आपको नौकरी आरक्षण (Reservation) के कारण नहीं बल्कि इस वजह से नहीं मिल पा रही

Blog- पुरे देश में आरक्षण (Reservation) की आग हर बार जल उठती है. कुछ इसके पक्ष में तो कुछ विपक्ष में खड़े हैं तो वही सरकार इस पर कुछ बयान देने से बच रही है. कुछ लोग इसके बारे में बहुत सी धारणाये पालन हुए नेताओं के कठपुतली बने हुए है. ऐसे में सवाल आता हैं कि क्या आपको नौकरी Reservation की वजह से नहीं मिल पा रही या फिर कोई और कारण है? आइये इसको सरल शब्दों में समझने की कोशिश करते हैं.

आपको नौकरी Reservation की वजह से नहीं मिल पा रही

आरक्षण (Reservation) के बारे में शशि शेखर जी ने लिखा है कि सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट पढिए. 7 लाख असैनिक पद सिर्फ केन्द्र सरकार में रिक्त पडे हुए है. भर्ती होती तो आपकी 25 फीसदी जनसंख्या को 50 फीसदी सीटें मिलती, 60 फीसदी दलित-पिछडों को भी 50 फीसदी सीटों पर नौकरी मिल जाती. इसी तरह विभिन्न राज्यों में नौकरियों की स्थिति का अन्दाजा लगा लीजिए.
सिर्फ सेना में ही 50 हजार पद रिक्त है. काश, आप राष्ट्रवादी सरकार से कह पाते कि ये पद भरे. कुछ आपको भी मिलता, कुछ उन दलितों को भी जो आपके कथित दुश्मन है. आगे उन्होंने लिखा है कि कॉरपोरेट मंत्रालय की रिपोर्ट पढ लेते. 31 जनवरी 2018 तक 17 लाख रजिस्टर्ड कंपनियों में से 5 लाख कंपनियां बिजनेस न मिलने के कारण बंद हो गई. सोचिए, इससे कितने दलित, कितने सवर्ण बेरोजगार हुए होंगे.

टेलिकॉम सेक्टर से 40 हजार से ज्यादा नौकरियां खत्म

पिछले 1 साल में ही सिर्फ टेलिकॉम सेक्टर से 40 हजार से ज्यादा नौकरियां खत्म हो चुकी है. आगे और नौकरियां खत्म होने जा रही है. लेकिन, आप अपने जीओ फोन का नेटवर्क एंटीलिया की छत से मिलाते रहिए और व्हाट्सएप्प पर दलित प्रदर्शन के खिलाफ सवर्ण प्रदर्शन का आयोजन करते रहिए. बिना ये सोचे कि इन 40 हजार में से कुछेक आपके मित्र या रिश्तेदार या आप खुद भी रहे होंगे.
इस देश के लिए युवाओं का, बेरोजगारों का अस्तित्व क्या है, सीएमआई की इस रिपोर्ट से समझ लीजिए कि 2016 में 7 करोड 80 लाख रजिस्टर्ड बेरोजगार थी, वो संख्या 2017 में घट कर 3 करोड 70 लाख हो गई है. जरा नजर घुमा कर अपने आसपास देखिए कि किस दलित या किस सवर्ण को नौकरी मिली है?
देश में बेरोजगारी को ले कर सरकार ने 2016 के बाद से लेबर मिनिस्ट्री की तरफ से सर्वे कराना ही बंद करा दिया है. आपको पता ही नहीं चलेगा कि कितने बेरोजगार है, कितनों को रोजगार मिला? आप सुनते रहिए अपनी अंतरात्मा की आवाज.

अब पढाईए बच्चों को डीपीएस में और बनाईए चपरासी

पिछले साल रेलवे में 90 हज़ार नौकरियों के लिए इंडियन रेलवे को 1.5 करोड़ आवेदन मिले. इन 90 हज़ार पदों में से 63 हज़ार ग्रुप D के थे. अब पढाईए अपने बच्चों को डीपीएस में और बनाईए चपरासी और इसके लिए भी दलित को कोसिए.
क्या कहा, डीपीएस में पढ कर बच्चा चपरासी बनेगा? सही बात. लेकिन मुगालते में मत रहिए. “फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट” नाम का नया कानून संशोधन के बारे में सुना आपने या सिर्फ अंतरात्मा की ही सुनते है? पढिए, इस नए कानून के बारे में जो पिछले ही महीने इस सरकार ने पास किया है. अब हर सेक्टर, प्राइवेट-सरकारी अपने यहां जरूरत के हिसाब से कॉंट्रैक्ट पर आपके बच्चे को रखेगा काम पर. कॉंट्रैक्ट खत्म, नौकरी खत्म.
अप्रैल 2016 से जनवरी 2017 तक अपने 16000 नियमित और 50000 अनियमित लोगों को एलएंडटी ने यह कहकर निकाल दिया कि पिछले 2 सालों से कारोबार मंदा है. टाटा ने अपने 6000 नियमित और 50000 अनियमित लोगों को निकालने का आदेश दिया है. जरा पता कीजिए, इसमें कितने दलित थे, कितने सवर्ण थे?
शुतरमुर्ग की तरह सिर जमीन में धंसा लेने से, केवल अंतरात्मा पर भरोसा करने से जमीनी हकीकत कहां बदलती है? उपरोक्त किसी भी तथ्य से अगर ये साबित हो जाए कि मौजूदा दौर में दलितों ने सवर्णों को बेरोजगार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, तो मैं माफी मांगते हुए आगे से इस बारे में एक भी शब्द लिखने से पहले दस बार सोचूंगा.

रेलवे में 22 लाख खाली पद है

सुमन जी ने रेलवे में खाली पदों के बारे में नहीं लिखा है. इसको आगे पूरा कर देता हूं. राज्य सभा में सांसद श्री अब्दुल वहाब के 16.03.2018 के अतारांकित प्रश्न सं. 2536 के उत्तर में रेल राज्य मंत्री श्री राजेन गोहांई ने कहा कि दिनांक 01.01.2018 के अनुसार, क्षेत्रीय रेलों पर अराजपत्रित कर्मचारियों की रिक्तियों की कुल संख्या 2 2,44,793 है. उम्मीद है, ईमानदारी से सोचेंगे तो अंतारत्मा से भी सही जवाब मिलेगा. वर्ना आजकल बिहार के मुख्यमंत्री की अंतरात्मा भी बहुत शोर करती है.
जबकि आंकड़े इसके बारे में कुछ और ही कहते हैं. अगर आज देखे तो एक तरह से सरकार ने सरकारी वेकन्सी बंद कर दी है और बचे खुचे पद को समाप्त कर पुरे सरकारी विभाग को निजीकरण करने जा रही है. ऐसे में मात्र 6 करोड़ सरकारी पद के अगेंस्ट 50 करोड़ असंगठित मजदुर यानी प्राइवेट क्षेत्र (जहां आरक्षण नहीं है) में काम कर रहे हैं. इस 6 करोड़ सरकारी पद में भी 70 % ठेके पर काम कर रहें हैं. ऐसे में आप ही सोचिये कि कितने लोगों को आरक्षण ((Reservation) का लाभ मिला है?
यह भी पढ़ें-
Share this

Leave a Comment

error: Content is protected !!