मजदूरों को बढ़ा Minimum Wages नही देंगे उधमी, कोर्ट में सुनवाई टली

नई दिल्ली: जैसे-जैसे 01 अप्रैल आता जा रहा है वैसे वैसे वर्कर्स की बेचैनी बढ़ती जा रही है. अभी हाल ही में दिल्ली के मजदूरों के न्यूनतम वेतन (Minimum Wages) की बढ़ोतरी की घोषणा जो हुई. जिसको माननीय उपराज्पाल के हस्ताक्षर के बाद वर्करों में ख़ुशी की लहर दौर गयी.

बढ़ा Minimum Wages नही देंगे

दिल्ली सरकार ने आज राज्य में अकुशल, अर्ध-कुशल और कुशल कर्मियों के न्यूनतम वेतन में करीब 37 प्रतिशत वृद्धि को मंजूरी दे दी है . मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राज्य मंत्रिमंडल के इस फैसले की घोषणा करते हुये कहा कि सरकार ने पूर्व उप राज्यपाल नजीब जंग द्वारा बनाई गई 15 सदस्यीय समिति की इस संबंध में की गई सभी सिफारिशों को मंजूरी कर लिया. समिति का गठन न्यूनतम मजदूरी में संशोधन की सिफारिशें देने के लिये पिछले साल किया गया था. यह दूसरा मौका है जब दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने को मंजूरी दी है.

कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सके

गौरतलब है कि पूर्व उप राज्यपाल ने पिछले साल सितंबर में राज्य सरकार द्वारा नियुक्त समिति की सिफारिशों को निरस्त कर दिया था. उन्होंने कहा था कि आप सरकार ने समिति गठित करने के लिये उनकी पूर्वानुमति नहीं ली थी. केजरीवाल ने कहा कि समिति की सिफारिशों को सोमवार को नये उप राज्यपाल अनिल बैजल को भेज दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि वह स्वयं उप राज्यपाल से मिलकर इन सिफारिशों को मंजूरी देने का आग्रह करेंगे ताकि कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सके.

मंत्रिमंडल के निर्णय के मुताबिक अकुशल कर्मियों का न्यूनतम वेतन 9,724 रुपये से बढ़कर 13,350 रुपये मासिक होगा. अर्ध-कुशल कर्मियों के लिये इसे 10,764 रुपये से बढ़ाकर 14,698 रुपये और कुशल कर्मचारियों के लिये 11,830 रुपये से बढ़ाकर 16,182 रुपये मासिक करने की सिफारिश की गई है.

नया न्यूनतम वेतन देने से इंकार कर दिया

सरकार के इस फैसले के खिलाफ मालिक वर्ग एकजुट हो गए है और नया घोषित न्यूनतम वेतन देने से इंकार कर दिया है. मालिकों के उद्यमी संगठन एपेक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री दिल्ली ने इस वृद्घि के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की थी, जिस पर न्यायालय ने दिल्ली सरकार को अगले आदेश तक उद्यमियों पर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी. चैंबर के उपाध्यक्ष रघुवंश अरोड़ा ने कहा न्यूनतम वेतन में रिकॉर्ड वृद्घि नियम अनुरूप नहीं है.

अदालत से राहत के बाद उद्यमी फिलहाल बढ़ा हुआ वेतन नहीं देंगे.बिजनेस स्टैंड के अनुसार दिल्ली फैक्टरी ओनर्स फेडरेशन के अध्यक्ष प्रदीप मुल्तानी का कहना है कि उद्यमियों से दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा मिली राहत के बाद बढ़ी दरों पर वेतन नहीं देने के लिए कहा गया हैं. जब दिल्ली में बिजली-पानी, स्वास्थ्य पर खर्च घट रहा है, तब न्यूनतम वेतन में 36 फीसदी वृद्घि की जरूरत ही नहीं है.

दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा ने कहा कि न्यायालय का अंतिम फैसला नहीं आने तक कारोबारी नई दरों के बजाय पुरानी दरों पर ही कामगारों को वेतन देंगे. इस तरह एक बार फिर से मजदूरों के खुशियों पर ग्रहण लग गया हैं. वर्करों को एकजुट होना जरुरी, क्योकि जब चंद मुठ्ठी भर मालिक एक हो सकते हैं तो हम क्यों नही?

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