मोदी सरकार ने रेलकर्मियों के LARSGESS स्कीम पर रोक लगा दी, जानिए क्या है ये

मोदी सरकार ने एक बार फिर से रेल कर्मचारियों को झटका दे दिया है. रेलकर्मियों के LARSGESS स्कीम पर रोक लगा दी. नितीश कुमार ने भारतीय रेलवे के रेल मंत्री जब नितीश कुमार थे तब कर्मचारियों की मांग पर 2004 में लारजेस स्कीम नियुक्ति शुरू की गई थी. इस स्किम के अनुसार स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेने वाले कर्मचारियों के बच्चों को नौकरी दी जाती है. इसके बारे में जनसत्ता के खबर के अनुसार यह पता लगाने की यह संवैधानिक रूप से सही है या नहीं इसका पता करने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटायेगी.

 रेलकर्मियों के LARSGESS स्कीम क्या है?

अब आपकी जिज्ञासा बढ़ गई होगी कि लारजेस स्कीम आखिर है किस चिड़िया का नाम? इसके लिए बता दें कि रेलवे के पायलट और पॉइंट्स मैन की नौकरी करने वाले ऐसे कर्मचारी जिनकी सेवा 33 वर्ष की हो चुकी हो और दूसरे विभाग जैसे सेफ्ट कैटेगरी में निर्धारित अवधि में काम करने के बाद यदि कर्मचारी अपनी मर्जी से रिटारमेंट ले लेता है, तो उसकी संतान को उसकी जगह नौकरी देने का प्रावधान है.

इस पद के लिए फिजिकल फिटनेश बहुत जरुरी है. इस पद के उनके संतान की शैक्षणिक योग्यता मात्र 10वीं पास की रखी गई है. इसके लिए कोई भी लिखित परीक्षा का प्रावधान नहीं है. इस स्किम के तहत यह योजना केवल चतुर्थ श्रेणी, ट्रैक मैन, खलासी, टेलीकॉम, सिग्नल आदि विभागों के लिए भी है.

रेल यूनियन क्या कदम उठती है?

इसके पहले भी इस स्किम पर रोक लगी थी. दीपावली के समय इसपर से रोक हटा ली गई थी. इसके बारे में दैनिक भाष्कर ने लिखा है कि लारजेस स्कीम से आमला सेक्शन में 150 से ज्यादा कर्मचारी इस स्कीम का फायदा उठा रहे थे. यह स्कीम कर्मचारियों और उनके बेटा-बेटियों के हित में थी. इस पर रोक लगने से वे इसका फायदा नहीं ले पा रहे थे. अब देखना है कि धीरे-धीरे निजीकरण के राह पर बढ़ते रेल विभाग के इस कदम पर रेल यूनियन क्या कदम उठती है.

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