Blog: इंडियन स्टफिंग फेडरेशन के रिपोर्ट के अनुसार सेन्ट्रल गवर्मेंट के सरकारी विभागों में 1 करोड़ 25 लाख कर्मचारी काम कार्यरत है. जिसमें 69 लाख कर्मचारी केवल ठेके पर कार्यरत हैं, जो रेगुलर कर्मचारी के बराबर काम करते है. मगर मात्र न्यूनतम वेतन पर काम लिया जा रहा है. अभी जो 7 वां वेतन आयोग की सिफारिश है. उसका लाभ केवल 57 लाख सरकारी कर्मियों को ही मिल पायेगा. तो क्या मंहगाई केवल सरकारी कर्मियों के लिए ही है? क्या कॉन्ट्रैक्ट वर्कर को समान काम का समान वेतन नहीं मिलना चाहिए?
समान काम का समान वेतन
ठेका मज़दूर (नियमन एवं उन्मूलन) अधिनियम 1970- ” स्थाई प्रकृति के लगातार चलने वाले काम के लिये ठेका मज़दूर नहीं लगाया जा सकता है. ऐसे काम स्थाई (नियमित मज़दूर) से ही करवाया जाना चाहिए.” इसी कानून से सम्बंधित नियम 1971- “समान काम के लिए समान वेतन” के अनुसार अगर किसी स्थाई प्रकृति के काम के लिए ठेका मज़दूर काम पर लगाया गया है तो जब तक उस मज़दूर को स्थाई (नियमित) नहीं कर दिया जाता. उस ठेका मज़दूर को वेतन और सभी सेवा सुविधायें, उस काम को करने वाले स्थाई मज़दूर के सामान ही मिलेंगी.
इस क़ानून को संसद में आज सेे 47 साल पहले पास किया गया, परन्तु आज तक देश में ऐसी कोई ईमानदार सरकार नहीं आई जो इसे लागू कर सकी हो. पता नहीं हमारे देश को ऐसी ईमानदार सरकार कब मिलेगी जो समाज के लिए आवश्यक सारा उत्पादन और सेवायें प्रदान करने वाले मज़दूरों को न्याय दिलाने के लिए उपरोक्त क़ानून लागू करने की कोशिश करेगी.
आज हर घर में ठेका वर्कर मिल जायेगा. इसको दूसरे शब्दों में कह सकते है कि जहां पहले एक आदमी नौकरी कर अपने पुरे परिवार का पेट पाल लेता था. वही आज पूरा परिवार ठेके में खट रहा मगर फिर भी केवल जरुरत भी पूरा नहीं कर पा रहा है. काम करे हम और माल कोई और ले जाता है.
इस सच्चाई को समझना होगा. ये ठेकेदार कोई और नहीं होते बल्कि उसी कम्पनी जिस में हम काम करते या तो उसके अधिकारी का सगा-सम्बन्धी या फिर कोई एमपी एमएलए का रिस्तेदार. अब आप ही सोचिये कि अब यह ठेका सिस्टम क्या केवल मेरे या आपके लड़ने से खत्म हो जायेगा? नहीं न, बल्कि इसके लिए जब तक पूरा देश के वर्कर एक होकर विरोध न करें तब तक शायद नहीं.
मगर हम हाथ पर हाथ धरे बैठ भी तो नहीं सकते. कभी को कोई स्वार्थी नेता या संगठन मजदूरों को एक नहीं होने देगा. मजदूर का दर्द एक मजदुर ही समझ सकता है. इसलिए ऐसे लोगों की पहचान करें और एक दूसरे तक इस सन्देश को पहुंचाए. इस पोस्ट को इतना शेयर करें की यह हकीकत एक एक वर्कर तक पहुंचे और हम इस ठेका सिस्टम को उखाड़ फेकने के लिए एकजुट हो सके.
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Equal pay for equal work to contract labour is more than justified as they work not just equal to their contemporary regular/ permanents but work much much more than them & that too without any job security and without any facilities & perquisits.
"ऐसे में कैसे सुधरेंगे शोषित-पीड़ित के हालात बताओ
कितना नीचे और गिरेगादेश का सभ्य समाज बताओ
कहाँ बचेंगे प्राण, जगह का कोई तो अंदाज़ बताओ
कोई सुनता नहीं भीड़ में और लगी है आग नीड में
कितनी ऊंची और करें हमअपने हक़ कीआवाज़ बताओ !!"