IRCTC का तुगलकी फरमान: क्या इसके खिलाफ नक्सलबाद अपनाना होगा?

आईआरसीटीसी (IRCTC) भारत की मिनी- रत्न और एशिया की नम्बर वन ई-कामर्स कम्पनी में गिनी जाती है. इसके आईटी सेंटर, नई दिल्ली में लगभग 300 वर्करों में 100 से ज्यादा महिला वर्कर कार्यरत हैं. आईआरसीटीसी ने डारेक्ट सारी फोर्मलिटी पूरा कर वर्करों को नौकरी पर रखा मगर बाद में धोखे से ठेकेदार का वर्कर दिखा दिया है. वर्कर लगभग 3-13 साल से लगातार आरआरसीटीसी के अंडर काम कर रहे हैं और हर साल दो साल पर ठेकेदार बदल दिया जाता है, मगर वर्कर वही रहते हैं. वर्करों को पक्का करने के लिए केस लेबर कोर्ट में पेंडिंग है.

IRCTC 92 वर्करों को नौकरी से निकालने का फरमान जारी

इसके बाद IRCTC प्रबन्धन ने वर्करों को विभिन्न तरीकों से प्रताड़ित करना शुरू किया. जिसमें महिलाओं के सुबह 10 से 12 बजे दोपहर बाथरूम जाने पर प्रतिबन्ध लगाना प्रमुख था. इसका सभी वर्करों ने मिलकर विरोध किया और इसकी शिकायत उच्चाअधिकारियों से भी किया.मगर कोई सुनवाई नही हुई और आंदोलन की अगुआई कर रहे वर्कर नेताओं को नौकरी से निकाल दिया गया. जबकि उक्त आरोपों को आरोपी अधिकारियों ने महिला आयोग की सदस्य के सामने मौखिक रूप से स्वीकार किया हैं कि वो लोग काम के प्रेसर के कारण उक्त समय पर बाथरूम जाने पर रोक लगाते हैं. मगर अभी तक आयोग द्वारा किसी भी आरोपी पर करवाई तो नही हो पायी मगर इसके उल्ट आईटी सेंटर के विरोध करने वाले 92 वर्करों को नौकरी से निकालने का फरमान जारी कर दिया गया है.

 मोदी जी को वर्कर हर रोज हजारों ट्वीट कर रहें हैं

एकतरफ देखे तो इस मामले में केजरीवाल सरकार और मोदी सरकार ने मिलजुल कर वर्करों के आंदोलन कुचलने में कोई कसर नही छोड़ी है. मगर वर्कर भी हार मानने वाले नही हैं. अब हम सबके खिलाफ सड़क से सोशल मिडिया तक इनका विरोध करेंगे. किसी के रोजीरोटी छीनने का हक किसी सरकार को नही हैं.
कॉर्पोरेट की सरकार और उसकी सारी विभाग उसके इसारे पर वर्कर विरोधी काम कर रही हैं. सरकारी तंत्र खुद ही कानून का खुला उल्लंघन कर रही है और अभी तक डिजिटल इण्डिया का नारा देने वाले मोदी जी को वर्कर हर रोज हजारों ट्वीट कर रहें हैं. मगर एक का भी जबाब नही आया. जो कि बेहद निराशाजनक हैं.

सरकारी विभाग ही बहन बेटियों की इज्जत से खिलबाड़ करती है

एक तरफ बेटी बचाओ की बात करते हैं और दूसरी तरफ उनके सरकारी विभाग ही बहन बेटियों की इज्जत से खिलबाड़ करती है और महिला आयोग मूक दर्शक बनी रहती है. जबकि सुप्रीम कोर्ट के विशाखा गाईड लाइन का आरआसीटीसी को दोषी पाया गया है. इसके लिए मोदी से केजरीवाल तक वर्करों ने गुहार लगाई है. सरकार से पूछना चाहता हूँ कि आखिर कब मिलेगा हमें न्याय या हमें भी किसानों की तरह आत्महत्या करना होगा या फिर इसके खिलाफ नक्सलबाद अपनाना होगा?
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