दिहाड़ी कर्मियों को न्यूनतम वेतन के साथ स्थायी करें – सुप्रीम कोर्ट आदेश?

अभी पुरे देश कोरोना महामारी के बीच जब नौकरियों पर संकट छाया हुआ है। ऐसे में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने दिहाड़ी कर्मियों (Daily Wager) को न्यूनतम वेतन के साथ स्थायी करने का आदेश (Daily wages permanent Order) जारी किया है। जिससे न केवल उन सभी अपीलकर्ता कर्मचारियों को बेनिफिट मिलेगा, बल्कि देश के किसी भी विभाग में लंबे समय से दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए भी राहत भरी खबर है।

आज हम इसके बारे में न केवल विस्तार से जानेंगे बल्कि इस आदेश का लाभ किन-किन कर्मचारियों को मिलेगा? इसके साथ ही हम आपको पोस्ट में इस आदेश का कॉपी भी उपलब्ध करवाने को कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।

Daily Wages Employees Regularisation judgment by Supreme Court

गुजरात के विश्वविद्यालय में दिहाड़ी मजदूर जो विभिन्न कृषि अनुसंधान केंद्र जो कुशल, अर्ध-कुशल, अकुशल और खेतिहर मजदूर के रूप में लगाया गया था। वो दिहाड़ी मजदूर प्लंबर, बढ़ई, स्वीपर, पंप के रूप में काम कर रहे हैं। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने दिहाड़ी कर्मियों को न्यूनतम वेतन के साथ स्थाई करने का आदेश दिया है।

Daily Wages Employees Regularisation 2021

Daily Wager Employees ने अपनी नौकरी को स्थाई करने की मांग के लिए औद्योगिक विवाद (Industrial Dispute) दायर किया गया। जिसके बाद डेली वेजर कर्मचारियों के पक्ष में औद्योगिक न्यायाधिकरण, राजकोट ने निर्देश दिया कि अपीलार्थी सभी Daily Wager Employees को नियमित कर वेतन और भत्तों सहित अन्य चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के स्थायी लाभ दिया जाए। जिन्होंने 01.01.1993 को 10 साल की सेवा पूरी कर ली है।

जिस फैसले के खिलाफ अपीलकर्ता (Employer) द्वारा दायर याचिका पर उच्च न्यायालय ने औद्योगिक न्यायाधिकरण को आंशिक रूप से अनुमति दी थी। माननीय हाईकोर्ट के द्वारा औद्योगिक न्यायाधिकरण के फैसले को रद्द कर दिया गया था और अपीलार्थी को कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन भुगतान का आदेश दिया था। इसके साथ ही ऐसे दिहाड़ी मजदूरों को नियमितीकरण के लिए योजना तैयार करने को कहा गया था।

दिहाड़ी कर्मियों को नियमित करें

जिसपर विश्वविद्यालय ने उच्च न्यायालय में कर्मचारियों को चरणवद्ध तरीके से पोस्ट सृजित कर रखने का वादा किया था। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि विश्वविद्यालय को गुजरात उच्च न्यायालय ने 2001, 2011 और 2018 में आदेश दिया था कि 10 साल की सेवा वाले सभी दिहाड़ी कर्मियों को नियमित करें। इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने भी कहा था कि विश्वविद्यालय कर्मचारियों को तब तक नियमित करते रहेंगे जब तक नियमितीकरण पूर्ण न हो जाए।

Daily wages permanent Order 2021 in Hindi

माननीय सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरन न्यायमूर्ति एल, नागेश्वर राव और अनिरूद्धबोस की पीठ ने विश्वविद्यालय के इस तर्क को ठुकरा दिया कि यह आदेश उमादेवी मामले में आए संविधन पीठ के फैसले (2006) के विरूद्ध है। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि उन्हीं कर्मचारियों को स्थायी किया जा सकता है। जो स्वीकृत पदों पर अस्थायी रूप से काम कर रहे हों और उनकी सेवा 10 वर्षों तक प्रत्येक कैलेंडर वर्ष में लगातार 240 दिन रही हो। साथ ही वे इस पद के लिए आवयक शैक्षणिक योग्यता काम पर रखे जाने के दिन से रखते हों। पद न होने की स्थिती में उन्हें स्थायी नहीं किया जा सकता और विश्वविद्यालय के पास पोस्ट नहीं हैं।

दिहाड़ी कर्मियों को न्यूनतम वेतन के साथ स्थायी करें – सुप्रीम कोर्ट, लेटेस्ट आदेश 2021

माननीय उच्चमत न्यायालय ने दिहाड़ी पर काम कर रहे 5000 से ज्यादा माली, प्लंबर, कारपेंटर, स्वीपर, पम्प ऑपरेटर और हेल्परों को चतुर्थ श्रेणी में न्यूनतम वेतन के साथ स्थायी करने का आदेश दिया है। इन कर्मियों को गुजरात के चार कृषि विश्वविद्यालयों में रखा जाना है।

अब अगर आप भी पुरे देश के अंदर किसी भी सरकारी विभाग में दिहाड़ी मजदूर के रूप में पिछले 10 वर्षों से काम कर रहे हैं। ऐसे में इस आदेश के आधार पर सम्बंधित लेबर कोर्ट के माध्यम से नौकरी पक्का करने की मांग कर सकते हैं। याद रहे आपको इसका लाभ तभी मिलेगा। जब सम्बंधित कोर्ट में याचिका दायर कर आदेश जारी करवायेंगे।

Supreme Court Judgement for Daily Wager Employees Regularization PDF

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10 thoughts on “दिहाड़ी कर्मियों को न्यूनतम वेतन के साथ स्थायी करें – सुप्रीम कोर्ट आदेश?”

  1. डिअर सर हम लोग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कोको कोला में कॉन्ट्रैक्ट के पास पिछले 15 सालों से काम कर रहे हैं जब भी हम 2013 से सीटू यूनियन से जुड़े हुए भी है फिर भी कंपनी द्वारा हमें सप्ताह में 2 से तीनों ऑफ दिया जा रहा है जिससे घर परिवार चलाने में बहन कर आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है जिसकी शिकायत यूनियन द्वारा लेबर कोर्ट में फरवरी 2020 में दर्ज कराई थी लेकिन लेबर कोर्ट द्वारा 15 बार हमारी तारीख में जाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं की क्या हमें 26 दिन ड्यूटी मिल सकती है या स्थाई हो सकते हैं हमें क्या करना है कृपया हमारा मार्गदर्शन करें

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    • आपका जब यूनियन ने केस लगाया है तो वही इसके बारे में आपको सही जानकारी दें पायेंगे

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    • आप अपने एरिया के लेबर कमिश्नर ऑफिस में लिखित शिकायत कर सकते हैं

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  2. Dear sir हम कोको कोला कंपनी में कॉन्ट्रैक्ट के पास पिछले 15 सालों से काम कर रहे 2013 में सीटू से हमारी यूनियन बनी फिर भी ठेकेदार द्वारा हमें सप्ताह में दो से चार ऑफ दिया जा रहा है जिसकी शिकायत shram vibhag mein ki hai जिसकी 15 बार तारीख पढ़ चुकी है लेकिन अब शर्म विभाग ने प्रज्ञा शर्मा जी लेबर इंस्पेक्टर jo कि अब हमारा फोन नहीं उठा रही और ना ही ठेकेदार व कंपनी पर कार्रवाई की है हम यह जानना चाहते हैं क्या हमें भी 26 दिन ड्यूटी मिल सकती है क्या हम भी स्थाई कर्मचारी हो सकते हैं क्योंकि हमारे साथी लोडिंग एवं अनलोडिंग का काम कर रहे हैं जो की कंपनी है की मुख्य गतिविधि है ्् कंपनी कंपनी में प्रोडक्शन 2016 में बंद हो गया था अब केवल माल बाहर से आता है hamari union mein abhi bhi 99 se jyada aadami hai. यदि श्रम विभाग भी हमारी शिकायत नहीं सुने तो अब हमें क्या करना चाहिए

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    • आपने जैसा कि बताया कि आपकी सीटू से संबंधित यूनियन है। ऐसे में आपके नेताओं ने इस बारे में क्या कहा? आप उसने बात करें। आपकी समस्या का समाधान के लिए ही तो यूनियन ज्वाइन किया है।

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  3. मैं आयकर विभाग में 2004 से संविदा कर्मी के रूप मे कार्यरत हूं क्या में स्थाई हो सकता हूं

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    • ऐसे आपको मांग करने का अधिकार हैं। आप मांग कर सकते हैं मगर अपने आप कुछ भी नहीं होता।

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  4. सर मुझे ब्लॉक में डेली बेसिस पर नियुक्त मनरेगा में किया गया था जिसमे 20माह तक का सेवा दिया गया और जिसमे 8माह का मानदेय बकाया अभी तक nhi mila jiske karan bhukhmari ke kagar par hai or uper state se secretary sir ka ek chithi jari kar hmlogo ko awadh bata kar hatya Jane or kam nhi lene ka adesh upaukt or up vikash aukt ko diya gya। Kya sir hmlogo ko savida par hone ke chances bante hai । Kripya bataye।

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