सुप्रीम कोर्ट ने बिहार नियोजित टीचर के समान वेतन के मामले में फैसला सुनाया

आज सुप्रीम कोर्ट में बिहार नियोजित टीचरके समान काम का समान वेतन के मामले का अहम् फैसला सुनाया गया. इस फैसले का इंतजार पिछले एक वर्ष से ज्यादा से सूबे के तक़रीबन पौने चार लाख शिक्षक परिवार कर रहे थे. मगर अफसोस सुप्रीम कोर्ट ने उनको झटका देते हुए बिहार सरकार की अपील मंजूर करते हुए पटना हाई कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया है.

बिहार नियोजित टीचर समान वेतन मामले में फैसला

पटना हाईकोर्ट ने दिनांक 31.10.2017 को 3.50 लाख बिहार नियोजित टीचर के लिए “समान काम का समान वेतन” लागू करने का आदेश जारी किया. इसके साथ ही नियोजित शिक्षकों को 2013 से एरियर भुगतान करने को भी कहा था. जिसको बिहार सरकार द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. जिसकी पुरे 8 महीने लगभग 20 से अधिक सुनवाई चलने के बाद अक्टूबर 2018 में फैसला सुरक्षित रख लिया गया था.

तक़रीबन सात महीने बाद आने वाले इस फैसले का सीधा असर बिहार के पौने चार लाख शिक्षकों और उनके परिवार वालों पर पड़ेगा. बिहार के नियोजित शिक्षकों का वेतन फिलहाल 18 से 25 हजार है और अगर कोर्ट का फैसला शिक्षकों के पक्ष मे आता, तो माना जा रहा था कि उनका वेतन 35-40 हजार रुपये हो जाता.

इसके आलावा अगर पटना हाईकोर्ट के फैसला बरकरार रहता तो प्रति नियोजित शिक्षक 25-25 लाख का एरियर अलग से मिलता. शिक्षकों की इस लड़ाई में देश के सीनियर वकीलों ने उनका पक्ष कोर्ट में रखा था.

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की अपील मंजूर करते हुए पटना हाई कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया है. जिसके बाद पुरे बिहार के नियोजित शिक्षकों को जोरदार झटका लगा हैं. उनको उम्मीद थी कि उनके साथ सुप्रीम कोर्ट में न्याय होगा, मगर ऐसा हो नहीं सका.
कल जैसे ही केस फैसले के लिए लिस्ट हुआ, ठीक वैसे ही बिहार से नियोजित शिक्षकों के नेता दिल्ली पहुंचने लगें. सभी को लम्बे समय से इस दिन का इंतजार था.
हम भी आज लगभग दोपहर 11:30 बजे सुप्रीम कोर्ट के गेट पर पहुंचे ही थे कि संतोष भाई (नियोजित शिक्षक) गेट पर ही मिल गए. उन्होंने मिलते ही कहा कि हम केस लूज कर गए हैं. सुनकर झटका लगा मगर विस्तार से पता करने सुप्रीम कोर्ट के अंदर पहुंचें. कई शिक्षक बंधुओं से मुलाकात हुई. इस फैसले से सभी के चहरे बुझे हुए थे.

मारे ख़ुशी के साथी डगमगा गए

वहां उपस्थित एक वकील साहब ने बताया कि ललित साहब ने जब यह कहा कि “केस डिसमिस” तो मारे ख़ुशी के हमारे एक वकील साथी डगमगा गए. उन्होंने आगे यह कहा कि इसका मतलब तो यही हुआ कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी तो उनके अपील को खारिज किया गया.
मगर इसके 15-12 सेकेंड बाद जज साहब ने कहा नहीं नहीं, इसका मतलब पटना हाईकोर्ट के फैसला ख़ारिज किया है सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए. सुप्रीम कोर्ट के अहाते में खड़े दूसरे वकील साहब ने कहा कि जज साहब ने तो एक बार सभी को चौका दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार नियोजित टीचर के समान वेतन के मामले में फैसला सुनाया 

ऐसे वहां खड़े वकील साहब ने बताया कि जब तक आर्डर का कॉपी नहीं आ जाता तब तक किस ग्राउंड पर पटना हाई कोर्ट के आर्डर को खारिज किया गया कहना मुश्किल हैं. मगर इतना तय हैं कि इस केस “डिस्पोज़ ऑफ” हो गया मतलब इसमें आगे सुनवाई नहीं होगी. हाँ, अगर आगे आर्डर के हिसाब से संभावना बनी तो फैसले को रिव्यु आदि की प्रक्रिया का प्रावधान हैं.

ऐसे बंशीधर वृजवासी भाई ने बताया कि माननीय कोर्ट ने नियोजित शिक्षक को “डाईंग  कैडर” बताते हुए पटना हाई कोर्ट के आर्डर को खारिज कर दिया हैं. तो वही दूसरे याचिकाकर्ता उपेंद्र जी ने बताया कि हमलोग आर्डर आने पर सोच समझकर आगे की रणनीति तैयार करेंगे.
खैर, हम तो यही कहेंगे कि अभी भी समय हैं. सभी लोग/संघ आपसी मतभेद बुलाकर अपने पर्सनल ईगो को परे रखकर, सरकार के खिलाफ एकजुट हो जाएं. पहले ही हमने कहा कि इस लड़ाई को केवल सही रणनीति और यूनिटी से ही जीता जा सकता हैं. अभी भी ज्यादा समय नहीं बीता, जब जागों तब सवेरा, नहीं तो कल ऐसा न हो कि निति आयोग की बात मानकर स्कुल भी किसी प्राइवेट कंपनी को दे दिया जाए तो आने वाली पीढ़ी को उसी में ठेका वर्कर के रूप में गुलामी करना पड़े. सोचियेगा..
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