उत्तरी धमौन की मुखिया प्रत्याशी बेबी कुमारी की जीत से बदलेगी गाँव की सूरत, कैसे?

बिहार, समस्तीपुर जिले के पटोरी प्रखंड अंतर्गत उत्तरी धमौन की मुखिया प्रत्याशी के रूप में बेबी कुमारी चुनाव लड़ रही है। ऐसे तो वह मुखिया उम्मीदवार के रूप में पहली बार खड़ी हुई है, मगर उनके नामांकन के दिन से ही जीत की अंटकले तेज है। उनके उत्तरी धमौन पंचायत (महिला क्षेत्र) से मुखिया पद के लिए प्रबल दावेदारी की मुख्य वजह उनके पति अनुरुद्ध कुमार उर्फ़ देवानंद हैं। आइये विस्तार से जानते हैं कि देवानंद आज क्षेत्र के युवाओं, गरीबों और महिलाओं की पहली पसंद बन चुके हैं, कैसे?

उत्तरी धमौन की मुखिया प्रत्याशी बेबी कुमारी

उत्तरी धमौन की मुखिया प्रत्याशी बेबी कुमारी ने कहा कि मुझे मेरे पति पर गर्व है। मैं उनके बिना किसी पद पर रहते पंचायत में किये कामों के आधार पर वोट मांग रही हूँ। उन्होंने समाज के गरीब लोगों के लिए अपने और परिवार के ऊपर इतना कुछ सहते हुए भी अपने उसूलों से समझौता नहीं किया। आज भी वो हर गरीब मजदूर की एक आवाज पर दौड़ पड़ते हैं। मैं गांव के लोगों से अपील करती हूँ कि गरीब, किसान, मजदूरों के संघर्ष को मजबूत बनाने के लिए हमें टेम्पू छाप पर अपना एक-एक बहुमूल्य वोट देकर विजयी बनावें।

आखिर अनिरुद्ध कुमार ‘देवानंद’ कौन हैं?

धमौन गाँव के माध्यम वर्गीय परिवार में पले अनिरुद्ध कुमार उर्फ़ देवानंद कॉलेज के दिनों में छात्र राजनीती में काफी सक्रिय रहे थे। उसके बाद परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के इंटर से आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख पाए। उनके ऊपर जल्द ही घर गृहस्ती की जिम्मेदारी सौंप दी गई। उनकी शादी बेबी कुमारी से 2003 में हो गई थी। जिसके बाद उनके अभी एक लड़का और एक लड़की है।

केंद्र सरकार के द्वारा भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए आरटीआई एक्ट 2005 को लागू किया गया। देवानंद ग्रामीण परिवेश के रहने के कारण किसान मजदूर, गरीबों के तकलीफ से परेशान रहते थे। उनको मानो तो सरकार द्वारा आरटीआई कानून संजीवनी के रूप मिल गया। जिसके पश्चात उन्होंने सबसे पहले जन वितरण प्रणाली में गड़बड़ी को उजागर करने की ठानी।

देवानन्द राय पर 4 मुकदमा दर्ज

अनिरुद्ध कुमार उर्फ़ देवानंद ने उत्तरी धमौन में जन वितरण प्रणाली विक्रेताओं (डीलरों) के द्वारा गरीबों के राशन में गड़बड़ी को उजागर करने के लिए RTI से जन वितरण प्रणाली का रजिस्टर माँगा। जिसके पश्चात स्थानीय जन वितरण प्रणाली विक्रेताओं (डीलरों) ने प्रशासन की मिलीभगत से देवानंद पर उक्त जन वितरण प्रणाली का रजिस्टर छीनने, हरिजन एक्ट आदि विभिन्न धाराओं के तहत अलग-अलग 4 मुकदमा दर्ज करवा दिया।

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हमने जब देवानंद से पूछा कि आपके ऊपर 4 मुकदमा पंजीकृत है। ऐसे में जनता आप पर भरोसा क्यों करें? उन्होंने बताया कि अब आप ही सोचिए न, जो व्यक्ति जिस रजिस्टर के लिए आरटीआई लगा रखा हो। वह उस रजिस्टर को छिनेगा क्यों? उन्होंने बताया कि मैंने जिस-जिस जन वितरण प्रणाली विक्रेता का रिकॉर्ड माँगा। उस उसने प्रशासन के मिली भगत से मेरे ऊपर फर्जी एफआईआर दर्ज करवा दिया। मेरे शिकायत पर पटोरी प्रशासन मूकदर्शक बना रहा।

आगे उन्होंने बताया कि खैर, जनवितरण प्रणाली रजिस्टर छिनौती से जुड़ा एक मामले में पटोरी के पूर्व डीएसपी श्री विजय कुमार पर राज्य सूचना आयोग बिहार ने कार्रवाई का आदेश दिया है। मेरे ऊपर अन्य बाँकी मुकदमें भी आने वाले समय में टाँय-टाँय-फिस्स जायेंगे। सूरज और सत्य को ज्यादा देर तक छुपाया नहीं जा सकता है। अंत में मेरे ऊपर लगे सारे आरोप झूठे साबित होंगे और सत्य की जीत होगी।

किस मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं?

जब हमने पूछा कि आप किस मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं? उन्होंने बताया कि उत्तरी धमौन जो कि पटोरी अनुमंडल अंतर्गत धमौन गांव के 5 पंचायत में आता है। जहाँ के ग्रामीणों का मुख्य पेशा कृषि है। हमारा पूरा गाँव की बाढ़-ग्रस्त इलाका है। जिससे हम ग्रामीणों का हर वर्ष क्षति का सामना करना पड़ता है। जिसके लिए सभी को साथ लेकर ठोस और स्थायी कदम उठाने की जरूरत है। जिसके लिए जो भी मुझसे बनेगा। वह हमारी प्राथमिकता होगी।

हमारे गाँव के लोग जिनके पास राशन कार्ड तो हैं, मगर डीलरों द्वारा राशन का गबन कर लिया जाता है। यहां के प्रशासनिक पदाधिकारी को दर्जनों शिकायत के बाद भी जांच करने नहीं आतें। सरकार द्वारा गरीब लोगों को मनरेगा, वृद्धा पेंशन, लक्ष्मी बाई पेंशन, दिव्यांग पेंशन, जैसी सुविधा कई सुविधाएं दी जाती है। जिसका करप्शन के कारण पूर्ण लाभ उनको मिल नहीं पता है।

आज सरकारी स्किम का लाभ बिचौलियों और जनप्रतिनिधि बंदरबाँट कर जाते या उनकी लापरवाही के भेंट चढ़ जाता है। यही नहीं कई मामले तो गरीबों के फर्जी खाते खोल कर सरकारी स्कीम के तहत आने वाले पैसों को बैंक खाते से निकलना का आ चूका है। जो कि कहीं न कहीं प्रशासन की मिली भगत के बिना संभव नहीं है। इसलिए मेरी पहली प्राथमिकता करप्शन पर लगाम लगाना है। आज इंदिरा आवास योजना में 30-40 हजार रुपया जबकि राशन कार्ड 1000 से 2000 रुपये लिए जाते हैं। जिससे जरूरतमंद लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पता है। हम सबसे पहले इस पर रोक लगायेंगे। जिसके बाद शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य आदि मुख्य मुद्दा है। जिसको लेकर लगातार हम लोगों के बीच हैं। लोगों से भरपूर जनसमर्थन मिल रहा है।

गरीबों की मदद व् सामाजिक काम में सक्रिय

आपको बता दें कि 38 वर्षीय युवक अनिरुद्ध कुमार ग्रामीणों के लिए मुफ्त आधार कार्ड, गरीब परिवार को राशन कार्ड , वृद्धा पेंशन, लक्ष्मीबाई पेंशन, दिव्यांग पेंशन, जैसी सुविधा उपलब्ध करवाया है। उनके द्वारा पिछले कई वर्षो से अनवरत संघर्ष के बदौलत सरकारी दुकान में संलिप्त भ्रष्टाचार को उजागर कर भ्रष्टाचार मुक्त करवाया। जिसके फलस्वरूप गरीब गुरबा को समय उचित मूल्य पर राशन मिलने लगा है। उन्होंने सामाजिक सुरक्षा के अंतर्गत सभी पेंशनधारियों को जीवन प्रमाण पत्र, गोल्डन कार्ड आदि शिविर आयोजित कर बनाने में मदद की। इसके साथ ही बचे लोगों का घर घर जाकर बनाने का काम किया है। जिसकी चर्चा पुरे क्षेत्र में हो रही है।

ग्रामीण कौशल (बदला नाम) बताते हैं कि अनिरुद्ध कुमार ने कितने ही गरीबों को गोल्डन कार्ड से मुफ्त ईलाज करवाने में मदद की है। आज तक जो भी व्यक्ति उनने मदद माँगा चाहें उनका दाखिल-ख़ारिज, छात्र-छात्राओं को स्कूल-कॉलेज में नामांकन, छात्रवृत्ति योजना, पोशाक योजना, साइकल योजना का मामला क्यों न हो। उन्होंने सभी का काम निःशुल्क में बिना एक पैसा घूस दिए करवाया है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को जनता को एक मौका अवश्य देना चाहिए।

असल मायने में “समाज में बदलाव”

अब भले ही अनिरुद्ध कुमार का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नही है। वो अपने संघर्ष के दम पर नीचे से यहां तक आयें है। उनके ऊपर अभी तक भ्रष्टाचार के कोई भी आरोप नहीं है। वो जिस तरह से पिछले 5 साल से जनता के लिए समर्पित हैं। जो काम जनप्रतिनिधियों को करना चाहिए उस काम को वो निस्वार्थ भाव से बिना किसी सरकारी सहायता के कर रहे हैं। ऐसे में गांव की बदहाल जनता बदलाव चाहती है। यही वह मुख्य कारण है कि चुनाव से पहले ही उत्तरी धमौन के मुखिया प्रत्याशी बेबी कुमारी की जीत पक्की मानी जा रही है।

अब ऐसे में अगर उत्तरी धमौन पंचायत की जनता निस्वार्थ भाव से काम करने वाले ईमानदार, कर्मठ नौजवान के हाथ में प्रतिनिधित्व की बागडोर सौंपती है तो असल मायने में “समाज में बदलाव” की उम्मीद बढ़ जायेगी।

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