Minimum Wages 24000 की खबर वायरल, जानिए मोदी सरकार ने क्या कहा

पिछले कुछ दिनों से शोसल मिडिया फेसबुक और व्हाट्सप्प के जरिये अख़बार की कटिंग को तेजी से वायरल किया जा रहा है. यह कटिंग अमर उजाला का प्रतीत होता है. इस कटिंग में लिखा है कि केंद्र सरकार के उस निर्णय का संविदाकर्मियों ने स्वागत किया है जिसमें किसी भी प्राइवेट, सरकारी अर्धसरकारी कम्पनी, संस्थान होटल या किसी अन्य जगह काम करने वालों को Minimum Wages 24000 से कम नहीं मिलेगा. यदि उन्हें इससे कम वेतन मिलता है तो इसके शिकायत के लिए अधिकारी भी न्युक्त किये गए हैं जिनसे शिकायत की जा सकती है.

Minimum Wages 24000 की खबर

Minimum Wages 24000 की खबर का श्रम मंत्रालय का हवाला देकर यह भी कहा गया है कि आदिवासी बाहुल्य व् दुरूह क्षेत्र वाले इस जनपद में संविदा श्रमिकों की तायदाद बहुत है. खनन क्षेत्र हो या सरकारी या निजी परियोजनायें, सभी स्थानों पर संविदाकर्मियों से काम चलाया जा रहा है.

इन संविदाकर्मियों से हाड़तोड़ मेहनत तो कराई जा रही मगर वेतन के नाम पर 5 या 10 हजार ही दिया जाता है. इस संविदाकर्मियों को समय से वेतन भी नहीं दिया जाता है. इसे लेकर विभिन्न परियोजनाओं में संविदा श्रमिकों द्वारा प्रदर्शन व् घेराव भी किया गया. इसी बीच श्रम मंत्रालय का एक आदेश संविदाकर्मी को राहत देने वाला है. इन संविदाकर्मियों से हाड़तोड़ मेहनत तो कराई जा रही मगर वेतन के नाम पर 5 या 10 हजार ही दिया जाता है.

इस संविदाकर्मियों को समय से वेतन भी नहीं दिया जाता है. ऐसे लेकर विभिन्न परियोजनाओं में संविदा श्रमिकों द्वारा प्रदर्शन व् घेराव भी किया गया. इसी बीच श्रम मंत्रालय का एक आदेश संविदाकर्मी को राहत देने वाला आया है. किसी भी विभाग या निजी संस्थान में काम करने वाले संविदाकर्मियों का न्यूनतम वेतन श्रम मंत्रालय ने तय कर दिया है. इसके तहत संविदाकर्मियों को न्यूनतम वेतन 24000 प्रति माह देने की बाध्यता तय की गई है. न्यूनतम वेतन न देने की शिकायत जिले के उपश्रम आयुक्त या सहायक श्रम आयुक्त से की जा सकती है.

हमारी माने तो खबर की कटिंग 100 फीसदी झूठ और फेक है. किसी ने फोटोशॉप का इस्तेमाल करके हम वर्कर साथियों की फिरकी ले ली है. अब आप सोच रहे होंगे कि हम इतना विश्वास के साथ कैसे कह सकते हैं. इसके लिए हमने सबसे पहले अमर उजाला ई-पेपर अख़बार के ऑनलाइन पोर्टल पर गए. जिसमें अमर उजाला, 12 दिसम्बर 2017 का वाराणसी संस्करण का पेज नंबर 3 को अच्छी तरह चेक किया.

उस पुरे पेज में यह खबर कहीं भी नहीं है. जब तक यह ऑनलाइन उपलब्ध है तब तक आप भी ऊपर लिंक के माध्यम से चेक कर सकते हैं. ऐसे हमने पेज नंबर 3 को डाउनलोड कर लिया है. यहां क्लीक कर पढ़ सकते हैं. अब ऐसे किसने किया और क्यों किया? इसका जबाब आपके जैसे ही हमारे पास भी नहीं है.

हमने देखा है कि अक्सर इस तरह के गलत और फेक न्यूज धरल्ले से शेयर किया जा रहा है. जिसके बाद वर्कर सोचता है कि अभी चुप रहो सैलरी बढ़ने वाली है. इस तरह के झूठे अफवाह वर्करों के बनते आंदोलन को रोकने और कमजोर करने के लिए फैलाये जाते हैं. हम भी कभी-कभी जाने अनजाने में इसका हिस्सा बन जाते हैं. यह खबर यूपी के वाराणसी का है और इसका दूसरा पारा पढ़ेंगे तो लगेगा कि किसी पहाड़ी इलाक़ा यानी झरिया-बोकारों की बात की गई हो. जिसके बाद संदेह होना लाजमी है.

कुछ समाचार पत्रों ने पहले भी कुछ इसी तरह से केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन 18000 मासिक करने की खबर छापी थी. तब खुद भारत सरकार, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने दिनांक 05-सितम्बर-2017 को प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि “अभी हाल में ऐसी खबरें आई थी कि केंद्र सरकार ने न्‍यूनतम मजदूरी 18,000 रुपये मासिक तय की हैं. स्‍पष्‍ट किया जाता है कि मजदूरी विधेयक, 2017 सम्‍बंधी संहिता में केंद्र सरकार ने ‘राष्‍ट्रीय न्‍यूनतम मजदूरी’ जैसी कोई रकम न तो तय की है और न उसका उल्‍लेख किया है. इसलिए 18,000 रुपये मासिक न्‍यूनतम मजदूरी रिकवरी गलत और आधारहीन हैं. न्‍यूनतम मजदूरी आवश्‍यक कुशलता, परिश्रम और भौगोलिक स्‍थिति के अनुसार तय की जाएगी.”

Screen shot of Press release of Government of India, Ministry of Labor and Employment
भारत सरकार, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय का प्रेस रिलीज का स्क्रीन शॉट

 

जब मोदी सरकार खुद ही 18,000 न्यूनतम वेतन के लिए मना कर रही तो 24,000 न्यूनतम वेतन तो दूर की बात है. इसके बारे में हमारे आर्टिकल को पढ़ें-> 18 हजार न्यूनतम मजदूरी के अफवाह में क़ानूनी अधिकार छीनने की चाल. हां, केंद्र सरकार ने Wage Limit 24,000 बढ़ोतरी के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था. यह भी खूब वायरल हुआ था. जिसमें भी बताया गया था कि न्यूनतम वेतन 24,000 कर दिया गया है. जबकि हकीकत कुछ और ही थी. हमने इसके बारे में भी लोगों को आगाह किया था. आप भी पढ़ सकते हैं. भारत सरकार द्वारा जारी 24 हजार न्यूनतम वेतन की हकीकत जाने, शेयर करें

इससे भी बड़ी बात बता दूं कि हर साल दो बार मंहगाई के अनुसार मंहगाई भत्ता बढ़ाया जाता है. अभी अक्टूबर 2017 में मोदी सरकार के श्रम मंत्रालय ने कहा “जनवरी 2017 से जून 2017 तक औसत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में कमी के कारण डीए में बढ़ोतरी नहीं किया गया है”. जबकि सरकार से लोग 24,000 न्यूनतम वेतन की उम्मीद लोग लगा बैठे हैं.

अभी देश की सभी 10 सेन्ट्रल ट्रेड यूनियन ने 9-12 नवम्बर 2017 को दिल्ली में 3 दिवसीय महापड़ाव का आयोजन किया था. जिसमें पुरे देश से करीब लाखों वर्करों ने भाग लिया था. उनकी एक मांग यह भी है कि न्यूनतम वेतन 18,000 किया जाये. अब भला वर्कर 18,000 मांग रहा और मोदी जी 24,000 कर दें तो कमाल ही हो जाये.

Minimum Wages 24000 की खबर वायरल, मोदी सरकार ने क्या कहा

हम यह कतई नहीं कहते कि न्यूनतम वेतन 24,000 नहीं हो सकता. जरूर हो सकता है, जब मजदूर एकजुट होकर मांग करेगा. जब सरकार को लगेगा कि बिना दिए काम नहीं चल सकता तो देना पड़ेगा. खैर, दोस्त अपनी आंखें खोल कर रखने की जरुरत है. खासकर तब, जब आप किसी यूनियन या संगठन की जिम्मेवारी आप पर हो. उस समय लोगों की काफी अपेक्षायें आपसे काफी बढ़ जाती है.

उम्मीद है कि इस सच्चाई को जानने के बाद अपने साथियों के साथ शेयर करेंगे. आगे कभी भी इस तरह की कोई जानकारी, खबर मिले तो हमें पोस्मार्टम के लिए अवश्य दें. भले ही तोड़ा समय लगेगा, मगर यकीन कीजिये हताश नहीं करेंगे. उम्मीद है इस सच को भी वायरल करने में कोई कमी नहीं करेंगे ताकि हकीकत एक-एक वर्कर तक पहुंचे. धन्यबाद.

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8 thoughts on “Minimum Wages 24000 की खबर वायरल, जानिए मोदी सरकार ने क्या कहा”

  1. सरकारें आती हैं हवा का लड्डू घी के साथ खिलातीं हैं और रफूचक्कर हो जाती हैं।चुनाव के समय किए गए वादों का क्या ….समय बितने के साथ टाँए टाँए फिस्स !

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  2. आजादी की लडाई का बिगुल फूँकने वाला पहला शख्स माननीय मंगल पाण्डेय और आज आजादी को जंजीरों मे जकड़ रखा है।आज फिर एक औरर मंगल पाण्डेय को आना होगा।जो हमें चाहिए वो माँगने से मिलने वाला नहीं।जीतकर छीनना होगा।तब एक ईस्ट ईण्डिया कम्पनी थी।आज एक से बढ़कर एक कई कम्पनियाँ हैं जो मजदूरों और कर्मचारियों का दोहन कर रही है इसे रोकना ही होगा।

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  3. इसमें केवल सरकार ही दोषी नहीं है बल्कि हम जनता भी काम जिम्मेवार नहीं है. हमलोग सब्जी खरीदने में भले ही पूरा जांच परख करते हों मगर सरकार चुनने में नहीं.

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  4. दयानन्द जी, बिलकुल सही बात कही है आपने. आज अगर शोषण इतना बढ़ा है तो सिर्फ इसलिए कि आज उसको सहन करने वाले बढ़ गए हैं. हम सब को मिलकर लोगों को जागरूक करना चाहिए और जहां भी गलत हो उसका पुरजोर विरोध करना चाहिए.

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