बिहार संविदा कर्मचारी नियमितीकरण पर सदन में भूमि राजस्व मंत्री ने क्या कहा

पिछले कई वर्षों से बिहार संविदा कर्मचारी नियमितीकरण की माँग करते आ रहे हैं. जिसके लिए विगत वर्ष कमेटी भी गठित की गई. जिसके द्वारा बिहार राज्य सरकार में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले नियोजनकर्मियों की सेवा का विस्तार 60 वर्ष की आयु तक करने की सिफारिश की गई. मगर दुबारा से सत्ता में आई सरकार के भूमि राजस्व मंत्री ने के सदन में बिहार संविदा कर्मचारी नियमितीकरण मामले पर पर यूटर्न ले लिया है. जिसके अनुसार वो अब नियमित नहीं किये जायेंगे. आइये पुरे मामले को विस्तार से जानते हैं.

बिहार संविदा कर्मचारी नियमितीकरण

बिहार के सरकारी विभागों में दो तरह के कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी (Contract Employees) काम करते हैं. एक को तो डायरेक्ट सरकारी विभागों के तरफ से न्युक्ति की सारी प्रक्रिया पूरी कर रखा गया है. जो कि पिछले 12-14 वर्षों से लगातार सेवायें दे रहे हैं. जिनकी संख्या हजारों-लाखों में है. वो मौजूदा कानून के अनुसार बिहार सरकार के कर्मचारी ही हैं. जबकि उनको कम वेतन, सुविधाएँ आदि देने के लिए आर्टिफिशल तरीके से संविदा पर दिखाया गया है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार कम पैसे पर काम करवाना मानवीय गरिमा के खिलाफ है.

दूसरे वो जिनको बेल्ट्रॉन नामक ठेकेदार के माध्यम से नियुक्ति किया गया है. जबकि बेल्ट्रॉन खुद बिहार सरकार का ही एक पीएसयू है. जब भी किसी भी बिहार सरकार के विभाग में कर्मचारी की जरूरत होती है. वह बेल्ट्रॉन से कर्मचारी की मांग करता है. ऐसे में बेल्ट्रॉन चालाकी से एक प्राइवेट एजेंसी “उर्मिला इंटरनेशनल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड” से कर्मचारी लेकर दे देता है. यह सब कागजों पर होता है, मगर हकीकत यह है कि सारी न्युक्ति की प्रक्रिया सरकारी विभागों के अधिकारियों द्वारा छुपे ढंग से किया जाता है.

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जिसके बाद दोनों मिलकर कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी के सैलरी पर मोटी कमीशन लेते हैं. बिहार भाषा में समझिये कि “माल महाराजा का मिर्जा खेले होली” मतलब काम करे “कॉन्ट्रैक्ट वर्कर” और बेलट्रॉल और उर्मिला बैठे-बैठे कमीशन खा ले. बिहार सरकार के तरफ से एक कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी के सैलरी के नाम पर जितना निकासी होता. वह बिना मतलब के रास्ते में बँटते-2 एक कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी तक उतना भी नहीं पहुँच पाता. जितने से एक कॉन्ट्रैक्टकर्मी के परिवार का सही से पेट भर सके.

हालाँकि, बेलट्रॉल के द्वारा बिहार सरकार के विभिन्न विभागों में काम करने वाले कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी लम्बे समय से नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं. लेकिन, वो इस बात से अंजान हैं कि उनको बड़े ही चालाकी और आर्टिफीसियल तरीके से बेल्ट्रॉन ने किसी थर्ड पार्टी का कर्मचारी दिखा दिया है. ऐसे में उनको पहले यह साबित करना होगा कि वो या तो सरकारी विभाग/बेलट्रॉल के कर्मचारी हैं. अगर लेबर कोर्ट के द्वारा इन दोनों में से किसी का भी कर्मचारी साबित किये जाते हैं तो दोनों हाथों में लड्डू है. वह इसलिए कि दोनों ही विभाग बिहार सरकार का सरकारी विभाग है.

संविदा कर्मचारी नियमितीकरण बिहार 2021

अब आते हैं असल मुद्दे पर, बिहार सरकार ने एक बार फिर से बिहार संविदाकर्मियों के नियमितीकरण पर यूटर्न ले लिया है. बिहार सरकार के तरफ से सदन में भूमि राजस्व मंत्री ने कहा कि संविदाकर्मियों को स्थाई नहीं किया जायेगा. जबकि बिहार सरकार के भूमि सुधार और राजस्व विभाग करने वाले संविदाकर्मी आस लगाए बैठे हैं. बिहार विधानसभा में भूमि सुधार और राजस्व मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं हैं.

बिहार विधान सभा में मंत्री महोदय ने आगे कहा कि अभी अमीनों की बहाली की प्रक्रिया चल रही है. जिसमें संविदा कर्मियों को वेटेज दिया जा रहा है. विभाग में काम करने वाले संविदाकर्मियों को 5 साल की सेवा पर वेटेज दिया जा रहा है. मगर उनकी सेवा नियमित करने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है.

विभिन्न न्यूज पोर्टल पर मिली जानकारी के अनुसार विपक्ष के तरफ से 10 साल तक सेवा करने वाले संविदा कर्मचारियों (Contract Employees) को वेटेज देने की माँग उठाई थी. जिसके बारे में सरकार के तरफ से कहा गया कि 5 साल से ज्यादा का वेटेज नियमित बहाली प्रकिया में नहीं दिया जा सकता है.

हमारी पूर्व के जानकारी के अनुसार बिहार सरकार के द्वारा प्रत्येक वर्ष के संतोषजनक सेवाओं के लिए अधिकतम पांच अंक सालाना की दर से अधिकतम 25 अंकों का वेटेज दिया जायेगा. इसके साथ ही नियोजनकर्मी के सेवा के अनुसार अधिकतम आयु सीमा में भी छूट की बात कही गई थी. हालाँकि, यह सरासर नाइंसाफी है. पिछले 12-14 साल से आपके विभाग में काम करने वाले अभी के पासऑउट कैंडिडेट से कैसे मुकाबला कर सकते हैं? बल्कि, उनको ऐसे ही पक्का किया जाना चाहिए. वो काम करने लायक हैं तभी तो पिछले 12-14 साल से काम कर रहे.

अशोक चौधरी रिपोर्ट बिहार pdf 2020

जबकि दूसरी तरफ एक वर्ष पूर्व बिहार सरकार ने नियोजितकर्मियों के सेवा नियमित करने के संबंध में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था. जिस समिति के अध्यक्ष अशोक कुमार चौधरी ने मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को रिपोर्ट सौपी थी. जिसके अनुसार बिहार सरकार के सरकारी कार्यालयों में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले Data Entry Operator और बोर्ड, निगम व प्राधिकारों में तैनात नियोजितकर्मी की सेवाएं 60 वर्ष तक के लिए की गई थी. इसका मतलब वो संविदा पर ही होंगे मगर कॉन्ट्रैक्ट रिनुअल नहीं किया जायेगा. इसके साथ ही उनको हर साल सैलरी इंक्रीमेंट के साथ स्थाई कर्मचारी के तरह अन्य लाभ दिए जायेंगे.

बिहार संविदा कर्मी लेटेस्ट न्यूज़ today 2021

जिसको एक बार फिर से बनी नितीश सरकार ने मगर चुनाव में वोट लेकर जनवरी 2021 में बदल दिया है. जिसके बाद कह दिया कि “किसी भी संविदाकर्मी को 1 महीने के नोटिस पर नौकरी से निकाला जा सकता है.” हालाँकि, इस पर विपक्षी दलों ने काफी विरोध किया. मगर जिसके अधिकारों पर हमला हुआ. वो संविदाकर्मी चुप रहें.

एक तरह से उनकी जॉब सिक्योरिटी खतरे में है. विभाग द्वारा जब चाहे उनके थोड़ी से गलती से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. मगर वो अपने धुन में मगन हैं. ऐसा इसलिए कि इस कानून का गजट नोटिफिकेशन जारी करने के दूसरे ही दिन नेताओं ने मौखिक विश्वास दिलाया कि किसी को भी नहीं निकाला जायेगा. उनको नेताजी से पूछना चाहिए था न कि जब निकाला नहीं जायेगा तो ऐसा कानून क्यों बनाया गया?

बिहार संविदा कर्मचारी नियमितीकरण पर सदन में भूमि राजस्व मंत्री ने क्या कहा, जानिए

अब यह वही बात हुई न कि आपकी जमीन बाबूजी ने किसी और को लिख दी और कह रहे हैं कि तुमको यहाँ से कोई नहीं निकलेगा. आप तो पढ़े लिखें हैं और कहावत भी सुने होंगे कि “लिखतम के आगे वक्तम का कोई वैल्यू नहीं होता”. आप आज चुप रहेंगे जिसका नतीजा आपको भविष्य में देखने को मिलेगा.

आज आप युवा हैं, आपमें जोश है. आप लड़ सकते हैं. कल आपके ऊपर परिवार की जिम्मेदारी बढ़ेगी तो बोल भी नहीं पायेंगे. ये आपको दूध में मक्खी की तरह निकाल फेकेंगे. हम तो बस इतना ही कहना चाहेंगे कि वर्तनाम सरकार पीपीपी मॉडल (निजीकरण) की पक्षधर है. ऐसे में आपको परमानेंट क्यों किया जायेगा? इसका जवाब मिले तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर बताइयेगा. आपके कमेंट का इंतजार रहेगा.

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