सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे दुर्घटना मुआवजा के बारे में महत्वपूर्ण फैसला दिया

आपको तो पता है कि आये दिन ट्रेन दुर्घटना से हजारों लोग जान गवां देते हैं. दैनिक भाष्कर के रिपोर्ट के अनुसार एक RTI के तहत खुलासा हुआ था कि सन 2017 में सिर्फ मुंबई में ही 3 हजार लोगों ने ट्रेन एक्सीडेंट में जान गंवाई. इसके बाद अब माननीय सुप्रीम कोर्ट ने यात्रियों के हित में रेलवे दुर्घटना मुआवजा को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है. क्या आप जानते हैं कि वह फैसला क्या है?

रेलवे दुर्घटना मुआवजा के नियम

अभी तक के Indian Railway Act 1989 सेक्शन 124ए के प्रावधान के अनुसार, यदि कोई पैसेंजर आत्महत्या करता है या आत्महत्या की कोशिश करता है, या खुद अपने आप को चोट पहुंचाता है तो इस तरह के मामलों में संबंधित यात्री मुआवजे (रेलवे दुर्घटना मुआवजा) का हकदार नहीं होता. ऐसा होने पर रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन “रेलवे दुर्घटना मुआवजा”  नहीं देता.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला – रेलवे दुर्घटना मुआवजा

इस संबंध में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा है कि हादसे के लिए यात्री की लापरवाही को कारण बताकर रेल मंत्रालय मुआवजा देने से मना नहीं कर सकता. रेलवे दुर्घटना मुआवजे का प्रावधान सभी तरह की दुर्घटनओं पर लागू होगा. बेंच ने कहा कि, यात्रा के दौरान मौत या दुर्घटना होने पर पीड़ित मुआवजे का हकदार है.

भारतीय रेल से दुर्घटना के बाद कैसे मुआवजा मांग सकते है?

अब यह जानकारी जरुरी है कि अगर किसी व्यक्ति कि ट्रेन या ट्रेन परिसर में दुर्घटना हो जाए तो मुआवजा क्लेम करने के लिए क्या करना होगा. इसके लिए बता दें कि उनको सबसे पहले अपने यात्रा से सम्बंधित कागजात यानी टिकट पेश करना होगा.
अब चाहे दुर्घटना यात्रा के दौरान हो या स्टेशन परिसर में, दोनों परिस्थिति में आप मुआवजा मांग सकते हैं. ट्रेन में भीड़ होने के कारण अगर यात्री गेट पर लटककर यात्रा करने को मजबूर है और ऐसे में दुर्घटना हो गया तो ऐसे में भी वह मुआवजा की मांग कर सकता है. ऐसी तरह के एक केस की सुनवाई कर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है.
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