Lockdown बच्चे को गोद में लेकर 600 किलोमीटर पैदल जाने को मजबूर हुए मजदूर

अपने चार माह के बेटे विशाल को गोद में लेकर जयंती पैदल- पैदल अपने गांव दौसा, राजस्थान की ओर परिवार के साथ चल पड़ी है. उनके पति मानसिंह, पिता शायर सिंह और माँ मौसमी भी साथ चल रहे हैं. उनके पूरा परिवार 600 किलोमीटर पैदल जाने को मजबूर है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि देश में सम्पूर्ण लॉक डाउन का ऐलान हुआ है. बस, ट्रेन परिवहन के सभी साधन बन्द है.

जयंती और उसका परिवार सीहोर, मध्य प्रदेश में अप्रवासी मजदूर हैं. जो कभी खेल खिलोने बेच कर तो कभी मजदूरी करके पेट पाल रहे थे. उनके लिए लॉक डाउन के 21 दिन कोई काम नही, कोई जमा पूंजी नही, खाने को रोटी नही, समाजसेवी लोग खाना देते हैं तो यह खाना खा लेते हैं.

राजस्थान कितने दिन में पहुँचेंगे, यह भी पता नही. बस इन हालातों में अपने गांव पहुंच जाए बस.

इस देश में जयंती जैसे  करोड़ों मजदूर हैं. जो अन्य शहरों में फंसे हैं. जिनके पास खाने को रोटी नही. रहने को घर नही.बस, ट्रेन बन्द होने से वह पैदल अपने गांव की और जा रहे हैं. बस चले जा रहे हैं.

सरकार द्वारा घरबन्दी के फैसले को जायज बताया जा रहा है. क्या वाकई इस महामारी को रोकने के लिए यह जरूरी उपाय है. परन्तु, 21 दिन के लॉक डाउन की सबसे ज्यादा मार गरीब मजदूर परिवारो पर पड़ेगी.

सरकार द्वारा फैसला लेने से पहले मजदूरो के बारे में एक बार भी नही सोचा गया? उनको उनके घर पहुँचाने के लिए कोई इंतजाम नही किए गए?

गरीब हर दिन जिंदगी बचाने के लिए लड़ाई लड़ता है. कुछ लोग तर्क देंगे कि सरकार को कड़े फैसले लेने पड़ते हैं. इंसान को गुलाम बनाने के पीछे यही तर्क तो काम करता है.

लेखक: कपिल सूर्यवंशी

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2 thoughts on “Lockdown बच्चे को गोद में लेकर 600 किलोमीटर पैदल जाने को मजबूर हुए मजदूर”

    • कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं हैं मगर कुछ कंडीशन में आप मांग कर सकते हैं. जिसके बारे में जल्द ही बतायूँगा

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