नियोजित शिक्षक के सामान वेतन की याचिका पर फैसला सुरक्षित – PHC

आखिरकार नियोजित शिक्षक को “सामान काम का सामान वेतन” देने की मांग की याचिका पर पटना कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई. माननीय कोर्ट ने पूरा मुद्दा सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. परिवर्तनकारी प्रारम्भिक शिक्षक संघ की ओर दायर इस याचिका में बिहार के विधालयों के कार्यरत नियोजित शिक्षकों को वहां के स्थाई शिक्षकों के बराबर वेतन आदि सुविधा देने की मांग की है.

नियोजित शिक्षक के सामान वेतन

शिक्षकों के तरफ से भोपाल हाईकोर्ट से सेवानृवित न्यायाधीश विष्णुदेव नारायण, वरीय अधिवक्ता श्री पी.के. साही और राजेंद्र सिंह ने बहस किया. इस बहस के बाद परिवर्तनकारी शिक्षक संघ के अध्यक्ष श्री बंशीधर वृजवासी ने बताया कि अधिवक्ताओं ने 26 अक्टूबर के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का हवाला देखकर सभी नियोजित शिक्षकों को सामान काम का सामान वेतन देने की मांग की है.
सरकार की तरफ से बहस करते हुए अधिवक्ता ललित किशोर ने कहा की नियोजित शिक्षक स्थानीय निकायों के कर्मचारी हैं, इनका संवर्ग अलग है. जिसके करना इनको सरकारी कमचारियों के बराबर वेतन नहीं दिया जा सकता है.
श्री किशोर के तर्क पर माननीय कोर्ट ने दखल देता हुए पूछा कि पटना का मिलर हाई स्कुल किसका है? तो सरकार के तरफ से बहस में उपास्थित अधिवक्ता श्री किशोर ने कहा की बिहार सरकार का. फिर माननीय कोर्ट ने पूछा की इस विधालय में चपरासी की बहाली राज्य सरकार करती है तो शिक्षको की बहाली नगर निगम कैसी कर सकता है? एक ही संस्थान में दो-दो नियोक्ता बहाली कैसे करते हैं?

कोर्ट ने आगे पूछा की मैट्रिक के कॉपियों का मूल्यांकन नियोजित और स्थाई दोनों शिक्षक साथ-साथ करते हैं और उन दोनो को इसके लिए बराबर का परिश्रमिक दिया जाता है. दोनों कैटेगरी के शिक्षक चुनाव ड्यूटी में जाते है तो एक सामान पैसा दिया जाता है फिर वेतन सामान क्यों नहीं?

आगे शिक्षक के तरफ से अधिवक्ताओं ने कहा कि स्कुल के चपरासी का वेतन नियोजित शिक्षकों से अधिक है. जिसके कारण चपरासी द्वारा शिक्षक को सम्मान की दृष्टि से देखना तो दूर पानी तक पिलाने में अपनी बेज्जती महसूस करता है. तक़रीबन डेढ़ घंटे चले इस बहस को सुनने के बाद माननीय कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुरक्षिक रख लिया है. इस बहस के दौरन संघ के नेता मनोज कुमार, नीलमणि शाही, हिमांशु शेखर, रौशन कुमार, रामकलेवर, झुन्नी लाल पंकज, मायाशंकर कुमार, अरुण क्रांति आदि ने उम्मीद जताई है कि फैसला शिक्षकों के पक्ष में ही आयेगा.
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