नीतीश के जनता दरबार में पटोरी के युवक को कोविड टीका नहीं लेने पर, जाने से रोका

नीतीश के जनता दरबार में पटोरी के युवक को कोविड टीका नहीं लेने पर, जाने से रोक दिया है। पटोरी धमौन के युवा  RTI कार्यकर्त्ता श्री अनिरुद्ध कुमार ने आरोप लगाया है कि वो पटोरी आशा फैसिलेटर चयन में फर्जीवाड़ा का भंडाफोड़ करने वाले थे। इसलिए उनको साजिश के तहत बिहार मुख्यमंत्री जनता दरबार में जाने से रोका गया है। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार, प्रधान सचिव, बिहार सरकार, भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय आदि को ईमेल के द्वारा शिकायत दर्ज करवाई है। आइये जानते हैं कि पूरा मामला क्या है?

नीतीश के जनता दरबार में पटोरी के युवक को जाने से रोका

श्री कुमार ने समस्तीपुर जिले के पटोरी अनुमंडल अंतर्गत आशा फैसिलेटर के चयन में फर्जीवाड़ा व धांधली संबंधित शिकायत दिनांक- 22.07.2021 को मुख्यमंत्री जनता दरवार में ऑनलाइन दर्ज की थी। जिसके बाद उनको पोर्टल से मुख्यमंत्री जनता दरबार में दिनांक-11.10.2021 को शामिल होने की जानकारी मिली। जिसके उपरांत उनको दिनांक- 07.10.2021 को रात 8 बजे जिला मुख्यालय समस्तीपुर से जनता दरवार में शामिल होने के लिए RTPCR जाँच कराने एवं कोविड टीकाकरण कराने के लिए कहा गया।

उन्होंने उक्त निर्देशानुसार दिनांक 08.10.2021 RTPCR जांच करवा ली। जिसका रिपोर्ट दिनांक-10.10.2021 को शाम 4 बजे निगेटिव आया। फिर भी उनको समस्तीपुर के अधिकारियों के द्वारा बिहार मुख्यमंत्री जनता दरबार में नहीं जाने दिया गया। जिससे वो नाराज हैं।

सीनियर डिप्टी कलेक्टर ने कोविड-19 टीका लेने का दबाव बनाया

श्री कुमार ने बताया कि दिनांक- 09.10.2021 को शाम 6.20 बजे मेरे मोबाईल सीनियर डिप्टी कलेक्टर एवं उनके किसी सहयोगी ने लगभग 7:00 बजे फोन कर कोविड-19 टीका लेने का दबाव बनाया। जब उनसे मैंने कहा कि “सर कोविड टीका स्वैक्षिक हैं, तो उन्होंने कहा कि “हवाई जहाज, होटल में और बिहार मुख्यमंत्री के जनता दरबार में जाने के लिए कोविड-19 टीका अनिवार्य है”। आपको हम बिना टीका लगाए नहीं जाने देगें। जिसके बाद उनसे इस आशय का पत्र जारी करने का आग्रह किया। मगर उन्होने उसके बाद न तो मेरा फोन उठाया और न ही अभी तक कोई पत्र ही जारी किया।

फरियादी को आरोपियों के हिरासत में मुख्यमंत्री के समक्ष पेश

अनिरुद्ध ने बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार व् सम्बंधित अधिकारियों से मांग किया है कि बिहार मुख्यमंत्री के जनता दरबार का कार्यक्रम जनता का संवाद उनके जनप्रतिनिधि यानी मुख्यमंत्री के बीच होने के लिए निर्धारित किया गया है। जिसमें जब आम जनता की शिकायत जब नौकरशाह नही सुनते, कोई घोटाला करता व जनता का शोषण करता है तो वो अपनी शिकायत सीधे मुख्यमंत्री के समक्ष रखता है। अब बिहार मुख्यमंत्री जनता दरबार के गाइडलाइन के अनुसार जब फरियादी को नौकरशाहों/आरोपियों के हिरासत में मुख्यमंत्री के समक्ष पेश किया जाएगा तो वह उनकी शिकायत कैसे कर पायेगा?

उन्होंने अपनी शिकायती ईमेल में यह भी लिखा है कि जब मेरा जांच निगेटीव है, ऐसे में मुझे बिहार मुख्यमंत्री के जनता दरबार का कार्यक्रम में जा रहा हूँ कि नहीं? यह फोन से रात 7:47 बजे घोटाले के आरोपी सिविल सर्जन, समस्तीपुर का आता है। जिससे पता चलता है कि कोई शिकायतकर्ता आपके अधिकारियों के साथ कितना सुरक्षित महसूस करेगा और बिना भय के आपके समक्ष अपनी कितनी बात रख पायेगा।

क्या कोविड-19 टीका स्वैक्षिक है?

उन्होने आगे कहा है कि केन्द्र सरकार का RTI जवाब व बिहार सरकार सर्कुलर क्रमशः दिनांक 09.03.2021, 03.04.2021 के अनुसार “कोविड-19 टीकाकरण स्वैक्षिक है“। ऐसे में बिहार मुख्यमंत्री के जनता दरबार का कार्यक्रम में “जबरिया टीकाकरण का नियम” बना अपने ही बनाये उपरोक्त नियम का उल्लंघन है और साथ ही मेघालय हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार जबरदस्ती टीकाकरण देश के नागरिक का मौलिक अधिकार व निजता के अधिकार का भी हनन है। अभी हाल ही में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी केन्द्र सरकार को नोटिस किया है कि किसी का जबरदस्ती टीकाकरण तो नहीं किया जा रहा?

उनके अनुसार सरकार के द्वारा अभी तक कहीं भी स्पष्ट नहीं है कि कोविड-19 का टीकाकरण के बाद लोग कोविड संक्रमित नहीं होंगे? अगर बिहार सरकार के अनुसार अगर टीकाकरण प्रभावी उपाय है तो जनता दरबार में टीका लेकर जाने वाले लोगों को भी कोविड जांच किया जाना अनिवार्य क्यों किया गया है? क्या बिहार मुख्यमंत्री के जनता दरबार का कार्यक्रम में उपस्थित स्वयं बिहार मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार व उनके सभी अधिकारी/पदाधिकारी टीकाकरण करवा चुकें है और साथ ही क्या वो अपने बनाए  नियम के अनुसार रोज जनता दरबार/ऑफिस में अपना कोविड-19 का जाँच कराकर प्रतिदिन जनता के समक्ष प्रस्तुत करते हैं? अगर नहीं तो क्या आपके लिए जनता की जान से अपनी जान ज्यादा कीमती है?

श्री अनिरुद्ध ने बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार से तीखा सवाल किया है कि महोदय यह बताने की कृपा करें कि उनके जनता दरबार कार्यक्रम में यदि कोई महिला अपने दुधमुंहे बच्चे के साथ शामिल होना चाहती है/होती है तो क्या उनके अधिकारी उस महिला के साथ उस नवजात बच्चे का भी टीकाकरण करेंगे/ करते हैं?

नीतीश के जनता दरबार में पटोरी के युवक को कोविड टीका नहीं लेने पर, जाने से रोका

आशा फैसिलेटर चयन में फर्जीवाड़ा व धांधली” का भंडाफोड़

अपने ईमेल के अंत में उन्होंने बिहार सरकार से मांग किया है कि उनको मुख्यमंत्री के जनता दरबार का कार्यक्रम में शामिल होने के लिए फिर से अनुमति का आदेश जारी किया जाए ताकि “आशा फैसिलेटर चयन में फर्जीवाड़ा व धांधली” का भंडाफोड़ कर सकूँ व साथ ही जनता को खुद से आने की अनुमति दी जाए न कि फरयादी को आरापियों के हिरासत में मुख्यमंत्री के समक्ष पेश किया जाए।

अगर कोई कोविड-19 निगेटीव है तो जनता दरबार में शामिल होने वाले लोगों को जबरदस्ती टीकाकरण पर रोक लगाया जाए, क्योंकि “फरियादी बिहार मुख्यमंत्री से गले मिलने नही बल्कि उनको अपनी तकलीफ सुनाने आ रहे” और वो भी जनता दरबार में उचित दूरी की व्यवस्था के बीच। इसके साथ ही उनको सुझाव गया है कि बिहार सरकार ऑनलाइन जनता दरबार लगाकर इक्छुक लोगों से उनके घर बैठे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग माध्यम से भी जुड़ सकते हैं, जिससे कम से कम इतना तामझाम की वजाय ऑनलाइन माध्यम से जनता का समय और पैसा दोनों बचेगा।

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