Sahara India Refund Portal CRCS मोदी सरकार को 10 महत्वपूर्ण मांग भेजा?

Sahara India Refund Portal CRCS: देश के लाखों जमाकर्ताओं के शिकायत के बाद भारत सरकार के अपील पर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने दिनांक 29 मार्च 2023 को 5000 करोड़ सहारा सेबी रिफंड खाते से सेन्ट्रल रजिस्ट्रार, कॉपरेटिव सोसाइटी के पास ट्रांसफर करने का आदेश पारित किया है। जिसको सेन्ट्रल रजिस्ट्रार, कॉपरेटिव सोसाइटी के पास क्लेम कर सहारा ग्रुप सोसाईटी के असली जमाकर्ताओं का वैध बकाया, सीधे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर करने का स्पष्ट आदेश है। जिसके खुला उल्लंघन के खिलाफ मोदी सरकार को 10 महत्वपूर्ण मांग भेजा?

Sahara India Refund Portal CRCS मोदी सरकार को 10 महत्वपूर्ण मांग भेजा?

माननीय केन्द्रीय सहकारी मंत्री श्री अमित शाह के द्वारा दिनांक 18 जुलाई 2023 को “सीआरसीएस सहारा रिफंड पोर्टल लांच” किया गया है। उनके द्वारा अभिभाषण में प्रति जामकर्ता 10 हजार रुपया देने की बात की गई है, अब चाहे जमाकर्ता का वैध बकाया 10 लाख या उससे अधिक क्यों न हों। यही नहीं बल्कि रिफंड की जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है, वह माननीय कोर्ट के उपरोक्त आदेश का खुला उल्लंघन है।

जिस पर सुरजीत श्यामल, संयोजक, सहारा इंडिया जमाकर्ता कल्याण मोर्चा सह राष्ट्रीय अध्यक्ष, वर्कर वौइस् ने जनहित में सरकार से त्वरित कार्रवाई कर सुधार की मांग की है। जिसमें उनके द्वारा पुरे देश के सहारा ग्रुप सोसाइटी के जमाकर्ताओं के हित में दस मांगे रखी है। जिसको अगर आप Sahara India Refund Portal CRCS पर क्लेम करने से पहले जरूर जानना चाहिए।

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माननीय सुप्रीम कोर्ट के उक्त आदेश के बाद सहारा ग्रुप्स सोसाईटी जमाकताओं के पैसा वापसी के लिए सरकार द्वारा बनाये नियम का अभी तक कोई भी नोटिफिकेशन प्रकाशित/ जारी नही किया गया है। जबकि माननीय सुप्रीम कोर्ट का सहारा ग्रुप के जमाकर्ताओं का पैसा संवितरण के लिए पारदर्शिता बरतने का स्पष्ट निर्देश है।

हमारे देश के गरीब/अनपढ़ सहारा जमाकर्ताओं की संख्या ज्यादा है और उनको वंचित रखने के लिए रिफंड की प्रक्रिया को ऑनलाइन आधार के द्वारा जबरन लॉगिन करवाकर, जानबूझ कर जटिल बना दिया गया है। जबकि भारत सरकार के गजट नोटिफिकेशन संख्या-2551, दिनांक 20 मई 2023 के अनुसार सहारा सोसाईटी के संवितरण के लिए “स्वैछिक आधार प्रमाणिकरण” किया जाना था। सहारा जमाकर्ताओं के हित को देखते हुए संवितरण प्रक्रिया को सुगम बनाने की जरूरत है।

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यह कि जमाकर्ताओं ने सहारा ग्रुप्स के सहारा इंडिया में पैसा जमा किया था। जिसको बाद में जबरन/धोखे से पहले क्यू शॉप और फिर सहारा ग्रुप्स की सोसाइटी में कॉन्वेंट कर दिया गया। जिसके बाद हमारे उपरोक्त लाखों शिकायतों के बाद भारत सरकार ने माननीय सुप्रीम कोर्ट से सहारा सेबी रिफंड खाते से 5000 करोड़ रुपया सेन्ट्रल रजिस्ट्रार के खाते में ट्रांसफर के आदेश का अपील किया था। माननीय कोर्ट ने 29 मार्च 2023 को ऐतिहासिक फैसला देते हुए सहारा ग्रुप्स के वैध जमाकर्ताओं के लिए 5000 करोड़ जारी करने का आदेश दिया है।

ऐसे में सेंट्रल रजिस्ट्रार द्वारा रिफंड पोर्टल पर “घोषणा” में “सहारा ग्रुप का वैध जमाकर्ता” की जगह “सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, लखनऊ सोसाइटी लिमिटेड व अन्य का वास्तविक जमाकर्ता/सदस्य” जबरन लिखवाना, माननीय कोर्ट के उक्त आदेश का उल्लंघन है। जिसके लिए उपरोक्त घोषणा की लाइन में माननीय कोर्ट के आदेश के अनुसार सुधार किया जाना चाहिए।

यह कि ऑनलाइन आवेदन की प्रकिया के एप्लीकेशन में जामकर्ता द्वारा एक स्वयं की घोषणा लिया जा रहा है। जिसके अंतर्गत संख्या-2 का अंतिम लाइन “I shall not be pursue the claim in other forum to the extend it is settled by the “Sahara- CRCS Refund Account. यानी कि हिंदी में “जब तक सहारा-सीआरसीएस रिफंड खाते द्वारा इसका निपटान नहीं हो जाता, तब तक मैं किसी अन्य मंच पर दावा दायर नहीं करूंगा”।

अभी तक सरकार के द्वारा जमाकर्ताओं के वैध बकाया में 10 हजार के बाद की शेष राशि देने का कोई तय समय सीमा नहीं बताया गया है। ऐसे में सरकार द्वारा इस तरह की घोषणा जबरन लेना असंवैधानिक और जमाकर्ताओं के अधिकार का हनन है । इसलिए अभी तक अप्लाई किये सभी जमाकर्ताओं के क्लेम में “उक्त लाइन” को रद्द मानते हुए उपरोक्त लाइन को घोषणा में से तुरंत हटाया जाए ।

केंद्र सरकार के द्वारा सहारा इंडिया रिफंड पोर्टल पर मात्र 1 करोड़ 7 लाख जमाकर्ताओं के क्लेम करने की व्यवस्था दी गई है। जो कि बांकी बचे तकरीबन 8 करोड़ से अधिक जामकर्ताओं के साथ सरासर नाइंसाफी है। जिसको ध्यान में रखकर तुरंत वेबसाइट की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है और अगर पैसे कम पड़ें तो अविलंब सहारा ग्रुप्स की संपत्ति जब्त/नीलाम कर जमाकर्ताओं का पैसा वापस दिया जाए।

सहारा रिफंड पोर्टल में सहारा जमाकर्ता, जिनकी मृत्यु हो गई, उनके नॉमनी/परिवार के सदस्य के द्वारा क्लेम का कोई प्रावधान नही दिया गया है। जिसके कारण मृतक जमाकर्ता का परिवार भुगतान पाने से वंचित रह जायेंगे ।

देश के गरीब अनपढ़ जमाकर्ताओं के पास अगर आधार है तो मोबाईल से लिंक नही और अगर मोबाईल से लिंक है तो उनका आधार बैंक से लिंक नही, ऐसे लोगों के क्लेम करने के लिए अन्य वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान की जाए।

सहारा इंडिया जमाकर्ताओं का पिछले 8-10 वर्षो से भुगतान बकाया है, जिसमें वो बॉन्ड के परिपक्ता के बाद ब्याज के हकदार हैं, जबकि अभी तक ब्याज देने/नहीं देने की कोई भी जानकारी नही दी गई है। जबकि ज्यादातर जमाकर्ताओं से अपने पैसा “सहारा इंडिया” के नाम पर जमा/निवेश किया था। जिसके बाद उनका पैसा पहले क्यू शॉप और बाद में सहारा ग्रुप्स की विभिन्न सोसाइटियों में जबरन कन्वर्ट कर दिया गया।

अगर किसी जमाकर्ता के आधार कार्ड और बॉन्ड/रसीद के नाम के स्पेलिंग मिसमैच है तो उसके लिए सहारा रिफंड पोर्टल पर कोई प्रावधान नही दिया गया है।

देश के बहुत से जमाकर्ताओं का ओरिजिनल बांड पेपर सहारा इंडिया ब्रांच में क्लेम के नाम पर जमा है/जमा करवा लिया गया है। उन जमाकर्ताओं के लिए भी भुगतान की व्यवस्था प्रदान की जाए।

Sahara India Refund Portal CRCS मोदी सरकार को 10 महत्वपूर्ण मांग भेजा?

जिसके बाद अंत में मांग करते हुआ कहा है कि उपरोक्त बातों को मद्देनजर सहारा ग्रुप्स संवितरण मामले में उपरोक्त सुधार कर पारदर्शिता बरतते हुए अविलंब नोटिफिकेशन जारी किया जाए, साथ ही क्लेम करने वाले जमाकर्ताओं को क्लेम करने के बाद एक बार में पूर्ण भुगतान नियमानुसार ब्याज समेत सुनिश्चित किया जाए।

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