नई दिल्ली: देश का आईटी सेक्टर इस वक्त बुरे दौर से गुजर रहा है. कंपनियों में बड़े पैमाने पर छंटनी की खबरें आ रही हैं. मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक कॉग्निजान्ट ने दस हजार कर्मचारियों की छंटनी की है. इन्फोसिस ने दो हजार कर्मचारियों को अलविदा कहा तो विप्रो ने पांच सौ कर्मचारी हटाए हैं. इसके अलावा आईबीएम में भी हजारों लोगों की छंटनी की खबरें आई हैं. यानी आईटी कंपनियों में छंटनी की फेहरिस्त बढ़ती जा रही है. कुल मिलाकर इस वक्त आईटी सेक्टर की तस्वीर बेहद भयावाह दिख रही है. जिससे कर्मचारीगण काफी चिंतित है. जिसके बाद स्थिति का मुकाबला करने के लिए आईटी वर्कर्स ने कंपनियों में बड़े पैमाने पर छंटनी के खिलाफ यूनियन बनायी.
इस बारे में द हेड हंटर्स कंपनी के सीएमडी के लक्ष्मीकांत के मुताबिक आईटी सेक्टर में दो लाख लोगों की नौकरियां जाने की आशंका है. न्यूज़ 18 ने तो यहाँ तक लिखा है कि यहां तकरीबन 10 लाख लोगों की नौकरियां पर खतरा मंडरा रहा है. जबकि सरकार का कहना है कि छंटनी की खबरों को मीडिया द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जा रहा है. जिसके बाद आईटी वर्कर्स के पास संगठित होने के आलावा कोई चारा नहीं बचा है.
एक बड़ी खबर एनडीटीवी ने हिंदी पोर्टल पर प्रकाशित किया है कि कॉग्निजेंट जैसी बड़ी आईटी कंपनियों द्वारा की जा रही बड़े पैमाने पर छंटनी के खिलाफ कर्मी लामबंद होने लगे हैं. कंपनियों से निकाले गए कर्मचारियों ने यूनियन बनाने की बात कही है. आईटी पेशेवर से कार्यकर्ता बने एस. परिमल ने कहा कि 100 से अधिक सॉफ्टवेयर पेशेवरों ने हमारे छोटे से यूनियन की सदस्यता ली है.
हम एक यूनियन बनाएंगे जो “तमिलनाडु आईटी कर्मचारी यूनियन” के नाम से जाना जाएगा. हम महिला सुरक्षा और आईटी कंपनियों में श्रम कानूनों को सुनिश्चित कराने का पुरजोर प्रयास करेंगे.हालांकि, तमिलनाडु में लगभग 4.5 लाख आईटी कर्मचारी है. अभी देश के मजदूरों/कर्मचारियों के प्रति नियोक्ताओं का जिस प्रकार का रवैया है. उससे कोई भी कर्मचारी यूनियन जोवाईन करने से डरेगा. जबकि यूनियन बनाना और उसको जोवाईन करना कर्मचारियों का संवैधानिक अधिकार है. मगर इस छंटनी रूपी संकट से बिना यूनियन के नहीं रोका जा सकता है.
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