बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट: जापान और भारत के बीच MoU/एग्रीमेंट साईन नहीं हुआ?

आरटीआई दिनांक 04 अक्टूबर 2017 को अतुल जी सेखड़ा द्वारा पूछे गए सवाल के जबाब में मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स द्वारा निहारिका सिंह, ड्युप्टी सेक्रेटरी, सेंट्रल पब्लिक इनफार्मेशन ऑफिसर, जापान ने जबाब दिया है. इस जबाब में केवल 2 पारा दर्ज है एक 2 और दूसरा 3. पूरा पढ़ने के बाद यह यह प्रतीत होता है कि पीले कलर से हाई लाइट किया हुआ पारा 2 में केवल सवाल पूछा गया है. जिसके जबाब में जन सुचना अधिकारी ने बताया है कि जापान के प्रधानमंत्री के भारत द्वारा भारत के दौरे दिनांक 14 सितम्बर 2014 को बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए कोई MoU या एग्रीमेंट हस्ताक्षर नहीं किया गया.

कल सुबह से ही वायरल हो रहा है. जब हमने देखा तो दंग रहा गया कि ऐसे कैसे हो सकता है. मगर आरटीआई के जबाब का नकार तो नहीं सकते है न. पहले सोचा की यह तो ब्रेकिंग न्यूज़ है. सब को पता चलना चाहिए. मगर बिना छानबिन के शेयर करना ठीक नहीं है. अगर हम भी गलत मैसेज लोगों को भेजने लगे तो हम में और दूसरे में क्या फर्क रह जायेगा.हम पुरे भरोसे के साथ यह नहीं कह सकते कि यह आरटीआई का जबाब सही है या गलत है. इसको जांचने के लिए हमने मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स के वेबसाइट पर गए और आरटीआई के सीपीआईओ के लिस्ट में निहारिका सिंह का नाम सर्च किया. बात बेहद चौकाने वाली है. हमने 21 पेज के इस लिस्ट में  ऊपर से नीचे तक देख डाला मगर मोहतरमा “निहारिका सिंह” का नाम कहीं नहीं मिला.

हां जापान से सम्बंधित सभी मैटर्स का जबाब देने के लिए सीपीआईओ श्री संदीप कुमार बैयपु का नाम जरूर दिख गया. प्रथम अपीलीय अधिकारी के नाम के जगह श्री शिल्पक एम् अम्बुले का नाम उस लिस्ट में है. जबकि वायरल आरटीआई में श्री सुजीत घोष का नाम लिखा है. एक बात सही है कि दोनों का कमरा संख्या 183-बी, साउथ ब्लॉक ही है.

अब ऐसा भी नहीं है कि उक्त आरटीआई का जबाब देने के बाद इस लिस्ट को अपडेट कर दिया गया हो, बल्कि जाँच करने पर पता चलता है कि यह लिस्ट 5 जनवरी 2015 को उपडेट किया गया है. अगर इस लिस्ट को सच माने तो वायरल किया जाने वाला आरटीआई पूर्णतः फर्जी है. जिसको शेयर कर कभी-कभी सच बिना जाने समझे हम भी हिस्सा बन जाते है.

हम कतई यह दावा नहीं करते कि मोदी सरकार ने जापान के साथ बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए कोई MoU / एग्रीमेंट हस्ताक्षर की है या नहीं. इंटरनेट से प्राप्त तथ्य आपके सामने रखने की कोशिश की है. यह हो सकता है किसी पोलिटिकल पार्टी के कार्यकर्त्ता या आईटी सेल ने फोटोशॉप करके यह फर्जीवाड़ा किया हो. मगर इस तरह गुमहराह कर वोट पाने वाले भी हम आम लोगो के हित की बात कभी नहीं कर सकता है.

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