आधुनिकीकरण के नाम पर 23 रेलवे स्टेशन नीलामी की ओर, मोदी झंडी दिखायेंगे

नई दिल्ली: भारतीय रेल नेटवर्क के पास 9,000 इंजन हैं जिनमें 43 अभी भी भाप से चलने वाले हैं. इंजनों का यह विशाल बेड़ा क़रीब पांच लाख माल ढोने वाले डिब्बों और 60,000 से अधिक यात्री कोचों को 1 लाख 15 हज़ार किलोमीटर लंबे ट्रैक पर खींचते हैं. रेलवे 12,000 से अधिक ट्रेनों का संचालन करता है, जिसमें 2 करोड़ 30 लाख यात्री रोज़ यात्रा करते हैं. यह विशाल सरकारी कंपनी ‘राज्य के अंदर एक राज्य जैसा’ है. रेलवे के अपने स्कूल, अस्पताल और पुलिस बल है. इसमें कुल 13 लाख कर्मचारी काम करते हैं और इस लिहाज से यह दुनिया की सातवां सबसे ज़्यादा रोज़गार देने वाली कंपनी है. लेकिन आपने सोचा है कि इतना बड़ा उपक्रम ज़ल्द ही टूट सकता है. मगर यह क्या आधुनिकीकरण के नाम पर 23 रेलवे स्टेशन नीलामी के राह पर है.

23 रेलवे स्टेशन नीलामी की ओर

जी हाँ आपको शायद याद होगा जब मोदी ने वाराणसी में रेलवे के एक कार्यक्रम में ट्रेड यूनियनों को भरोसा दिलाया था, “हम रेलवे का निजीकरण नहीं करने जा रहे हैं. ऐसा करने की ना तो हमारी इच्छा है और ना ही हम इस ओर सोच रहे हैं.”

जबकि इसके उल्ट अभी जल्दबाजी में रेल मंत्रालय ने 23 स्टेशनों को आधुनिकीकरण के नाम पर लिए निजी कंपनियों को सौपने जा रही है. सुनाने में यह भी आ रहा है कि निजी हाथों में सौप पहले प्रॉजेक्ट तहत पीएम नरेंद्र मोदी जल्दी ही भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन के विकास का नाम पर हरी झंडी दिखाएंगे. इसके अलावा अन्य 22 स्टेशनों भी निजी हाथों में सौपें जायेंगे.

दो दिन पहले भारत सरकार ने विभिन्न समाचार एजेंसी के माध्यम से रेलवे के निजीकरण की राह पर 23 मुख्य स्टेशनों के लिए निविदा निकाली है जिसके तहत उक्त स्टेशनों के रख-रखाव से लेकर प्रणाली सिस्टम की देख-रेख के वास्ते 45 साल के लिए निजी हाथों में देने जा रही है. निजीकरण के माध्यम से इस व्यवस्था को शुरू करने के लिए निविदा में ज्यादा समय नही दिया गया है ताकि यूनियन आदि की प्रतिक्रिया आने से पहले काम को पूरा कर लिया जाए.

अब इससे क्या फायदा और क्या घाटा है इसको समझते है?

यह सारा खेल सरकार द्वारा कॉर्पोरेट्स को फायदा पहुंचने और जनता और कर्मचारिओं को लूटने के लिए है. अभी कुछ ही दिन पहले पता चला है कि निजीकरण का गोरखधंधा आईआरसीटीसी के कंधे पर बन्दुक रख कर शुरू किया गया है. आईआरसीटीसी ने टिकट बुकिंग कलर्क, घोषणा कर्मचारी, इत्यादि कि भर्ती शुरू कर दी है. इससे स्पष्ट है कि स्टेशन पर काम करने वाले रेलवे कर्चारियों कि छुट्टी होनी तय है. उनको किसी दूसरे ऐसे काम में लगा देंगे ताकि वो परेशान होकर नौकरी छोड़कर भाग जाएं नहीं तो जल्द ही श्रम कानून में बदलाव कर फायर करने को तिकड़म लगाएंगे.
अब कुछ लोग सोच रहे होंगे कि यह कभी नहीं हो सकता है. मगर यह हो रहा है और यह सच्चाई है. सभी को पता है मगर ध्यान नहीं दें पा रहें है. धीरे-धीरे सभी स्थायी पद को ठेका पर दिया जा चूका है और बचे-खुचे जल्द ही दे दिए जायेंगे. जिससे जल्द ही मोदी सरकार का निजीकरण का सपना पूरा हो जायेगा. जब रेल निजी हाथों में चला जायेगा तब मनमाफिक ढंग से किया बढ़ाकर जनता को लूट के सिवा कुछ नहीं मिलेगा.
Share this

Leave a Comment

error: Content is protected !!