नई दिल्ली: सीआरपीएफ की महिलाकर्मी शर्मिला यादव ने असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के पद के लिए विभागीय परीक्षा दी थी. उस परीक्षा को उन्होंने पास भी कर लिया, मगर जब 2011 में प्रमोशन की लिस्ट आई तो उसमें उनका नाम नहीं था. जब इसके बारे में उन्होंने पता किया तो पता चला कि उन्हें मेडिकल लेवल पर अयोग्य घोषित कर दिया गया क्योंकि वो प्रेग्नेंट थी. जिनको हाईकोर्ट में जीत मिली है.
CRPF ने गर्भवती होने के कारण परमोशन नहीं दिया
आज हम डिजिटल दुनिया चांद और तारे की बात करते हों, मगर कुछ मामले में हम वही के वही हैं. ऐसे देखे तो हर क्षेत्र में महिलाये पुरुषों के कदम से कदम मिलकर देश को तरक्की के पथ पर ले जाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही तो दूसरी तरफ अभी भी उनके साथ भेदभाव होना आम है.
कुछ ऐसा ही हुआ CRPF की महिलाकर्मी शर्मिला यादव के साथ. आइये जानते हैं कि आखिर उनका विभाग ने परमोशन की परीक्षा पास कर लेने के बाद भी गर्भवती होने के कारण परमोशन नहीं दिया और आयोग घोषित कर दिया? जबकि उन्होंने परमोशन के लिए अन्य स्टाफों की तरह परीक्षा पास किया था.
सीआरपीएफ की महिलाकर्मी शर्मिला यादव ने असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के पद के लिए विभागीय परीक्षा दी थी. उस परीक्षा को उन्होंने पास भी कर लिया, मगर जब 2011 में प्रमोशन की लिस्ट आई तो उसमें उनका नाम नहीं था. जब इसके बारे में उन्होंने पता किया तो पता चला कि उन्हें मेडिकल लेवल पर अयोग्य घोषित कर दिया गया क्योंकि वो प्रेग्नेंट थी. जिनको हाईकोर्ट में जीत मिली है.
उनकी जगह किसी और को प्रमोशन दे दिया गया. इससे वो हतास नहीं हुई बल्कि अपने साथ हुए भेदभाव के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर दी. जिसके बाद कोर्ट ने सीआरपीएफ को जमकर फटकार लगाई और प्रमोशन पर लगाई रोक को रद्द करने का ऑर्डर दिया.
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और नवीन चावला ने बताया कि गर्भवती होने के आधार पर भेदभाव कर प्रमोशन रोकना एक घिनौनी मानसिकता है, ये लिंग के आधार पर भेदभाव करने जैसा है.
माननीय कोर्ट ने कहा कि ऐसा करना सिद्धांतों का उल्लंघन है. महिला का हक है कि वो ड्यूटी के दौरान भी मां बन सकती है और ऐसी स्थिति में विभाग उसके साथ भेदभाव नहीं कर सकता है.
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