आनंद विहार समेत देश के 6 रेलवे स्टेशनों पर जल्द ही प्राइवेट कंपनी के जिम्मे

अब आनंद विहार रेलवे स्टेशन के सफाई से लेकर टिकट खरीदने तक का काम प्राइवेट कम्पनी देखेगी. इसके रेलवे ने आनंद विहार समेत 6 और रेलवे स्टेशन के इंट्रीगेटेड मैनेजमेंट निजी कम्पनी को सौपने का फैसला किया है. रेलवे विभाग ने प्राइवेट कम्पनी को चुनने के लिए टेंडर भी जारी कर दिया है.
उम्मीद जताई जा रही है कि इसी साल मार्च के अंत तक फैसला हो जायेगा. ऐसे में जून तक सभी काम प्राइवेट कम्पनी के जिम्मे हो जायेगा. यही नहीं बल्कि आने वाले दिनों में आनंद विहार रेलवे स्टेशन के आसपास प्राइवेट कम्पनियो के मदद से हाउसिंग कॉलोनी भी तैयार किये जायेंगे.
ऐसे इसके बारे में अथॉरिटी के अधिकारियों ने साफ किया है कि आनंद विहार से ट्रेन ऑपरेशन पूरी तरह से रेलवे के हाथ में ही रहेगा. सिर्फ नॉन कोर गतिविधियों की जिम्मेदारी ही प्राइवेट कंपनी को दी जाएगी. रेलवे स्टेशन डिवेलपमेंट अथॉरिटी के एमडी एस. के. लोहिया के मुताबिक इसके तहत रेलवे स्टेशन की साफ-सफाई के अलावा वहां लगने वाले डायरेक्शनल बोर्ड, ट्रेनों के आनेजाने की जानकारी देने वाले डिस्प्ले बोर्ड, लाइटिंग, पब्लिक अड्रेस सिस्टम, शौचालय, कियॉस्क, पार्किंग और प्लैटफॉर्म टिकट वितरण की जिम्मेदारी चुनी गई कंपनी की ही होगी.

निजीकरण के इस फैसले को अथॉरिटी के अधिकारियों ने सही बताते हुए कहा कि प्राइवेट कंपनी के जरिए इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट के फैसले से यात्री सुविधाओं को और बेहतर किया जा सकेगा. मसलन, अभी प्लैटफॉर्म टिकट के लिए लंबी लाइनों में लगना पड़ता है लेकिन नई व्यवस्था से प्लैटफॉर्म टिकट आसानी से मिल सकेगा. इसी तरह से साफ-सफाई से लेकर रखरखाव तक की जिम्मेदारी भी प्राइवेट कर्मचारियों की होगी, लेकिन रेलवे ट्रैक या रेल सिस्टम से जुड़ी चीजों का रखरखाव रेलवे के पास ही रहेगा.

इस रिपोर्ट के अनुसार अथॉरिटी ने कहा है कि वो कोर एक्टिविटी को प्राइवेट कंपनी को नहीं दे रहें मगर साफ़ सफाई और बिना टिकटिंग के रेल चल नहीं सकता तो इसको कोर एक्टिविटी नहीं तो क्या कहेंगे? यह दोनों या अन्य सभी अन्य काम बारह महीने चलने वाला है. देश के लेबर कानून के मुताबिक लगातार चलने वाले काम को आउटसोर्स या ठेके पर नहीं दिया जा सकता है.

एक तरह से देखें तो धीरे-धीरे एक-एक विभाग को निजी हाथों में दिया जा रहा है. इससे आने वाले दिनों में सरकारी नौकरी में कटौती होना वाजिब बात है. अब निजी कंपनी औने- पौने दाम में मजदूरों को निचोड़ेगा और उनसे 8-10 हजार में 12 घंटे हाडतोड़ मेहनत करवायेगा.

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