Railway inquiry Counter स्टाफ के सैलरी धोखाधड़ी में FIR दर्ज, गिरफ्तारी

Railway inquiry Counter कार्यालय में ठेके पर काम करने वाले एक कर्मचारी ने वेवटेक इंटरनेशनल व् Railway  के छह officer के खिलाफ Salary धोखाधड़ी का FIR दर्ज करवाई है. उस कर्मचारी के अनुसार ये लोग रेलवे से 13156 निकासी करते थे मगर उनको मात्र 5000 मासिक देते थे. जिसके बाद उन Officers के गिरफ्तारी के आदेश जारी हुए हैं.

Railway inquiry Counter स्टाफ के सैलरी धोखाधड़ी

यूँ तो ठेकेदार एक मार्फ़त कर्मचारी रखने का एक चलन सा हो गया है. इसमें एक अनपढ़ मजदुर से लेकर डॉक्टर, इंजीनियर तक सभी पीस रहें हैं. केवल प्राइवेट विभाग ही नहीं बल्कि सरकारी विभाग में भी फिक्स-टर्म-एम्प्लॉयमेंट के जरिये खुली छूट दी गई है.

हर जगह सैलरी के नाम पर न्यूनतम वेतन तो देते हैं. जबकि ज्यादातर ठेकेदार और प्रिंसिपल एम्प्लायर की मिलीभगत से पढ़े-लिखे युवाओं के बेरोजगारी का फायदा उठाकर न्यूनतम वेतन भी नहीं दे रहे हैं.

जानिए पूरा मामला क्या है?

बिहार के गया रेलवे स्टेशन के Railway inquiry Counter स्टाफ के सैलरी धोखाधरीकार्यालय में काम करने वाले एक कर्मचारी ने ठेकेदार वेवटेक इंटरनेशनल के सीएमडी व अन्य व रेलवे के छह अधिकारियों के खिलाफ प्रथिमिकी दर्ज करवाई है. उन्होंने वेवटेक द्वारा पूछताछ कार्यालय पर काम करने वाले कर्मचारियों पर झांसा देकर उनके नाम पर रेलवे से अधिक पैसे की निकासी व उनको काम पैसे देकर काम करवाने का आरोप है.

प्रभात खबर में छपे खबर के अनुसार प्रथिमिक दर्ज करने के बाद जाँच में मामला रेल डीएसपी तक पहुंचा. जिसके बाद उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए जिन 11 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था. उसमें 5 को प्रथम दृष्टया आरोपित मानते हुए गिरफ्तारी का आदेश जारी किया है. रेल डीएसपी ने शेष छह, जिसमे गया से मुगलसराय तक वरीय अधिकारी भी शामिल हैं, के खिलाफ और गहन छानबीन तथा सबूत जुटाने के बाद आवश्यक करवाई करने को कहा है.

इस मामले के शिकायतकर्ता श्री अजय प्रसाद के विगत 23 जून के प्राथमिकी में कहा कि 15 मई 2016 से उन्हें उनके 17 सहकर्मियों को मौखिक परीक्षा के आधार पर पूछताछ कार्यालय में 5,000 मासिक वेतन पर रखा गया था. उनको कहा गया था कि 2 महीने अच्छे से काम करने के बाद उनका वेतन बढ़ा दिया जायेगा. जो कि कभी बढ़ाया नहीं गया. उनका आरोप है कि उनके पैसों का भुगतान कैश में किया जाता है. उनके शिकायत के अनुसार उनके नाम पर ठेकेदार रेलवे से 13,156 लेता जबकि उनको केवल 5,000 रुपया भुगतान किया जाता था.
जानकारी के अनुसार अजय कुमार व उनके सहकर्मियों ने उक्त मामले की शिकायत पहले रेलवे एक उच्चधिकारियों से भी की थी तो उनको पता चला था कि रेलवे से उनके नाम पर 13,156 लिया जाता था जबकि उनको केवल 5,000 रुपया भुगतान किया जाता था.

शिकायतकर्ता के काफी कहने के बाद बात नहीं बना तो इन्होने ठेकेदार के सुपरवाइजर पप्पू कुमार से कहा कि वो इसकी शिकायत पुलिस से कर देंगे. इसके बाद उनके ठेकेदार सौरभ व सुपरवाइजर पप्पू कुमार द्वारा 15 अक्टूबर 2017 को नौकरी से निकाल दिया गया.इस शिकायत के जांच से पता चला कि 15 मई 2016 से 14 मई 2019 तक 3.5 करोड़ में गया का पूछताछ का काउंटर सौरभ कुमार को मिला है.

श्री सौरभ कुमार ने गया का कामकाज  सुपरवाइजर पप्पू कुमार को सौंप रखा था. रेल डीएसपी ने इस मामले की जांच करते हुए ठेकेदार सौरभ कुमार, सुपरवाइजर पप्पू कुमार, वेवकेट इंटरनेशन व् रेलवे के छह अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी के आदेश जारी किये है.

अपने इस ब्लॉग के माध्यम से रेलवे में काम करने वाले सभी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर को बताना चाहता हूं कि आप चाहे रेलवे के अंदर कोई भी काम कैटरिंग, सफाई से लेकर कम्प्यूटर ऑपरेटर, डाटा इंट्री आदि तक क्यों न कर रहे हों. 

आपकी जानकारी के लिए एक बार पुनः बता दूँ कि दिल्ली हाई कोर्ट के सुरजीत श्यामल बनाम भारत सरकार व अन्य के जनहित याचिका के आर्डर के बाद 26 जून 2017 से सेंट्रल गवर्नमेंट के अंतर्गत काम करने वाले सभी वर्कर का न्यूनतम वेतन 40 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है.

इसके आलावा अगर सर्कुलर के अनुसार वेतन नहीं दिया जा रहा तो किस अधिकारी के पास शिकायत करेंगे. इसकी पूरी जानकारी वीडियो के डिस्क्रिप्शन लिंक में मिलेगा. इस संबंध में कोई भी सवाल हो तो कमेंट बॉक्स में लिखकर पूछ सकते हैं. धन्यबाद.

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