बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा ने कहा था कि मैट्रिक की परीक्षा में जांच के नाम पर जूता-मोजा उतारने से बेहतर है कि परीक्षार्थी चप्पल पहन कर आएं, ताकि ना तो उन्हें दिक्कत हो और न ही जांच के नाम पर बिहार मैट्रिक स्टूडेंट को परेशान होना पड़े. उनका यह बयान मैट्रिक की परीक्षा के शुरू होने से पहले आया था. इसके बाद शोशल मिडिया के जरिये कई ऐसे तस्वीर भी सामने आयें जिसमे बिहार पुलिस के द्वारा छात्रों को तलाशी के नाम पर अंडरपैंट में सरेआम हाथ डालते देखा गया.
इसके बाद खुद बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) ही सवाल के घेरे में हैं. कल ही फ़ोन पर विकास कुमार ने बताया कि इसबार हमारा मैट्रिक का परीक्षा खराब गया है. पूछने पर कि ऐसा क्या हुआ? तो उसने बताया कि गणित विषय के ऑब्जेक्टिव के पेपर में 30 से अधिक प्रश्न इंटरमीडियट स्तर का था. जो कि स्लेबस में है ही नहीं. जब पूछा कि इसके खिलाफ छात्रों ने कुछ किया या नहीं, तो उसने बताया कि काफी हंगामा हुआ है.
छात्र मांग कर रहें हैं कि या तो गणित का पेपर रद्द किया जाए या फिर 30 अंको का ग्रेस दिया जाए. इसके बाद सरकार ने एक कमिटी बनाने की बात की है. जिसको एक सप्ताह में रिपोर्ट देना है. अभी तक इसके बारे में कोई खबर नहीं है. हां, कॉपी के मूल्यांकन आगामी 13 मार्च से होना तय है.
जागरण के रिपोर्ट के अनुसार यह घटना 24 फरवरी की है और छात्रों के हंगामा के बाद बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर ने कहा था कि तीन सदस्यी समिति गणित विषय में पूछे गए प्रश्नों की जांच कर एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. समिति अगर प्रश्नपत्र में परीक्षार्थियों के आरोप को सही पाती है तो पेपर रद्द भी किया जा सकता है. जबकि सीवान जिले के उमेश कुमार ने जानकारी दी कि एक सप्ताह से अधिक का समय बीत गया है, मगर अभी तक इसके बारे में सरकार ने कोई करवाई नहीं की है.
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