राजस्थान सरकार ने सरकारी स्कूलों का निजीकरण के फैसले पर लिया यूटर्न

राजस्थान: बीजेपी के सत्ता में आते ही राजस्थान सरकार ने सरकारी स्कूलों का निजीकरण का क़बायदा शुरू किया था. इसके बारे में राजस्थान सरकार के श्रम मंत्री डॉक्टर जसवंत ने खुलकर कहा था कि सरकार का यह सही फैसला है. जिसमें निजी लोग इन स्कूलों को गोद लेंगे. इसके बाद से इसका विरोध चारो ओर से शुरू हो गया था. शिक्षक संगठनों और विपक्ष के दबाव के चलते राजस्थान की बीजेपी सरकार ने गुरुवार को सरकारी स्कूलों को पीपीपी मोड पर देने का अपना फैसला स्थगित कर दिया.

 सरकारी स्कूलों का निजीकरण का फैसला

वहीं, इस संदर्भ में कुछ लोगों का कहना है कि राजस्थान उपचुनाव में हार के बाद अब सरकार हर फैसला सोच समझ कर ले रही है और पीपीपी मोड का फैसला स्थगित कर वह नाराज शिक्षक वर्ग को साधने की कोशिश कर रही है. इससे पहले, पिछले साल सितंबर में मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में राज्य के 300 सरकारी स्कूलों को पीपीपी मॉडल पर संचालित करने का महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया गया.
इसके बारे में संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने बताया था कि मंत्रिमण्डल ने प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और पिछड़े क्षेत्रों में बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्कूल शिक्षा विभाग की सार्वजनिक-निजी सहभागिता (पीपीपी) नीति-2017 को मंजूरी दी है.

विद्यार्थियों या अभिभावकों पर फीस के

इस नीति के तहत प्रथम चरण में राज्य के कुल 9895 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में से 300 स्कूलों को पीपीपी मोड पर संचालित किया जाएगा. जबकि इस बारे में सरकार ने तर्क दिया था कि राज्य के आदर्श विद्यालय तथा संभागीय एवं जिला मुख्यालयों के विद्यालय इस नीति से बाहर रहेंगे. इन स्कूलों में छात्र-छात्राओं को वर्तमान में उपलब्ध अनुदान, छात्रवृत्ति और मिड-डे-मील आदि सभी सुविधाओं का लाभ मिलता रहेगा. साथ ही, विद्यार्थियों या अभिभावकों पर फीस के रूप में कोई अतिरिक्त भार नहीं आएगा.

यह भी पढ़ें-

Share this

Leave a Comment