मगर अब जब मेट्रों में काम करने वाले मजदूरों से बात करता हूं तो पता चलता है कि अरे यह कहानी नहीं, यह तो हकीकत है. गांव से पेट पालने आये, बिना किसी रिकॉर्ड के काम करने वाले मजदुर अगर मिट्ठी के सुरंग में दब जाए तो उनको पूछने वाला कोई नहीं होता. दिल्ली मेट्रों ठेकेदार के नीचे ठेकेदार रखकर काम करवाता है. जिसको पेटी कांट्रेक्टर बोला जाता है. यह तो स्वाभविक सी बात है कि हर ठेकेदार को मुनाफा कामना है. अब ऐसे में ठेकेदार वह गिट्टी, बालू, छड़ के दाम बाजार से कम तो करा सकता नहीं तो अपने फायदे के लिए तो वह मजदूर का शोषण ही करेगा.
अनीस चौधरी की ईलाज के दौरान 2 नवम्बर 2017 मृत्यु हो गई
इस तरह की जानकारी तो हर किसी के पास होगी. मगर अगर कोई परमानेंट भर्ती के द्वारा मेट्रों में लगा हो और उसके साथ ऐसा ही व्यवहार हो तो इसको क्या कहेंगे? ऐसा ही कुछ वाकया अनीस चौधरी के साथ भी हुआ है. उनके बारे में बताया जाता है कि जून या जुलाई में दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड में तकनीशियन के तौर पर भर्ती हुए थे. वो राजस्थान झुंझुनू के मूल निवासी थे.
जिसके बाद वो ट्रेनिंग पर थे. अभी 28/29 अक्टूबर 2017 कि मध्य रात्रि को फरीदाबाद के रिसीविंग सब स्टेशन पर कार्य करते समय घातक 25000 वोल्टेज का झटका लगा. जिसके बाद उनकों गंगा राम अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जहां की ईलाज के दौरान 2 नवम्बर 2017 को उनकी मृत्यु हो गई.
अनीस चौधरी को 25 हजार वोल्ट वाले सेक्शन में चढ़ा दिया.
स्वर्गीय चौधरी को पावर सप्लाई आइसोलेशन (पी.एस.आई.) विभाग में दिनांक 22 अगस्त, 2017 को आवंटित किया गया था. अनीश की करीब 20 से 25 दिन की जनरल रूल्स की ट्रेनिंग हुई तथा ट्रैक्शन विभाग की ट्रेनिंग मात्र से 10 से 12 दिन की ही हुई थी. अब मात्र 3 महीने की नौकरी करने वाले नए ट्रेनी कर्मचारी को चार्ज आइसोलेटर पर चढ़ा देना लापरवाही नहीं तो क्या है?
अरे भाई कर्मचारी अभी नया है और उसको पूरी तरह इलेक्ट्रिकल सिस्टम की जानकारी नहीं है. उसको 25 हजार वोल्ट वाले सेक्शन में चढ़ा दिया जाता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा. सूचना के अनुसार कर्मचारी 45% जल गया था.
दोषी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई जाए : यूनियन
दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन एम्प्लाइज यूनियन के अनुसार कर्मचारी ट्रेनिंग में ही था और बिना किसी सिस्टम को समझाये उससे काम लेने के हड़बड़ी में आइसोलेटर पर चढ़ा दिया जाता है. तत्पश्चात करेंट लगने से युवक जल जाता है. जबकि पहल ट्रेनी को पहले सिस्टम के बारे में समझाया जाता है और पढ़ाया जाता है कि कैसे काम करना है और किन-किन सावधानियों का पालन करना है.
लेकिन प्रबंधन के नजर में तेज तर्रार अधिकारी अपने आप को श्रेष्ठ घोषित करने के चक्कर में कर्मचारियों की जिंदगी दाव पर लगा रहे हैं. यूनियन ने मांग उठाया कि इसके दोषी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई जाए.
मेट्रों में शायद कोई रोने वाला भी बचेगा
इसके खिलाफ कर्मचारियों में काफी रोष है. युवक कमर्चारी के साथ इस हादसे के बाद से ही लगातार प्रदर्शन और कैंडिल मार्च आयोजित किये जा रहे हैं. मगर प्रबंधन बेखबर है. इधर जानकारी के अनुसार यूनियन के महासचिव श्री महावीर प्रसाद ने अनुज चौधरी के परिवार के लिए मुआवजा में दो करोड़ की राशि के साथ ही पूरी सैलरी देने की मांग की है. अब ऐसे में हमें नहीं लगता कि बिना मेट्रो के रुके प्रशासन इनकी बात मानेगा. ऐसे भी दिल्ली पुलिस का हाल किसी से छुपा नहीं है.
नजीब के मामले में दिल्ली पुलिस और सीबीआई दोनों फेल हो चुकी है. बाकि प्रबंधनों के तरह ही मेट्रो पूरी कोशिश करेगा गुनहगार अधिकारी को बचा लें. अब ऐसे में हर कर्मचारी का फर्ज बनता है कि अनीश चौधरी के परिवार वालों का उनके न्याय की लड़ाई में साथ दें. अभी तो कम से कम मेट्रो में परमानेंट कर्मचारी की कुछ संख्या बची है. मगर जिस तरह से सारे सिस्टम ऑटोमेटेड होते जा रहा हैं और ऐसे में अगर कल उनके साथ अगर कोई हादसा हो जाता है तो मेट्रों में शायद कोई रोने वाला भी बचेगा.
मोदीजी करेंगे न्याय?
आज दिल्ली मेट्रो की मजेंटा लाइन के उद्घाटन पीएम मोदी करने वाले हैं. उद्घाटन समारोह में दिल्ली के मुख्यमंत्री को निमंत्रण नहीं देकर दिल्ली मेट्रों ने साबित कर दिया कि मेट्रो प्रबंधन पर दिल्ली सरकार से ज्यादा केंद्र सरकार का दबदबा है. अब ऐसे में मोदी जी को भी सज्ञान में देकर अनीश चौधरी के साथ न्याय की गुहार लगाकर भी देख लेना चाहिए.
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Metro est india company ki tarah lutero number one sector hai. Kiraya badane se aam janta se dur ho gayi hai aur saabit kara hai ki woh keval elite class ke liye hi hai. Upar se workers k exploitation kisi se chupa nahi hai.
लोगों को हकीकत पता चलना चाहिए