भारत बंद में ट्रेड यूनियन का प्रदर्शन, कृषि कानून व लेबर कोड वापसी की मांग?

नोएडा: आज किसान विरोधी कृषि कानूनों के खिलाफ एक दिवसीय भारत बंद का आह्वान किया गया था। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर भारत बंद में ट्रेड यूनियन ने भी प्रदर्शन किया। उनके द्वारा केंद्र सरकार से श्रम कानूनों के खात्मे का विरोध जताया गया।

भारत बंद में ट्रेड यूनियन का प्रदर्शन

किसानों के पक्ष में ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं ने एमएसपी की कानूनी गारंटी व् लेबर कोड के वापसी के लिए नोयडा में जुलुस निकाला। जिसमें विभिन्न ट्रेड यूनियन के कार्यकर्ताओं ने संयुक्त रुप से भाग लिया। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आहुत देशव्यापी भारत बंद के समर्थन में नोएडा संयुक्त ट्रेड यूनियंस मोर्चा द्वारा नोएडा हरौला लेबर चौक से जलूस निकालकर सेक्टर- 6, नोएडा पुलिस उपायुक्त कार्यालय के लिए नारा लगाते हुए निकला।

विरोध प्रदर्शन में आंदोलकरियों ने तीनों काले कृषि कानून वापस लो, डीजल, पेट्रोल व रसोई गैस के दामों को आधा करो, श्रमिक विरोधी नए लेबर कोड़ वापस लो, बेलगाम महंगाई पर रोक लगाओ आदि नारे लगा रहे थे। इस जुलूस में मोर्चा के ट्रेड यूनियन के सभी घटक संगठनों इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, यूटीयूसी, टीयूसीआई आदि के कार्यकर्ता शामिल हुए।

इस देशव्यापी प्रदर्शन में इंटक के तरफ से डॉक्टर के. पी. ओझा, एटक से नईम अहमद, एचएमएस से आर.पी. सिंह चौहान, सीटू से गंगेश्वर दत्त शर्मा, राम सागर, भरत डेंजर, विनोद कुमार, पूनम देवी, टी.यू.सी.आई. से उदय चंद्र झा, यू.टी.यू.सी. से सुधीर त्यागी, सुभाष गुप्ता, एक्टू से अमर सिंह शामिल हुए।

नोयडा पुलिस ने जुलूस को तुलसी जर्दा के सामने सेक्टर- 2, में ही बैरिकेड लगाकर रोक दिया। पुलिस द्वारा रास्ते में रोके जाने पर वही जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी गई। जिसके बाद जुलुस सभा में तब्दील हो गई और वक्ताओं ने जुलूस में शामिल लोगों को संबोधित किया। जिसमें उनके द्वारा मोदी सरकार द्वारा लाए तीन कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताया गया। इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा पारित चार श्रम कोड को मजदुर विरोधी बताया। उनलोगों ने देश के सरकारी व सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण करने व उसे ओने पौने दामों में बेचे जाने की सरकार के फैसलों की कड़ी निंदा की।

सभी ने संयुक्त रुप से किसान विरोधी कृषि कानूनों व मजदूर विरोधी चार श्रम कोड को वापस लेने हेतु प्रदर्शन स्थल पर ही पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को प्रधानमंत्री भारत सरकार एवं मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को संबोधित ज्ञापन सौंपा। जिसके बाद सभा समाप्ति की घोषणा की गई।

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