Bihar Badh Fasal Sahayata पटोरी प्रखंड के किसान हुए वंचित

Bihar Badh Fasal Sahayata- बिहार सरकार के कृषि विभाग के द्वारा नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण आये बाढ़ से हुई प्रभावित फसल क्षति हेतु आवेदन 22 अगस्त 2025 से शुरू है। जबकि पटोरी प्रखंड के किसानों को इससे वंचित रखा गया है। जिससे उनमें काफी रोष है और नागरिक संघर्ष मोर्चा के तरफ से बिहार सरकार को शिकायत भेजी गई है।

Bihar Badh Fasal Sahayata पटोरी प्रखंड

समस्तीपुर जिले के पटोरी अनुमंडल अंतर्गत पटोरी प्रखंड, मोहनपुर प्रखंड, मोहिउद्दीन नगर प्रखंड के ज्यादातर गांव गंगा के किनारे बसे हुए हैं। जिसके कारण हर किसानों को भी बाढ़ से फसल नुकसान का सामना करना पड़ता है। अभी 22 अगस्त 2025 को कृषि इनपुट अनुदान योजना-(2025-26) के तहत पटोरी प्रखंड अंतर्गत पंचायत के किसानों के साथ भेदभाव का आरोप सुरजीत श्यामल, संयोजक, नागरिक संघर्ष मोर्चा ने लगाया है।

किसानों का भारी फसल का नुकसान

सुरजीत ने बताया कि पटोरी अनुमंडल अंतर्गत तीन प्रखंड क्रमशः पटोरी, मोहनपुर व मोहिउद्दीननगर के ग्रामीम पूर्णतः कृषि पर निर्भर हैं। जबकि अभी गंगा नदी में जलस्तर बढ़ जाने से सहायक नदी बाया से होते हुए पटोरी प्रखंड के धमौन, तारा-धमौन, छोड़हियां, चकसीमा, शिउरा, दरबा चौड़ आदि में बाढ़ का पानी के आने से किसानों का भारी फसल का नुकसान हुआ है। जबकि दूसरी तरफ नीचे टेबल में दिए पंचायत के किसान उक्त लाभ ले सकते हैं।

Bihar Badh Fasal Sahayata

अगर आप ऊपर दिए पंचायत के किसान हैं ऐसे में कृषि इनपुट अनुदान योजना-(2025-26) के तहत आप कृषि विभाग के ऑफिसियल वेबसाइट पर क्लिक कर आवेदन कर सकते हैं।

कृषि इनपुट अनुदान योजना-(2025-26) के तहत शारदीय (खरीफ) 2025-26 मौसम में अतिवृष्टि या नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण आये बाढ़ से हुई प्रभावित फसल क्षति हेतु आवेदन की तिथि 22 अगस्त 2025 से 5 सितम्बर 2025 तक रखा गया हैै। जिसमें समस्तीपुर जिले में पटोरी प्रखंड को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में शामिल ही नहीं किया गया है। जिससे पटोरी प्रखंड के अंतर्गत किसान उक्त योजना के तहत लाभ लेने से वंचित रह जायेंगे। जबकि वो पूर्णतः खेती पर ही निर्भर है।

सुरजीत श्यामल ने बिहार सरकार से पटोरी प्रखंड के किसानों को भी बाढ़ से फसल नुकसान के मुआवजा के लिए आवेदन करने का अवसर के साथ आवेदन का समय बढ़ाने की भी मांग की है। जिससे पटोरी प्रखंड के किसानों में एक आश जगी है। अब देखना है कि नीतीश कुमार सरकार इस पर कब तक संज्ञान लेती है।

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