Minimum Wages in Delhi की मांग 18000 या 26000 हो, जब मामला कोर्ट में हो

दिल्ली सरकार द्वारा नया न्यूनतम वेतन का मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग हैं. इस दौरान माननीय कोर्ट ने सरकार को Minimum Wages Advisory Board बनाकर तीन महीने के अनुसार न्यूनतम वेतन तय करने का आदेश जारी किया है. अभी तीन महीना समाप्त होने को है इस बीच उक्त कमेटी की एक मीटिंग 21 जनवरी 2019 को हो चुकी है. मगर अब मजदूरों के एक बड़ा सवाल आ रहा है कि “Minimum Wages in Delhi की मांग 18000 या 26000 हो, जब मामला Supreme Court में है.”
आपके मन में यह सवाल जरूर होगा कि इसमें बारे में इस पोस्ट में हम क्या बताने वाले हैं. ऐसा हम कतई नहीं बताने वाले की यह दिल्ली सरकार का ऐतिहासिक फैसला हैं. ऐसे इसको कभी नाकारा नहीं जा सकता कि इस मुद्दे को मिडिया, शोशल मिडिया में बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जा रहा है.
जबकि दूसरी तरफ सेन्ट्रल गवर्नमेंट ने बिना कोई ड्रामा किये, हमारे जनहित याचिका के फैसले को सज्ञान में लेते हुए पुरे देश में कार्यरत ठेका वर्कर का न्यूनतम वेतन में 40% का वृद्धि किया था. जो कि अभी दिल्ली सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन से कही अधिक हैं.
अब आते हैं इसके असल मुद्दे पर, आगामी 28 जनवरी 2019 को Minimum Wages Advisory Board का मीटिंग होना तय है. एक तरफ कुछ सेन्ट्रल ट्रेड यूनियन ने 18000 तो कुछ ने 26000 तो कुछ ने 36000 की मांग उठाई है. जिसके उलट मालिकों के प्रतिनिधि में किसी ने 10 प्रतिशत तो किसी ने 12000 न्यूनतम वेतन देने की बात कही. जिसके बाद इस बोर्ड के अध्यक्ष महोदय ने उनको ठोस प्रस्ताव लाने को कहा हैं. जिसके बाद अगली मीटिंग 28 जनवरी 2019 को तय की हैं.

सुप्रीम कोर्ट आदेश 1957 को आधार बनाकर तय किया गया.

इस सभी बातों को अगर गौर करें तो कम उम्मीद है कि 28 जनवरी 2019 को बोर्ड द्वारा किसी ठोस नतीजे पर पंहुचा जा सकेगा. सेन्ट्रल ट्रेड यूनियन के द्वारा 18000 न्यूनतम वेतन की मांग, उसमें सरकार द्वारा दिए प्रस्ताव के अनुसार फ़ूड का तीन यूनिट यानी मजदूर, उसकी पत्नी और दो बच्चे शामिल हैं. अगर आपको याद हो तो बता दूँ की यह तीन यूनिट सुप्रीम कोर्ट आदेश 1957 को आधार बनाकर तय किया गया है.

Minimum Wages in Delhi की मांग 18000 या 26000 हो, जब मामला कोर्ट में हो

हमलोगो ने न्यूनतम वेतन में आश्रित माता-पिता का 2 यूनिट जोड़ने की मांग उठाई

दिल्ली सरकार के द्वारा नया न्यूनतम वेतन के प्रपोजल पर सुझाव मांगने के बाद हमने आपलोगों के आम सहमति से एक आपत्ति/सुझाव पत्र सरकार को ईमेल के द्वारा भेजा था. इतना ही नहीं बल्कि इसका फॉर्मेट आपलोगो के साथ भी शेयर किया. जिसको की आप कई साथियों ने भी अपनी तरफ से सरकार को भेजा है. आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि इस पत्र में हमलोगो ने न्यूनतम वेतन के यूनिट में आश्रित माता-पिता का 2 यूनिट जोड़कर 5 यूनिट करने की की मांग उठाई. अगर सरकार हमारे इस मांग को माने ले तो ऑटोमैटिक न्यूनतम वेतन 26000 पर पहुंच जायेगा.
हमारा अपने इस लेख के माध्यम से दिल्ली सरकार के Minimum Wages Advisory Board के मेंबर से अपील है कि अभी अच्छा मौका है सुप्रीम कोर्ट में मामला भी हैं. दिल्ली के मजदुर का सवाल है कि उनकी मजदूरी में उनके माता पिता का यूनिट क्यों नहीं हैं? क्या या अच्छा समय नहीं है कि आज से 60 साल पहले सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट कोई उपडेट करवाया जाए.
क्या सुप्रीम कोर्ट के सामने यह नहीं रखा जा सकता है, बूढ़े माता-पिता की जिम्मेवारी जिस मजदुर पर है उसके मजदूरी में उसके उसका यूनिट क्यों नहीं हैं?
जब मार्च 2017 के कमेटी में मालिक संगठन 14000 न्यूनतम वेतन पर हस्ताक्षर कर अभी 12 हजार को कोई 10 प्रतिशत करने की मांग पर अड़ सकते हैं तो हम 26000 की मांग क्यों नहीं कर सकते. हमारा तो मानना है कि अगर हम 26000 की मांग करेंगे तभी तो 18000 लागु हो पायेगा, ठीक उसी तरह जैसे हमारा निशाना आसमान होगा तभी तो खजूर पर तीर अटकेगा.
हमारे आप सभी दोस्त बधाई के पात्र हैं, आपने हम सभी के द्वारा उठाई मांग को जमकर शेयर किया जिसके बाद आज वह अहम् मुद्दा बन चुका हैं. आप दूसरे राज्य के साथी पूछेंगे कि भला इससे हमें क्या फायदा होगा तो पहले की तरह अब भी कहूंगा. दोस्त दिल्ली देश की राजधानी हैं यहां कुछ भी होगा उसका धमक पुरे देश में सुनाई देगा. जिसका प्रभाव आज न कल आपतक पहुंचना तय है.

उम्मीद करूँगा कि मौका भी है और दस्तूर भी खुलकर शेयर करें, जीत हमारी होगी.

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