Sahara Refund Portal Supreme Court में कैसे मोदी सरकार ने पलटी मारा

Sahara Refund Portal Supreme Court News: सहारा इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट में 23.04.2024 को सुनवाई हुई है। जिसमें केंद्र सरकार के द्वारा सहारा रिफंड मामले में आवेदन दायर किया गया है। जिसके बाद आइये जानते हैं कि माननीय कोर्ट के द्वारा क्या आदेश दिया गया, साथ ही मोदी सरकार ने कैसे अपने वादे से पलटी मारा?

Sahara Refund Portal Supreme Court News in Hindi

देश के करोड़ों निवेशकों का पैसा सहारा इंडिया के नाम पर फंसा है। भारत सरकार के तरफ से पिनाक पानी मोहंती मामले में एआईए आवदेन लगाकर 5000 करोड़ जारी करने का सुप्रीम कोर्ट से 29.03.2023 को आदेश लिया गया था। जिसके बाद श्री अमित शाह के द्वारा सहारा इंडिया रिफंड पोर्टल 18 जुलाई 2023 को लॉन्च किया गया था। श्री शाह ने पोर्टल पर आवेदन करने वाले जमाकर्ताओं को 45 दिनों में पहली बार 10 हजार रुपया तक देना का वादा किया था। जबकि उनका वादा हवा-हवाई हो गया, और समय सीमा भी समाप्त हो गया था और अब कोर्ट में भी कुछ और कहा गया है।

No products found.

सहारा इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट में सरकार की मांग

सुप्रीम कोर्ट में 23 अप्रैल 2024 को कोर्ट नंबर 4 में सहारा मामले की सुनवाई हुई। जिसमें भारत संघ के सहकारिता मंत्रालय के तरफ से कदम उठाते हुए एप्लिकेशन के माध्यम से निम्नलिखित राहतें मांग किया गया-

  1. सहारा समूह की सहकारी समितियों अर्थात् सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, लखनऊ;
    सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी लिमिटेड, भोपाल; हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, कोलकाता और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, हैदराबाद को निर्देशित करें कि तुरंत सदस्यता व् आवेदन फॉर्म अपलोड करें।
  2. माननीय न्यायालय के आदेश दिनांक 29.03.2023 के तहत सहारा समूह के सहकारी समितियाँ के वास्तविक जमाकर्ताओं के वैध बकाया राशि के भुगतान हेतु 31.12.2024 तक का समय विस्तार किया जाए, और
  3. माननीय न्यायालय तथ्यों और परिस्थितियों के तहत उचित ऐसे कोई अन्य आदेश पारित कर सकता है।

अपने आदेश में माननीय कोर्ट ने कहा कि इस न्यायालय ने दिनांक 29.03.2023 के आदेश के माध्यम से निर्देश दिया था। सहकारिता मंत्रालय ने कहा कि कुल राशि में से 24,979.67 रु “सहारा-सेबी रिफंड खाते” में करोड़ों रुपये की राशि पड़ी हुई है। 5000 करोड़ रुपये केंद्रीय सहकारी रजिस्ट्रार को हस्तांतरित किए जाएं ताकि सहारा ग्रुप ऑफ कोऑपरेटिव सोसाइटी के जमाकर्ताओं का वैध बकाया लौटाया जा सके।

वितरण की निगरानी एवं निरीक्षण करने का निर्देश माननीय श्री न्यायमूर्ति आर.सुभाष की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा करने का निर्देश जारी किया गया। साथ ही श्री गौरव अग्रवाल, विद्वान वरिष्ठ वकील, को न्याय मित्र के रूप में नियुक्त किया गया था।

माननीय कोर्ट ने कहा कि तत्काल आवेदन से पता चलता है कि इस न्यायालय के आदेश के तहत 5,000 रु करोड़ों की राशि जारी की गई। जिसमें से अब तक 290.74 करोड़ रुपये वितरित किये जा चुके हैं। दर्शाया गया है कि 11.04.2024 तक लगभग 1.22 करोड़ आवेदन आए हैं, जिसमें लगभग 84,750 करोड़ रुपये की राशि वापसी के लिए प्राप्त हुई। इन आवेदनों की प्रोसेसिंग, सत्यापन, दावों का निर्धारण एक समय लेने वाली प्रक्रिया है।

आगे बताया गया है कि माननीय श्री न्यायमूर्ति आर.सुभाष रेड्डी (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाली समिति ने इस बीच यह सब निर्णय लिया है कि “जिन आवेदकों का कुल राशि 10000 रूपये तक जमा है और यदि उनका सहारा सोसाइटीज़ द्वारा प्रस्तुत डेटाबेस से मेल खाता है तो उनका भुगतान किया जायेगा”। जिसके लिए भारत सरकार के तरफ से वितरण की समय सीमा बढ़ाने की मांग की गई। जिसको माननीय कोर्ट ने मंजूर कर लिया।

Sahara Refund Portal Supreme Court में कैसे मोदी सरकार ने पलटी मारा

एक अन्य मामले W.P.(C) No.6/2023 में मेसर्स गोल्डन लैंड डेवलपर्स लिमिटेड जमाकर्ताओं की डिटेल उड़ीसा सरकार को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। जिसमें जमाकर्ताओं की संख्या, उनकी कुल जमाराशि और साथ ही कंपनी की संपत्ति के ब्योरा के लिए 4 हप्ते का समय दिया। माननीय कोर्ट ने कहा कि क्यों न कंपनी की पारदर्शी तरीके से नीलामी और जमाकर्ताओं ने धन वितरण के लिए एक स्वतंत्र कमेटी गठित की जाए। जिसके बाद 14 मई 2024 को अगली सुनवाई निर्धारित की गई है।

SC Order PDF

यह भी पढ़ें-

Share this

Leave a Comment