पंजाब सरकार द्वारा कॉन्ट्रैक्ट टीचरों के नौकरी नियमितीकरण का विरोध क्यों?

पंजाब सरकार ने राज्य में केंद्रीय शिक्षा कार्यक्रमों के तहत भर्ती 8,886 कॉन्ट्रैक्ट टीचरों के नौकरी नियमितीकरण के लिए मंत्रिमंडल में मंजूरी प्रदान कर कर दी है. जिसको देश के प्रिंट मिडिया ने प्रमुखता से छापा. Khabar NDTV ने लिखा, “खुशखबरी, पंजाब कैबिनेट ने 8 हजार से अधिक शिक्षकों के नियमितीकरण को दी मंजूरी”.

कॉन्ट्रैक्ट टीचरों के नौकरी नियमितीकरण

Hindustan के अनुसार, “पंजाब कैबिनेट ने दी 8 हजार से अधिक कॉन्ट्रैक्ट टीचरों के नौकरी नियमितीकरण को मंजूरी, ये बड़े फैसले भी लिए”, दूसरी तरफ अमर ऊजलां ने ख़ुशी जाहिर करते हुए लिखा, “पंजाब सरकार ने टीचरों को दिया दशहरा का तोहफा, 8886 शिक्षक होंगे नियमित” इसके आलावा टाइम्स ऑफ़ इंडिया, द ट्रिब्यून, नवभारत टाइम्स आदि ने भी प्रमुखता से इस खबर को स्थान दिया.

सरकार के कैबनेट में लिए गए फैसले के मुताबिक इन्हें 15000 प्रतिमाह वेतन देने का फैसला लिया गया है. जिसके बाद तीन साल की सफलतापूर्वक सेवा के बाद इन्हें विभाग में रेगुलर कर दिया जाएगा. जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री के निर्देश पर गठित मंत्रिमडल उप-समिति की सिफारिशों के बाद यह निर्णय किया गया.  हालांकि, समिति ने नियमितीकरण के दायरे में लाए जाने वाले सभी शिक्षकों को तीन साल तक 10,300 रुपये प्रति महीने (प्रारंभिक वेतन) दिए जाने की सिफारिश की थी, लेकिन मंत्रिमंडल ने उन्हें 15 हजार रुपये प्रति महीने देने का निर्णय किया.

ऐसे सभी शिक्षकों या कर्मचारियों को अपना-अपना विकल्प देने के लिए 15 दिन का समय दिया जाएगा. जो शिक्षक या कर्मचारी 15 दिन के बाद विकल्प देंगे, उनकी वरिष्ठता विकल्प जमा करने की तारीख से तय होगी.

विरोध में Punjab ठेका टीचरों ने लगाया सांकेतिक फांसी

यह तो सरकारी खबर थी. अब आते है असली मुद्दे की खबर पर. विभिन्न माध्यमों से मिली जानकारी के अनुसार पंजाब में अभी  सर्व शिक्षा अभियान के तहत भर्ती 7,356 तथा राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत भर्ती 1,994 मॉडल स्कूलों के लिए 220 तथा आदर्श स्कूलों के लिए 116 शिक्षकों के नियमितीकरण को भी स्वीकृति दी गई है. जबकि खुश होने की जगह टीचर गले में फंदा डालकर विरोध ही नहीं कर रहे बल्कि सरकार को चेतावनी दे रहें हैं कि इस फैसले को वापस लिया जाए नहीं तो वो इसी तरह स्कुल में फंदा डालकर फांसी लगा लेंगे. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों?

जानते हैं पंजाब ठेका टीचर का क्या है मामला?

जानकारी के अनुसार पंजाब एक विभिन्न स्कूलों में ठेके पर टीचर कार्यरत हैं. इनकी भर्ती 2007-2008 में केंद्र सरकार के तरफ से राज्य सरकार की सहमति से की गई थी. जिसके बाद उक्त टीचरों की सैलरी का 60 फीसदी केंद्र सरकार और 40 फीसदी राज्य सरकार के तरफ से दिया जाता था.जो कि बहुत पहले से सेवा पक्का किये जाने की मांग कर रहें थे. जिसके बाद 2017 में विधान सभा चुनाव के समय इन ठेका टीचरों के मांग का समर्थन मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह ने की थी. जिसके बाद उनकी सरकार बनने के बाद से ही ये सरकार पर दबाब बना रहे थे. जिसके बाद इस बुधवार को सरकार ने यह फैसला लिया.

इस फैसले से पंजाब ठेका टीचर को ऐतराज क्यों?

अभी फिलहाल सरकार इन्हे 40-50 हजार मासिक वेतन दे रही है. ऐसे में 65 फीसदी वेतन कटौती के साथ तीन साल तक 15 हजार पर काम करने का सेवा शर्त टीचरों को मंजूर नहीं है. जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे रमसा शिक्षकों ने सरकार के इस फैसले के विरोध में फंदा लगाकर फांसी लगाने का मॉक ड्रिल की. उन्होंने  सरकार को चेताया कि अगर यह फैसला वापस नहीं हुआ तो वो इसी तरह स्कूलों में फांसी पर झूल जायेंगे.

कॉन्ट्रैक्ट टीचरों के नौकरी नियमितीकरण का फैसला का विरोध

भास्कर न्यूज के अनुसार रमसा यूनियन के जिला प्रधान प्रितपाल सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री अमरेंद्र सिंह अपने चुनावी वादे से मुकर गए हैं. अब हम पीछे नहीं हटने वाले हैं. वो लोग साझा मोर्चा के साथ आगामी 7 अक्टूबर को पटिलयाला स्थित मुख्यमंत्री श्री अमरेंद्र सिंह के मोतीमहल के बाहर धरना देंगे.

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