SC ST reservation in promotion अंतिम फैसले तक दे सकती है केंद्र सरकार : SC

आज सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी और एसटी) कर्मचारियों को प्रमोशन (SC ST reservation in promotion) में आरक्षण के मामले सुनवाई हुई. इसके बारे में कोर्ट ने कहा कि यह मामला संवैधानिक बेंच के पास है और जब तक इस पर अंतिम फैसला नहीं आ जाता तब तक केंद्र सरकार कानून के मुताबिक प्रमोशन में आरक्षण लागू कर सकती है.


नवभारत टाइम्स के खबर के अनुसार सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एसएसजी) मनिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कमर्चारियों को प्रमोशन देना सरकार की जिम्मेदारी है. श्री सिंह ने कहा कि अलग अलग हाई कोर्ट के फैसलों के चलते यह प्रमोशन रुक गया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि सरकार आखिरी फैसला आने से पहले तक कानून के मुताबिक एससी/ एसटी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण दे सकती है.

जानकारी के लिए बता दें कि नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर विभिन्न हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण कई विभागों में सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन नहीं मिल रहा था. उसके बाद से प्रमोशन को लेकर परेशान कर्मचारी इधर से उधर भटक रहे हैं. यूपीए सरकार के समय से ही प्रमोशन में आरक्षण को लेकर काफी घमासान चल रहा है. बता दें कि कई बड़े नेता प्रमोशन में आरक्षण लागू किए जाने की वकालत कर चुके हैं.


SC ST reservation in promotion का क्या मामला है.

साल 2006 में नगराज फैसले में सुप्रीमकोर्ट ने कहा था कि राज्य एससी और एसटी को पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है. यदि वह आरक्षण के प्रावधान बनाना चाहते हैं, तो राज्य को गणनात्मक आंकड़े जुटाने होंगे, जिसमें यह बताया जा सके कि एससी-एसटी वर्ग पिछड़ा हुआ है. उसका सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है. इस फैसले में साथ ही कोर्ट के द्वारा यह भी कहा गया था कि अगर आरक्षण देना बेहद जरूरी हो है, तो उसे ध्यान रखना होगा कि यह 50 फीसदी की सीमा से ज्यादा न हो, क्रीमी लेयर को समाप्त न करे तथा अनिश्चितकाल के लिए न हो. इससे कुलमिलाकर प्रशासनिक कार्यकुशलता भी प्रभावित न हो.
SC ST reservation in promotion को लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण कई विभागों में सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन नहीं मिल रहा था. उसके बाद से ही प्रमोशन को लेकर परेशान कर्मचारी इधर से उधर भटक रहे हैं.
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