मोदी सरकार के इस कानून के लागू होते ही बैंक के खातों पर आपका अधिकार समाप्त

मोदी सरकार नोटबंदी और जीएसटी के सफल परीक्षण के बाद सरकार एक नया कानून लेकर आ रही है. जिसके चर्चा बहुत जोर-शोर से है. इस नये कानून फाइनेनशियल रेजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल (एफआरडीआई बिल) की तैयारी जोर शोर से चल रही है. अब इसके फायदे-नुकसान की बात कर लेते है. अभी तक इसके बारे में काफी कुछ सर्च किया और पढने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि एक बार फिर से आप तैयार हो जाइये.

सरकार एक बार फिर से आपके बैंक खातों पर सर्जिकल स्ट्राइक करने की तैयारी कर रही है. नोटबंदी में कम-से-कम आप लाइन में खड़े होकर पैसे निकलने की कोशिश तो कर सकते थे, मगर इस कानून के लागू होते ही सरकार तय करेगी कि आप लाइन में खड़े होने लायक भी रहेंगे या नहीं.

FRDI  बिल के खिलाफ ऑनलाइन याचिका

आइये सबसे पहले नजर डालते हैं कि देश के प्रमुख अख़बार इसके बारे में क्या कहते हैं? इसके बारे में 9 नवंबर को द हिन्दू अख़बार में मीरा नांगिया ने इस पर विस्तार से लेख लिखा. नवभारत टाइम्स के खबर के अनुसार वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि एफआरडीआई बिल बैंक के जमाकर्ताओं के हित में है और इसमें उनके लिए वर्तमान कानून की तुलना में अच्छे प्रावधान किए गए है. मगर दूसरी तरह उसने लिखा है कि इस बिल के खिलाफ ऑनलाइन याचिका पर मात्र 24 घंटों में 40 हजार लोगों के हस्ताक्षर कर विरोध जाहिर किया है.

अब बैंक की आपके जमा पैसे के प्रति कोई देनदारी नहीं बनती

इस ऑनलाइन याचिका के माध्यम से मांग की गई है कि इस विधेयक में बेल-इन प्रावधान न हो. उनको आशंका है कि बैंकों में जमा उनकी गाढ़ी कमाई को संकट के समय उसे उबारने के आतंरिक उपाय (बेल-इन) में लगा दिया जाएगा. इस याचिका के अनुसार बैंको के दिवालिया होने की स्थिति में सरकार को बैंक को बचाने के लिए जमाकर्ताओं का धन लगाने का अधिकार होगा. दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते है कि बैंक की आपके जमा पैसे के प्रति (जमाकर्ता के प्रति) कोई देनदारी नहीं बनती है.

अब अगर इस बिल को माने और यह बिल पास होगा या नहीं यह तो समय ही बतायेगा. मगर वर्तमान सरकार अभी पूर्ण बहुमत में है. जो बिल चाहे वह लोकसभा से लेकर राजयसभा में पास करवा सकती है. अगर थोड़े देर के लिए मान लेते है कि यदि जैसा बताया गया ठीक वैसा बिल पास हो जाता है तो क्या होगा?

बैंक वह 1 लाख भी देगा कि नहीं यह सरकार तय करेगी

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आप मान लीजिये कि हम ने आपने अपना और अपने परिवार का पेट काटकर कुछ पैसा जमा किया. अगर भविष्य में कोई प्रॉब्लम आती है तो उनको इस्तेमाल कर लेंगे. उन पैसों को चोरों के नजर से बचाने के लिए आप बैंक में जमा करते हैं. हर कोई सरकारी बैंक को पहली प्राथमिकता देता है. वह इसलिए कि अभी तक सरकार हमारे पैसों का गारंटर है.

अभी तक अगर किसी कारणवश आपका बैंक डूब गया मतलब दिवालिया हो गया तो मौजूदा कानून के अनुसार आपके खाते में अगर दस लाख जमा है और बैंक डूब गया तो सिर्फ एक लाख तक मिलेगा. ऐसे में समझये कि आपका नौ लाख डूब गया. मगर अब जो सरकार क़ानूनी प्रावधान में बदलाव करने जा रही है उनके मुताबिक बैंक वह 1 लाख भी देगा कि नहीं यह सरकार तय करेगी और आपका पैसा लौटायेगा तो किस रूप में इसपर उनका पूर्ण अधिकार होगा.

बैंक को कंगाली से बचाने के लिए सरकार कानून ला रही

अब यह समझना बहुत जरुरी की बैंक दिवालिया कैसे होता है? बैंक का पूरा सिस्टम ही लेन-देन पर चलता है. मतलब आप बैंक में पैसा जमा करते है तो बैंक उसको किसी जरुरतमंद या बिज़नेसमैन को देकर आपके पैसों से ब्याज कमाता है. उसका कुछ हिस्सा आपको आपके बचत खाते या फिक्स डिपॉज़िट खाते में देता है. अब सोचिये कि माल्या जैसा कोई लेनदार बैंक का करोड़ों का कर्जा लेकर भाग जाये या ऊंची पहुंचा वाला कोई कारोबारी बैंक का कर्जा चुकाने से मना कर दे. जिसके बाद बैंक दिवालिया यानि कंगाल हो जाता है. अब इससे बैंक को बचाने के लिए सरकार कानून ला रही है.

FRDI Bill: सरकार अब bail- out को bail-in बनने जा रही

नए बिल के अनुसार सरकार अब bail- out को bail-in बनने जा रही है. इसका मतलब है कि पहले जब कोई बड़ा कॉर्पोरेट्स किसी बैंक को लोन का धन वापस नहीं करता और बैंक कंगाली की कगार पर आ जाता तो सरकार अपनी जेब से पैसा देकर उस बैंक को मदद करती थी. जिसको बेल-आउट पैकेज कहा जाता है. मगर इस कानून के जरिये अब बेल-इन सिस्टम बना दिया जाएगा.

मतलब अब बैंक के कंगाल होने के स्थिति में हम आम लोगों के पैसे को बैंक हड़प कर कॉर्पोरेट्स का लोग माफ़ करते हुए अपने नुकसान की भरपाई ही नहीं करेगा बल्कि अपने आप को डूबने से भी बचायेगा. सबसे बड़ी बात कि यह सब आपके मर्जी के बिना होगा. अब ऐसे में बैंक में पैसा रहने के बाबजूद भी आप केवल टुकुर-टुकुर देख सकते हैं. इससे सबसे ज्यादा आम जनता और मजदुर वर्ग ही प्रभावित होगा.

एक बार और ताली बजाइये क्योंकि जानकारी के अनुसार बैंकों का एनपीए बढ़कर 6 लाख करोड़ से बढ़ गया है. यह बैंकों के लिए यह बुरी ख़बर तो है ही साथी ही हमारे लिए भी, क्योकि अगर बैंक डूबेगा तो हमारा आपका पैसा भी डूबेगा.

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