मोदी सरकार की नजर रेल टिकट सब्सिडी पर, पहले पूरे पैसे देने होंगे?

Blog– केंद्र सरकार अब गैस सब्सिडी की तरह ही अब रेलवे में भी छूट (रेल टिकट सब्सिडी) का प्रावधान बदलने पर विचार किया जा रहा है. अगर यह नियम लागू हो जाता है तो सब्सिडी टिकट पर यात्रा करने वाले यात्री को टिकट लेने के लिए पहले पूरे पैसे देने होंगे. इसके बाद टिकट सब्सिडी के पैसे खुद-ब-खुद संबंधित यात्री के खाते में स्थानांतरित हो जाएंगे. नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबराय की इस रिपोर्ट पर रेल मंत्रालय गंभीरता से विचार कर रहा है.

मोदी सरकार की नजर रेल टिकट सब्सिडी पर

अब यह जगज़ाहिर है कि आये दिन शिकायत मिलती रहती है कि ज्यादातर लोगो को सब्सिडी बिना गिव-अप किये ही नहीं मिल रहा है. गैस सिलेंडर की सब्सिडी नहीं आने के बारे में गैस एजेंसी संचालक से पूछताछ कर थक चुके हैं, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है. अब उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे सब्सिडी के बारे में पता करने के लिए कहां जाएं और किससे इसके बारे में पता करें. इसके बारे में कोई व्यवस्था नहीं कि गई. अब आपको रेल टिकट सब्सिडी पर झटका लग सकता है.

एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक रेल टिकट सब्सिडी के संबंध में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने नवम्बर 2016 में ही लोगों से सब्सिडी छोड़ने का प्रस्ताव दिया था. भारतीय रेलवे के अनुसार मुनाफा बढ़ाने के उद्देश्य से सुरेश प्रभु ने यह प्रस्ताव दिया था. उदाहरण के तौर पर कुछ ट्रेनों के लिए स्पेशल वीकेंड फेयर और आखिरी समय में खाली बर्थ पर मिलने वाला डिस्काउंट आदि को स्वेच्छा से छोड़ने का प्रस्ताव रेल मंत्री ने रखा था. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ये बात भी सामने आई है कि लोग इस छूट को छोड़ने के लिए जल्दी राजी नहीं होंगे. ये काम काफी मुश्किल है.

ऐसी पॉलिसी को लागु करने के लिए रेलवे ने लोगों को ये बताने का प्रयास भी किया कि वो कितनी सब्सिडी दे रहा है. जिसके तहत अब हर टिकट पर लिखा होता है कि भारतीय रेलवे आपसे कुल लागत का औसतन 57 फीसदी किराया वसूल रहा है. ऐसा करने से लोगों को पता लगेगा कि प्रत्येक टिकट पर 43 फीसदी सब्सिडी दी जा रही है. लोकल ट्रेन में तो मु. साफिर से 36 फीसदी ही किराया लिया जाता है बाकी 67 फीसदी रेलवे खुद खर्च करती है. जिसको अब पूर्ण रूप से लागु करने का समय आ गया है

अब जब पूरा रेल निजीकरण कि राह पर खड़ा है तो सब्सिडी के नाम पर धोखाधड़ी किसी को मुनाफा में पहुंचने कि साजिश तो नहीं?

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