देश में सरकारी कंपनियों में कार्यरत आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को निजीकरण के बाद आरक्षण का लाभ मिलेगा या नहीं? लोकसभा में केंद्र सरकार से पूछे सवाल के जवाब में क्या कहा? यही नहीं बल्कि लोकसभा में यह भी बताया गया कि पुरे देश के पब्लिक सेक्टर में कुल व् आरक्षित पद पर कितने कर्मचारी काम करते हैं। आइये हम इसको न केवल विस्तार से जानेंगे बल्कि लोकसभा में पूछे सवाल का PDF कॉपी भी देंगे। जिससे आप इसको खुद से वेरीफाई कर सकें।
निजीकरण के बाद आरक्षण का फायदा मिलेगा या नहीं?
लोकसभा में कार्ती पी चिदंबरम की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में वित् राज्यमंत्री डॉक्टर भागवत किशनराव कराड ने बताया आरक्षण की नीति केवल सरकारी कंपनियों पर लागू है। रणनीतिक विनिवेश के बाद कोई कंपनी सरकारी नहीं रह जाती है तो इसका फायदा आरक्षण का लाभ ले रहे कर्मचारियों को नहीं मिलेगा।
यह सवाल वित् मंत्रालय से खासतौर पर भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी बीपीसीएल के प्रस्तावित निजीकरण और विनिवेश के बारे में आरक्षित पदों में कमी को लेकर पूछा गया था. केंद्र सरकार ने कहा कि रणनीतिक विनिवेश के बाद भारत पेट्रोलियम सरकारी कंपनी नहीं रह जायेगी और आरक्षण की निति केवल सरकारी कंपनियों में ही लागू है।
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केंद्र सरकार ने लोकसभा में यह भी बताया कि 31 मार्च 2021 तक केंद्रीय सरकारी लोक उद्यमों यही सीपीएसई में कुल 9.19 लाख कर्मचारी कार्यरत थे। जिसमें अनुसूचित जाति के कर्मचारियों की संख्या 160384 (17.44%) है। वहीं दूसरी तरफ अनुसूचित जनजातियों के कर्मचारियों की संख्या 99693 (10.84%) और अन्य पिछड़ा वर्ग के 198581 (21.59) कर्मचारी काम कर रहे हैं।
केंद्र सरकार के इस जवाब से स्पष्ट है कि निजी/प्राइवेट कम्पनी में आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है। मगर जो कर्मचारी सरकारी विभागों में पहले से आरक्षण का लाभ ले रहे। उनको भी अब सरकारी कंपनियों को प्राइवेट होने के बाद आरक्षण का लाभ नहीं मिल पायेगा।
निजीकरण के बाद आरक्षण का फायदा मिलेगा या नहीं – केंद्र सरकार ने कहा?
अब ऐसे में जब सभी सरकारी कम्पनियाँ प्राइवेट हो जायेगी तो केंद्र सरकार द्वारा “स्वर्ण आरक्षण” की तरह लोकसभा में पेश ओबीसी से सम्बंधित संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 भी लॉलीपॉप ही साबित होगा।
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