subsidized meals Provident Fund (EPF)
Conveyance Company Gratuity
Allowance Leased Accommodation
House Medical
Rent Allowance (HRA) and Life Insurance premiums paid by employer
Medical Income
Allowance Tax Savings
Leave Office
Travel Allowance (LTA) Space Rent
Vehicle
Allowance
Telephone/
Mobile Phone Allowance
Incentives
or bonuses
Special
Allowance/ City Compensatory allowance, etc.
 ऊपर लिखे लगभग सारे तत्व को मिलाकर कंपनी का सीटीसी (CTC) बनता है. उम्मीद करूंगा कि इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद समझने में और अपने अधिकारियों से इस मुद्दे को लेकर बात करने में आसानी होगी. आगे हमारी कोशिश होगी कि आपको टेक-होम वेतन, नेट वेतन, और ग्रॉस सैलरी के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने की कोशिश करेंगे. अगर कोई सवाल हो तो कमेंट बॉक्स में लिखकर अवश्य पूछ सकते हैं.
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17 thoughts on “CTC- कॉस्ट टू कंपनी क्या है? CTC और Salary में मुख्य अंतर जानें?”

  1. Agar ham kisi company me job krte he aur salry 15000ru ctc me he hme Par month 9500ru diya Jata h to hme bad me company Chhodne Par ctc Wala r u. Milega ki nhi

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  2. Hame jo salary milati hai usame char, ya panch sanday hote hai, to uska paisa cumpny hame nahi deti, wo hamko jitane din kam kiya utana hi salary deti hai,. Kya ye sahi hai???

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  3. On my joining letter my CTC is 21000 nd the basic salary is 18743 bt I am getting my salary as 16791 and as I spoke to my hr she told me that we deduct Twice Pf from your salary that is 1611 +1611 nd graduate is 646 nd tax 200 nd esc 141.

    They haven’t told me the same at the time of joining and is there any kind of act that the company is deducting twice Pf from employee ac only?

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    • अगर आपका basic salary is 18743 है तो in hand salary 16791 हो ही नहीं सकता बल्कि हर हाल में 18743 से ज्यादा होगा। आपने ठीक से देखा नहीं है अपना सैलरी स्लिप, check again.

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  4. Sir hamary company EPF 24% hamary hi selary se deduct karti hai yani ki jo 12% company ka contribution hota hai use employee ki selary se kata jata hai isi mahine se lagu kiya hai kahte hain CTC men ensa niyam hai ki total epfo employee ki selary se kata jata hai ismen employer ka koi contribution nahi hota kya yah sahi hai

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    • अगर आपके पास सबूत है तो अपने एरिया के पीएफ कमिश्नर ऑफिस में लिखित शिकायत कर सकते हैं.

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