नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा ने शुक्रवार को सरकारी स्कूलों में आने वाले समय में स्थायी और अतिथि शिक्षकों की भर्ती में दिल्ली के विश्वविद्यालयों से पास होने वालों को 85 फीसद आरक्षण संबंधी प्रस्ताव पारित किया. हालांकि, प्रस्ताव पर जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि यह प्रावधान वर्तमान में 9500 पदों पर की जा रही गेस्ट टीचर्स की भर्ती में लागू नहीं हो पाएगा क्योंकि इसके लिए भर्ती नियमों में बदलाव की जरूरत है, जोकि एक लंबी प्रक्रिया है.
गेस्ट टीचर्स का विभागीय परीक्षा
क्या हुआ तेरा वादा ?
आपको याद दिला दें कि ठेका वर्कर को मुद्दा बनाकर सत्ता में आयी केजरीवाल सरकार ने अक्टूबर 2016 में दिल्ली में संविदा पर काम कर रहे हजारों कर्मचारियों को नियमित करने के लिए सभी विभागों से ऐसे कर्मचारियों को नियमित करने के लिए 15 नबंवर तक प्रस्ताव दाखिल करने को कहा था. दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में करीब 50,000 कर्मचारी ठेके पर काम कर रहे हैं. इसके अलावा दिल्ली के सरकारी स्कूलों में करीब 16,000 अतिथि शिक्षक हैं. इसके आलावा संविदा पर काम कर रहे इन कर्मचारियों में नर्स से लेकर सफाई कर्मचारी तक शामिल हैं. जिनको परमानेंट करने कि बात चल रही थी.
अब अचानक उन्ही पदों के लिए भर्ती निकाला जाना क्या न्योचित होगा? जिनपर पहले से कर्मचारी ठेका पर काम कर रहे है. हाँ जो पहले से काम कर रहे है उनको उम्र सीमा में छूट और सेवा के आधार पर कुछ पॉइंट्स का प्रावधान रखा गया है. जिसका विरोध करने के करने के बजाए वर्करों ने और ज्यादा पॉइंट्स दिए जाने कि मांग की. इससे सरकार को समझ आ गया कि उन्होंने वर्करों का ध्यान चुनावी वादों से हटाने में सफल हो गए. अब चाहे वेटेज की बात हो या स्थायी और अतिथि शिक्षकों की भर्ती में दिल्ली के विश्वविद्यालयों से पास होने वालों को 85 फीसद आरक्षण संबंधी प्रस्ताव, यह केवल केजरीवाल सरकार द्वारा ठेका वर्कर को नियमित करने के वादों को ढंकने का प्रयास मात्र है.
इतना तो तय है कई अपना यह चुनावी वादा पूरा करने में अभी तक पूरी तरह नाकाम रहें है. मगर वर्कर कैसे भूल गए कि जैसे ही भर्ती कर इनके कर्मचारी आ जायेंगे वैसे ही उनको काम से बाहर का रास्ता दिखा दिया जायेगा. यह 100% सत्य है कि यह भर्ती परीक्षा उनको नौकरी से बाहर का रास्ता दिखने के लिए ही आयोजित हो रही है.
अगर ऐसा नहीं तो आप ही सोचें कि पिछले 8-10 वर्षों से आप स्कुल में बच्चों को ABCD…. 1234… या उनको पाठ्य पुस्तक के पाठ्यकर्म पढ़ा रहे है. मगर आपसे पूछे जाने वाले सवाल इस का इस से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं होगा. इससे भी बड़ी बात कि आपका मुकाबला अभी के पासआउट स्टूडेंट्स के साथ होगा. जो कि आपसे ज्यादा अपटुडेट होंगे. जबकि आपके प्रतियोगिता परीक्षा का किताब छोड़े 8-10 वर्ष बीत चुकें. ऐसे में क्या आपको नहीं लगता कि आपकी मांग विभागीय परीक्षा लेकर आपको नियमित किया जाना होना चाहिए.? सोचियेगा….
सर्वश्रेष्ठ हिंदी कहानियां, लेख और प्रेरणादायक विचार के विजिट करें- हिंदी चौक डॉट कॉम
यह भी पढ़ें-