UPNAL Outsource Worker को मिले रेगुलर के समान वेतन- उत्तराखंड हाईकोर्ट

नई दिल्ली: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उपनल के माध्यम से पॉवर कॉर्पोरेशन में कार्यरत UPNAL Outsource Worker डेटा इंट्री ऑपरेटर और स्टेनोग्राफर को समान काम का समान वेतन देने का आदेश जारी किया है. न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. इसके बाद उपनल में कार्यरत आउटसोर्सिंग 22 हजार कर्मचारियों में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी है.

UPNAL Outsource Worker को मिले, रेगुलर के समान वेतन

पावर कॉर्पोरेशन में उपनल के माध्यम से नियुक्त आउटसोर्स कर्मचारी विनोद और अन्य ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका के माध्यम से उनलोगों ने कोर्ट को बताया कि वो लोग पावर कॉर्पोरेशन में पिछले 10 वर्षों से अधिक से डाटा इंट्री ऑपरेटर और स्टेनोग्राफर के पद पर कार्यरत हैं. समान काम करने के वावजूद भी विभाग उनको रेगुलर वर्कर के समान वेतन, भत्ते व अन्य सुविधा नहीं दे रही है.
जबकि संविदा श्रम विनियमन उन्मूलन 1970 के धारा 25(5) का सज्ञान लेते हुए पावर कॉर्पोरेशन में काम करने वाले आउटसोर्स कर्मचारियों को रेगलर कर्मचारी के बराबर वेतन आदि लाभ सुविधा देने की व्यवस्था होनी चाहिए. इस मामले को सुनाने के बाद माननीय कोर्ट ने समान वेतन देने का आदेश दिए हैं. इसके आलावा औधोगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी ने विधुत संविदा कमर्चारी संघ के मामले में तीनो निगमों के उपनल के माध्यम से कार्यरत कर्मचारियों को संविदा कर्मचारी माना है.
इस सन्दर्भ में उपनल कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष दीपक चौधरी जी से बात हुई है. उनके अनुसार अभी तक प्रबंधन के तरफ से इस सन्दर्भ में कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है. हमारा सुझाव है कि अगर आर्डर के हिसाब से नियत समय में माननीय हाई कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले को नहीं लागू किया जाता है तो वो दुबारा से उसी कोर्ट में हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर सकते हैं. मामला साबित होने पर कंटेप्ट ऑफ कोर्ट के लिए अधिकतम 6 महीने कैद की सजा का प्रावधान है.
यह सचमुच ऐतिहासिक आर्डर है और जल्द ही इस Order की कॉपी हमारे ब्लॉग के कोर्ट आर्डर कॉलम में उपलोड किया जायेगा. जिससे पुरे देश के आउटसोर्स पर काम करने वाले साथी अपनी मांग को मजबूती से उठा पायेंगे.
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