दिनांक 21 मार्च 2016 दिन सोमवार को रेलमंत्री श्री सुरेश प्रभु जी का आगमन आईआरसीटीसी के कॉर्पोरेट ऑफिस में हुआ. सभी कर्मचारीगण का अनुमान था कि कर्मचारियों के मुद्दे पर सज्ञान लिया जाना तय है.
विदित हो कि भारत सरकार के रेल मंत्रालय के उधम इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेटशन लिमिटेड (आईआरसीटीसी) के ई-टिकटिंग यूनिट कर्मचारीगण पिछले डेढ़ महीने से मैनेजमेंट के द्वारा 92 कर्मचारियों के गैर कानूनी टर्मिनेशन के खिलाफ आईटी सेंटर के गेट पर धरने पर है. उलटे इधर E-Catering IRCTC में काम करने वाले 16 ठेका कर्मचारियों की नौकरी छीन ली.
जो कि आईआरसीटीसी मुख्यालय स्टेट्समैन हॉउस से महज 1 किलोमीटर से भी कम दूरी स्टेट इंट्री रोड पर अवस्थित है. हमारे साथीगण काफी उत्साहित थे कि मंत्री महोदय अपने बहुमूल्य समय से समय निकालकर हमारे धरना स्थल पर जरूर आयेंगे और हमारी समस्याओं को सुनकर दूर करेंगे.
मगर मंत्री साहब तो धरना स्थल पर मिलना तो दूर किसी कर्मचारी से बात करना मुनासीब नही समझा. कर्मचारियों ने भी धैर्ज का परिचय देते हुए. अपने धरना स्थल पर शांतिपूर्वक बैठे इंतजार करते रह गये. खैर किसी कर्मचारी से या कर्मचारी प्रतिनिधि से बात किये बिना मंत्री महोदय बोर्ड मेम्बर के साथ मीटिंग कर प्रस्थान कर गये.
जैसा कि आजकल हर रोज मिडिया में खबर आती है कि रेल मंत्री और प्रधानमंत्री महोदय ने फलां यात्री/व्यक्ति की ट्विटर पर शिकायत का तुरंत सज्ञान लेकर कारवाई किया. मगर आईआरसीटीसी के 10 से 12 बाथरूम रोक का खिलाफत करने वाले महिला व् पुरुष कर्मचारियों के हजारों ट्वीट रेलमंत्री, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री दिल्ली सरकार, अध्यक्ष दिल्ली महिला आयोग इत्यादि ने कोई जबाब देना मुनासिब नही समझा.
ऐसे तो मोदी और केजरीवाल सरकार महिला सशक्तिकरण का ढोल पिटते हुए नही थकती है, मगर देश की राजधानी दिल्ली में बहन बेटियों को बेईज्जत करने वाले नौकरशाहों को बचाने में कोई कसर नही छोड़ा है. भले ही प्रभु जी कर्मचारियों ने नही मिले. मगर उनके जाते ही मोदी मॉडल के नाम पर ई-कैटरिंग में काम करने वाले 16 ठेका कर्मचारियों की नौकरी छीन ली गई.
दिनांक 23 मार्च 2016 को श्री पी.सी.बिहारी डी.जी.एम. आईआरसीटीसी ने डीए डिजिटल (ठेकेदार) नोटिस जारी कऱ तत्काल प्रभाव से 16 कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट समाप्त होने का हवाला देते हुए नौकरी से निकाल दिया है. मगरूर प्रबंधन के अधिकारियों ने नौकरी छीनते हुए इतना भी नही सोचा कि होली के त्योहार में वर्षों से बिना कोई शिकायत के काम करने वालों कर्मचारियों को बोनस/ईनाम दिया जाता है. खैर हमेशा ये ऊपर के आदेश का हवाला देते है.
अभी रेल बजट में आईआरसीटीसी को कैटरिंग दुबारा से वापस मिला है. अभी आईआरसीटीसी को कैटरिंग का काम मिलने से कर्मचारियों की जरूरत होनी चाहिए, फिर कर्मचारियों की नौकरी क्यों छिनी जा रही है. आखिर लगातार चलने वाले काम को धरल्ले से आउटसोर्स क्यों किया जा रहा है. अगर मंत्री महोदय को कैटरिंग सेवा आईआरसीटीसी को देकर ठेका पर ही चलाना था तो यह काम तो ऐसे पहले भी रेल मंत्रालय भी कर ही रही था.
आखिर ठेका के गोरखधंधा में कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है. एक तरफ तो सरकार केन्द्रीय कर्मियों को डीए और सांतवें वेतन आयोग का लाभ दे सकती है. मगर उनके वर्षों से उनके “समान काम” करने वाले ठेका कर्मचारियों को मात्र मिनिमम वेजेज से सन्तोष करना पड़ रहा है.
आज पुरे देश में इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन के रिपोर्ट के अनुसार 1 करोड़ 25 लाख सरकारी कर्मचारियों में केवल लगभग 69 लाख कर्मचारी ठेके पर काम करते है. आखिर केंद्र व् राज्य सरकार समान योग्यता व् अनुभव होने के कारण सौतेला व्यवहार क्यों कर रही है. अब सरकार से आशा करना व्यर्थ है और कर्मचारियों को एकजुट होकर सड़क का आंदोलनात्मक कारवाई से ही हक मिल सकता है.
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