Daily Wage Worker को मिले नियमित कर्मचारी के बराबर वेतन – सुप्रीम कोर्ट

अगर आप भी किसी विभाग में दिहाड़ी Daily Wage Worker  के रूप में काम कर रहे तो यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगा. Supreme Court ने एक केस की सुनवाई करते हुए कहा कि अस्थाई कर्मचारी को नियमित कर्मचारी के बराबर Pay Scale देना होगा यदि वह समान पद पर कार्य कर रहा हो. उत्तर प्रदेश के वन विभाग में Group D के दिहाड़ी कर्मचारी सभाशंकर दुबे की अपील स्वीकार करते हुए जस्टिस एएस बोब्डे और एल नागेश्वर राव की पीठ ने यह Order दिया.

Daily Wage Worker को भी मिले बराबर वेतन

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले भी 26 अक्टूबर 2016 को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट वर्कर ही क्या सभी तरह के वर्कर यदि समान काम करते है तो उनको समान वेतन मिलना चाहिए. इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था कि कम पैसे में अस्थाई कर्मचारी से काम करना मानव अधिकारों का हनन है.

जबकि सरकारी विभागों में तक़रीबन 70 प्रतिशत पद पर अस्थाई कर्मचारी ने न्यूनतम वेतन से भी कम वेतन पर काम लिया जा रहा है. मगर आज दो वर्ष से अधिक बीतने के बाद अभी तक सरकार ने इसको लागु करने के दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है.

HC फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

दिहाड़ी कर्मचारी (Daily Wage Worker) श्री दुबे के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सुप्रीम कोर्ट के हरियाणा बनाम तिलकराज फैसले को आधार बनाते हुए कहा था कि दिहाड़ीकर्मी नियमित कर्मचारी के बराबर वेतन के अधिकारी नहीं है. जिसके बाद श्री दुबे ने इलाहाबाद के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि अपीलकर्ता उत्तर प्रदेश राज्य के वन विभाग में Group ‘D’ Daily Rated Worker हैं. वे लोग Regular Worker के रेगुलर पोस्ट पर काम करने के कारण नियमितकरण व उनके समान वेतन की मांग कर रहे थे. उनकी इस याचिका को 28 अप्रैल 2004 को Single Banach ने ख़ारिज कर दी थी. कोर्ट ने कहा प्रासंगिक नियमों के अनुसार यदि 3 महीने से काम का सेवा में ब्रेक न हो तो दैनिक मजदूरों के नियमितकरण को निर्देशित किया गया था. इसलिए इनके नियमितकरण के लिए डायरेक्शन नहीं दिया जा सकता है. जिसको इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खरिज कर दिया था. जिसको उनलोगों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. 

दिहाड़ी मजदूर को भी मिले नियमित कर्मचारी के बराबर वेतन – सुप्रीम कोर्ट

 

दिहाड़ी मजदूर को भी मिले नियमित कर्मचारी के बराबर वेतन Order –

“उपर्युक्त कारणों से,  उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाते करते हुए, हम इन अपीलों को अनुमति देते हैं कि अपीलकर्ताओं को उसी पद पर काम कर रहे नियमित कर्मचारियों के लिए लागू वेतनमानों का न्यूनतम भुगतान करने का हकदार है. उत्तर प्रदेश राज्य को 1 दिसंबर, 2018 से अपीलकर्ताओं को न्यूनतम वेतनमान का भुगतान करने का निर्देश दिया जाता है.”
उपरोक्त आर्डर के बाद याचिकाकर्ताओं को कम से कम 7वें वेतन आयोग, की सिफारिशों के अनुसार Minimum Pay Scale 18,000 / – रुपये का लाभ मिलेगा. दोस्त, उम्मीद करूंगा कि आपके लिए यह जानकारी उपयोगी साबित होगा. इसको पढ़ने के बाद सोशल मिडिया के माध्यम व् अन्य माध्यम से अपने दोस्तों के साथ शेयर करें. इस सन्दर्भ में अगर आपका कोई सवाल हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें. आर्डर की PDF कॉपी डाउनलोड करने के लिए नीचे के लिंक को क्लिक करें.
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10 thoughts on “Daily Wage Worker को मिले नियमित कर्मचारी के बराबर वेतन – सुप्रीम कोर्ट”

  1. Ap shahi bolte h pr kuch majdur ki garibi ka fayda utha raha sub. Or mi ap se kuch ray or jankari manga tha plz mujhe batane ki kirpa kare

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  2. Aap sahi bol rhe hain.Agar sarkar hamare liye kaam nhi kare to aapke paas vote ki takat hai. Un-education ke karan hi exploitation jayada hai. Puchiye kya puchna hai.

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  3. Noor bhai, jo log Court gye unko eska tatkal benifit milega.Aise supreme court ka judgement Law ke equal hota hai, but garib majduron ke benifits wale order laagu Khan kiye jaate hain.

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  4. Ji, Yah Supreme Court ka faisla hai, Govt ko es order ko lagu karwane ka guidline jari karna chaahie.Apne aap to nhi hoga.

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  5. हम एलआईसी ऑफ इंडिया में 2012 से दिल्ली बेस पर काम कर रहे हैं मगर हमारा शोषण किया जा रहा है हमें दिन के ₹500 ध्यारी दी जाती है महीने का 11 से ₹12000 बनता है 20 से 22 दिन का और आप 5 देवी का ऑर्डर हो चुका है अप्रैल 2021 से मई 2021 से लागू होगा आप हमारा और नुकसान होने वाला है क्या इसके खिलाफ हमारे गवर्नमेंट या हमारे कोर्ट के पास कोई आर्डर है जिससे हमारा शोषण बचे हमें रखा गया है अनपढ़ अनपढ़ श्रेणी में और काम कराते हैं पर लिखवा लो सारा सुबह 10:00 बजे से शाम 7:08 बजे तक बिठा के रखते हैं जब तक ब्रांच मैनेजर या ब्रांच में कोई बैठा होता है क्योंकि मैं आज बंद करने के लिए जिम्मेदार भी हमारी होती है और हमें उस चीज का कुछ नहीं दिया जाता हमें सिर्फ ₹500 दिन का दिया जाता है क्या इसके खिलाफ हमारे इंडिया में या सेंट्रल गवर्नमेंट के कोई नहीं हम हैं जिसके विरुद्ध हम लड़ सके

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    • डेली बेच पर हम एलआईसी इंडिया में काम कर रहे हैं
      शोषण क्या-क्या हो रहा है सरकारी दफ्तरों में
      १-एक तो हमें फिक्स वेतन नहीं दिया जा रहा है मंथ में
      २-हमारे को जो ₹500 दे कर दिया जाता है 10:00 से 5:00 का देती है लेकिन हमें 88 10:10 बजे ऑफिस में बिठा कर रखते हैं ऑफिस बंद कराने के लिए उसका में कुछ नहीं दिया जाता
      ३-पक्के करने के भारत सरकार के सुप्रीम कोर्ट के क्या नियम है क्या हम पक्के हो सकते हैं
      ३-हम जितने भी डेली वेज वाले लगे हुए हैं गवर्नमेंट ऑफिस में सेंट्रल ऑफिस में वह इसलिए अपने हक की आवाज नहीं उठा पाता क्योंकि उसे नौकरी से हटाने का या नौकरी से भगाने का डर सताता है इसलिए वह शोषण का शिकार होता है इंडिया में

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      • ऐसे बताना काफी मुश्किल हैं कि आप पक्के होंगे या नहीं। आपको किस प्रकार से न्युक्ति हुई, आपके पास क्या प्रूफ हैं. इसके बाद ही आप मांग करने के लिए स्वतंत्र हैं. आपकी चुप्पी ही उनकी ताकत हैं. आप जागरूक होंगे तो आप मजबूत होंगे

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    • आप सेन्ट्रल गवर्नमेंट के अंतर्गत आते हैं. जिसमें आपको दिल्ली का कम से कम वेतन 639 रुपया 8 घंटे का है. आप हमारे इस पोस्ट को पढ़ें। जिसमें पूरा डिटेल है- Central Government Minimum Wages 01 October 2020 (Central Sphere) कितना मिलेगा

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