आज हर किसी का सपना सरकारी नौकरी पाना है। उसका मुख्य कारण जॉब सिक्योरिटी और मिलने वाली सुविधाएँ, जिसमे पे कमीशन प्रमुख है। हर केंद्रीय कर्मचारी को हर दस साल पर वेतन आयोग (Pay Commission) के द्वारा नया वेतन देने की परम्परा है। जिसको जल्द ही झटका लग सकता है। सांतवा वेतन आयोग अंतिम वेतन आयोग बन कर रह जायेगा। वेतन आयोग ने सरकार को जो सिफारिश सौपी है जिसमे यह बात कही गई है।
अब नहीं बनेगा पे कमीशन (Pay Commission)
आयोग के अनुसार हर दस साल पर कर्मचारियों के वेतन नए सिरे से बनाने की जगह इसमें नियमित अंतराल पर बदलाव किया जाना चाहिए। आयोग ने कहा की सरकारी कर्मचारियों का वेतन प्राइवेट कंपनियों में उनके अनुरूप काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन में काफी अंतर है। अभी पे कमीशन के सिफारिश के बाद 50 लाख कमर्चारियों को फायदा हुआ है।
अब तो पता ही है कि जिस तरह से पुरे देश के विभागों को निजीकरण में झोंका जा रहा है। उसके तहत बेरोजगारी के मारे युवा मात्र 5 से 8 हजार मासिक पर काम करने को तैयार है। फिर सरकार या कोई भी मालिक किसी को 40 से 50 हजार सैलरी क्यों देगा? आज पे कमीशन छीनने कि बात हो रही है।
वह दिन दूर नहीं जब हमे दूध के मक्खी की तरह नौकरी से निकल फेंकेंगे। वर्तमान मोदी सरकार अभी पूर्ण बहुमत में है। जब जो कानून चाहे बना सकती है। जब जो कानून चाहे तोड़ सकती है। अपने पूर्वजों के संघर्ष से पाये हकों और अधिकारों कि रक्षा के लिए केवल संघर्ष का ही रास्ता बचा है।
इस न्यूज को जानने के बाद सरकारी कर्मचारियों को काफी दुःख होगा। हमें भी हुआ, मगर दूसरी तरफ कुछ सरकार के भक्त लोग खुश है कि अच्छा हुआ। हमें कम मिल रहा तो उनको ज्यादा क्यों? क्या कीजियेगा कुछ लोगों अपने दुःख से जितना दुखी नहीं होते, उससे कहीं ज्यादा दूसरे कि ख़ुशी से दुखी होते है।
खैर सरकार का यह कदम मजदूर विरोधी है। जिसका हर हाल में विरोध होना चाहिए। जो कि आप या हम कभी अकेला रह कर नहीं कर सकते है। साथियों इसके लिए एकजुट होना होगा। इसके बिना कोई चारा भी भी है. जरा सोचियेगा?
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सरकारी और निजी क्षेत्र में समान श्रम कानून होने चाहिए।