मोदीजी के डिजिटल इंडिया से पकौड़ा पॉलटिक्स पर पकौड़ा बेचने वाले कहा?

Blog: बिहार में चुनाव के दिनों में लोग एक गाना सुना था कि “जब तक रहेगा समोसे में आलू तब तक रहेगा बिहार में लालू”. मगर अब जमाना बदल गया और अब मोदी युग है. इसलिए शायद अब समोसे की जगह पकौड़ा पॉलटिक्स ने ले लिया है. आज हर कोई पकौड़ा- पकौड़ा चिल्ला रहा है है. शोशल मिडिया में पढ़े-लिखे लोगन से नेता लोग पकौड़ा तलते हुए तो कोई बेचते हुए फोटो शेयर कर रहे हैं.

डिजिटल इंडिया से पकौड़ा पॉलटिक्स

आखिर पकौड़ा अचानक से इतना प्रचलित और चर्चा में कैसे आ गया? दरअसल, ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जी मीडिया के साथ इंटरव्यू के दौरान चैनल के एडिटर-इन-चीफ सुधीर चौधरी से कहा था कि आप अपने चैनल के बाहर ठेला लगाकर पकौड़े बेच रहे आदमी को इंप्लायड मानेंगे या नहीं? एक तरह से उन्होंने पकौड़े बेचने को भी रोजगार बता दिया. इसके बाद प्रधानमंत्री के पकौड़ा पॉलटिक्स वाले बयान से हंगामा मच गया.

इसके बाद पुरे देश में पकौड़ा पॉलटिक्स शुरू हो गया है. आये दिन कहीं न कहीं, कोई पकौड़ा के पक्ष में तो कोई पकौड़ा के विपक्ष में भाषण देता नजर आ रहा है. सभी का अपना-अपना मत है, इसपर कोई टिका या टिप्पणी करना उचित नहीं होगा. जिसकी जितनी समझ है उस अनुसार अपनी बात जरूर कहेगा. मगर हद तो तब हो गया जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित साह ने राज्य सभा में “बेरोजगारी से बेहतर पकौड़े बेचना” बताया.

जनसत्ता के रिपोर्ट के मुताबिक साह के इस बयान पर आप नेता आशुतोष ने कहा कि अमित शाह ने आज यह स्वीकार कर लिया है मोदी सरकार युवाओं को रोजगार देने में नाकाम रही है. तो दूसरी तरह जी न्यूज इंडिया डॉट कॉम के अनुसार आजम खान ने शाह के बयान पर आपत्ति जताते हुए यह तक कह दिया कि “अमित शाह के बेटे पकौड़े बेचकर ही रातों-रात अरबपति बने हैं. अमित शाह के बेटे ने पकौड़े और चाय बनाई, रातों-रात खरबपति हो गए. सब की जांच है अपने बेटे की जांच नहीं है.

द वायर न्यूज वेबसाईट में रोहिणी सिंह के एक आर्टिकल छपा था “मोदी सरकार आने के बाद 16000 गुना बढ़ा अमित शाह के बेटे की कंपनी का टर्नओवर”. जिसके बाद विपक्ष ने सरकार को हर तरह से घेरने की कोशिश की, मगर सरकार ने जांच करने से मना ही नहीं किया बल्कि शाह के तरफ से इस न्यूज के खिलाफ 100 करोड़ के मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया गया.

इसको नौकरी मिलती तो यह चाय क्यों बेच रहा होता?

खैर अब फिर से पकौड़ा के तरफ आते हैं. आज ही आजतक चैनल का रिपोर्टर दादर के पकौड़ा बेचने वाले एक व्यक्ति से मोदी जी के बयान के बारे में बातचीत करना पहुंचा. उस रिपोर्ट के अनुसार वह शख्स आईटीआई करने के बाद रोजगार नहीं मिलने से पहले तो रिक्शा चलता है फिर शारीरिक प्रॉब्लम आने के बाद अपनी पत्नी के सुझाव से पकौड़ा का दूकान लगाने लगता है.
उनके अनुसार वह दिन भर में 600-700 रुपया कमाता है. जिससे बड़े ही मुश्किल से वह अपने एकमात्र बेटा को पढ़ा रहा है. उनका बेटा भी उसके काम में हाथ बांटता है. मगर जब रिपोर्टर ने उनके बेटा से पूछा मोदी जी ने कहा है कि बेरोजगारी से भला पकौड़ा बेचना तो आप कहां तक सहमत है? इस पर वह नौजवान बोला कि मैं पढ़-लिखकर नौकरी करना चाहता हूं. इस काम में मेरा कोई इंट्रेस्ट नहीं है.
इसके बाद उनके पिता बोले कि हम बहुत दिक्क्त से अपने बेटा को इसलिए पढ़ा रहें ताकि पढ़-लिखकर कोई अच्छी नौकरी आदि कर सके. फिर उसने पास ही में एक स्नातक पास चाय बेचने वाले को दिखते हुए कहा कि, “यदि इसको नौकरी मिलती तो यह चाय क्यों बेच रहा होता”?

अगर पकौड़ा ही बेचना था तो इतने पैसा

इससे शायद मोदी जी को जबाब मिल गया होगा. अब आते है उस बात पर की जो लोग पकौड़ा बेचने को सही बता रहें है. कुछ लोग तो शोशल साईट पर खूब शेयर कर रहें कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता. इस बात से हम भी पूर्ण रुपये सहमत है. इसमें कोई भी दो राय नहीं की कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता मगर सबने आमिर खान की “थ्री इडियट” देखो होगी. जी हां अगर पकौड़ा ही बेचना था तो इतने पैसा लगाकर डिग्रियां हासिल करने की क्या जरुरत थी?

अगर पकौड़ा बेचना इतना ही अच्छा है तो पहले नौकरी छोड़ें

कुछ भक्तगण खुद तो अच्छे-अच्छे एमएनसी और सरकारी नौकरी कर रहें है और दूसरे के बच्चे को पकौड़ा बेचने की सलाह दे रहें है. अगर पकौड़ा बेचना इतना ही अच्छा है तो पहले नौकरी छोड़ कर पकौड़ा बेचने सड़क पर आयें. हमने अक्सर देखा है कि मोदी जी की तारीफ वही लोग करते हैं जो 100 रूपये की सब्जी खरीदने की कूबत नहीं रखते. खैर ऐसे लोग तो नादान हैं. मगर मोदी जी आप देश के प्रधानमंत्री हैं.
आपने अच्छे दिन का वादा कर लोगों से वोट लिया. पूरा दुनिया घूम आये कि रोजगार ला रहें हैं..रोजगार ला रहे हैं.. मगर 4 साल बिताने को है और क्या आया? पकौड़ा..अरे साहब अगर सारे बेरोजगार नौजवान पकौड़ा ही बेचेंगे तो खरीदेगा कौन? खरीदने के लिए पैसा भी कहां से आयेगा? अब तो सचमुच देश बदला रहा है. डिजिटल इंडिया से पकौड़ा इंडिया की ओर चल रहा है.

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