CPIO IRCTC ने किया मिलने से मना
करीब 1:20 बजे तय समय के अनुसार आईटी सेंटर के गेट पर पहुंचा और ऑफिस गार्ड से माननीय आयोग के आदेश का हवाला देते हुए जन सूचना अधिकारी श्री मृत्युंजय तिवारी और पीसी बिहारी को सूचित करने का कहा. जिसके बाद तुरंत ही गार्ड पूछने के बाद आकर कहा कि श्री मृत्युंजय तिवारी सर ने कहा है कि वो आपसे नही मिलेंगे और पीसी बिहारी सर उपस्थित नही है.
आखिर पूरा मामला क्या है? पढ़ने के लिए क्लिक करें – सुरजीत श्यामल (अपीलकर्ता) से इंस्पेक्शन करवाकर, IRCTC बायोमैट्रिक्स अटेंडेंस दें- CICइसके बाद मैने कहा कि कम से कम हमारा इंट्री विजिटर रजिस्टर में दर्ज करा कर हमारे उपस्थित का पत्र रिसिव करलें. मगर उन्होंने साफ मना कर दिया.हम कड़ी धूप में लगभग 30 मिनट तक गेट पर खड़े रहें. यह कि इसके बाद काफी प्रयास करने के बाद कोई चारा न चलता देख मैंने 1ः50 बजे दोपहर 100 नंबर पर फोन करने सहायता के लिए बुलाया.
उसी समय एक अधिकारी सामने से गुजरे जिनसे पूछ बैठा कि सर पब्लिक ऑफिस है या प्राइवेट? उन्होंने पूछा कि क्या हुआ? मैंने कहा कि किस के आर्डर के कारण बात करके और लिखित देकर बुलाया गया हूँ, मगर आपका सीपीआईओ छुपा बैठा है और तो और अंदर जाकर लेटर रिसीव करवाने से भी मना कर दिया है. जिसके बाद उनके कहने पर रिसेप्शन पर जाने दिया गया.
मगर फिर भी विजिटर रजिस्टर में साइन करने नहीं दे रहे थे. मैंने कहा कि कोई बात नहीं है अपने सीपीआईओ श्री म्रत्युन्जय तिवारी जी को बता दो कि शायद मेरी बात नहीं सुन रहे तो पुलिस आ रही है. शायद उसके बाद ही सुन लें.
ये तो सरासर गुंडागर्दी है, ऐसे को CPIO किसने बनाया CIC के आदेश के बाद भी information नही दे रहा है। RTI act का खुला उल्लंघन है ये तो। पर कोई नही बकरे कीं अम्मा कब तक खेर मनाएगी।
बिलकुल सही कहा हरीश..शायद इनको आरटीआई कानून की जानकारी नहीं है या फिर जो डाटा माँगा गया है वो है ही नहीं इनके पास.
आज खूब तमाशा हुआ है, मगर पुलिस को आता देख..सेकंडों में काम हुआ….अंदर के सारे लोग जो टाइम पर ऑफिस नहीं आते डरे हुए है कि पता नहीं किस का हजारी मांग लें …और उसका पता नहीं क्या कर दे…
धन्यवाद सुरजीत जी, आपने हमारे संघर्षो की अगुआई की |
मुझे बहुत दुःख हो रहा है की ऐसे लोग { CPIO-IRCTC }, जिनकी बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है समाज/कर्मचारीयों के प्रति लेकिन ये लोग चुप्पी साध के, ईमानदारी से अपने कर्तव्यो का पालन नहीं कर रहे है या फिर ये मूढ़ बुद्धि के लोग है जिन्हें RTI जैसे क़ानून की परिपक्व जानकारी नहीं है..इन्हें मेडिकली अनफिट घोषित कर देना चाहिए ताकि ये अपना दिमागी इलाज करवा सके..ये अधिकारी जो अपने को सर्वशक्तिमान मान चुके है शायद इन्हें पता नहीं की जब क़ानून का चाबुक चलता है तो चमड़ी भी उधडती है और मुह भी खुलता है इस लिए जीतनी जल्दी हो सके ये अधिकारी सुधर जाए और ईमानदारी से कर्तव्य का पालन करे…इसी बात पर मुझे दुष्यंत कुमार की वो रचना याद आ रही …………
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी
शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए
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कर्मचारी एकता जिंदाबाद |
नीतू जी. कमेंट के लिए धन्यबाद. उम्मीद है आगे भी आपका इसी तरह हम सभी साथियों का हौसला अफजाई करेंगी. और धन्यबाद मेरा नहीं बल्कि उन सभी साथियों का जो इस संघर्ष में साथ है. आखिर आईआरसीटीसी में ऑफिसरगीरी का जो बीमारी फैला है. जिसमे एक छोटे से छोटे वर्कर से लेकर छोटा अधिकारी जिसको E0 भी पीस रहा है. आज जो भी उनके इस गुंडागर्दी का विरोध करता है उनको प्रताड़ित किया जाता है. हाँ में हाँ मिलाने वाले का गुजरा तो हो रहा है. मगर सब लोग ऐसे नहीं होते. सच सूरज की तरह होता है जिसको बादल कुछ समय के लिए छुपा तो सकता है मगर हमेशा के लिए नहीं.