Code of Wage 2021 के द्वारा मोदी सरकार मजदूरों को गुलाम बनाना चाहती?

केंद्र सरकार के द्वारा संसद में पास Code of Wage Act 2021 लागू होने जा रहा है। जिसको विभिन्न मिडिया रिपोर्ट के अनुसार New Wage Code को 13 राज्यों ने लागू करने की तैयारी भी कर ली है। जिसके तहत दिल्ली सरकार ने ड्राफ्ट मजदूरी संहिता (दिल्ली) नियमावली, 2021 जारी किया है। जिस पर आम पुब्लिक से 25 दिसम्बर 2021 तक आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं। जिसकी हमारे द्वारा दी जानकारी पढ़कर एक साथी कुमार ने सुझाव का कॉपी भेजा है। जिसमें कुछ आवश्यक सुधार के बाद आपतक Open Letter शेयर रहा हूँ।

Code of Wage 2021 India latest News in Hindi

केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा मजदूरों के लिए नया लेबर कानून यानी वेज कोड बिल (Code on Wage) लाया गया है। जिसको संसद के दोनों सदनों में पास किया जा चूका है। हम अपने इस पोस्ट में बताने जा रहें है कि इस कानून के लागू होते ही आपकी सेवा शर्त, सैलरी, काम के घंटे के साथ टेक होम सैलरी पर भी काफी फर्क पड़ने वाला है।

अगर आप केंद्र सरकार के कानून पर दिल्ली सरकार द्वारा जारी रूल्स का ड्राफ्ट को पूरा पढ़कर समझ लेंगे तो मेरी तहत चौंक जायेंगे। आपको भी लगेगा कि क्या Code on Wages के जरिए सरकार मजदूरों को गुलाम बनाने की साजिश तो नहीं कर रही? हम इस काले कानून के विरोध में केंद्र व् दिल्ली सरकार आपत्ति ईमेल के द्वारा भेज रहे हैं। जिसके साथ यह खुला पत्र आपके जरिए हर मजदूर के साथ सरकार तक पहुँचाना चाहते हैं।

मजदूरी संहिता (दिल्ली) नियमावली, 2021 के संदर्भ में हेतू आपत्तियां और सुझाव

आज हम दिल्ली सरकार के लेबर कमिश्नर के साथ श्रममंत्री व् मुख्यमंत्री को ईमेल भेज रहे हैं। जिसमें कोड ऑन वेज 2021 को रद्द करने की मांग की है। जिसको आप हर मजदूर/कमचारियों को पढ़ना चाहिए। जो कि निम्न प्रकार से है-

सेवा में,                                                                              दिनांक- 23 दिसंबर, 2021

अपर सचिव (मुख्यालय),

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार,

5-शामनाथ मार्ग, दिल्ली -54

विषय: मजदूरी संहिता (दिल्ली) नियमावली, 2021 को रद्द करने का अनुरोध।

महोदय,

उपयुक्त विषय के संदर्भ में कहना है कि श्रम विभाग, दिल्ली सरकार द्वारा जो मजदूर संहिता (दिल्ली) नियमावली, 2021 के लिए 26.11.2021 को प्रस्ताव दिया गया है, उसमें हमें निम्न कारणों से आपत्ति है: –

1.) पहले न्यूनतम वेतन (Minimum Wages) के निर्धारण की तरह ही इस न्यूनतम वेतन के निर्धारण में भी एक मजदूर परिवार के लिए 3 यूनिट (मजदूर+पति अथवा पत्नी+दो बच्चे) यानी 4 सदस्य को शामिल किया गया है। इसमें कम से कम मजदूर पर आश्रित उनके माता और पिता को भी 2 यूनिट मानकर शामिल करना चाहिए था। एक मजदूर परिवार के लिए 5 यूनिट (मजदूर+पति अथवा पत्नी+दो बच्चे+आश्रित माता+आश्रित माता) यानी 5 सदस्य को शामिल करना चाहिए।

अगर हम EPF खाते, ESIC कार्ड या राशन कार्ड को ही देखें तो उसमें मजदूर के आश्रित माता-पिता को परिवार में शामिल किया गया है। जबकि न्यूनतम वेतन के निर्धारण में उनको जोड़ा ही नहीं जा रहा। अब अगर वह मजदूर परिवार के साथ रहेंगे तो उनके यूनिट को भी शामिल किया जाना चाहिए।

2.) देश की राजधानी दिल्ली Metro City है। जिसमें एक मजदूर परिवार को भोजन और वस्त्र के 10 प्रतिशत में मूल्य पर किराया का मकान मिलना संभव नहीं है। मजदूर वर्ग के लिए उनके भोजन और वस्त्र का कम से कम 24 प्रतिशत आवासीय किराया व्यय (HRA) निर्धारित करना चाहिए।

3.) उक्त मसौदा नियम कहता है कि रियायत दर पर आवश्यक वस्तुओं के संबंध में रियायत नकद मूल्य निर्वाह भत्ते की लागत की गणना 1 अप्रैल से पहले एक बार की जाएगी और उसके बाद न्यूनतम मजदूरी पर कर्मचारियों को देय महंगाई भत्ता प्रतिवर्ष 1 अक्टूबर से पहले संशोधित करने का प्रयास किया जाएगा।

यह मसौदा नियम इन अंतरालों पर महंगाई भत्ते को संशोधित करना अनिवार्य नहीं बनाता है, जबकि महंगाई भत्ता आवश्यक वस्तुओं (रियायती नकद मूल्य) निर्वाह भत्ते की लागत के संबंध को संदर्भित करता है। वर्तमान कानून के अनुसार भारत सरकार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में बदलाव के आधार पर औद्योगिक श्रमिकों और अनुबंध श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी से जुड़े महंगाई भत्ते को वर्ष में दो बार (1 अप्रैल से पहले और 1 अक्टूबर से पहले) संशोधित करती है। इसी आधार पर न्यूनतम मजदूरी से जुड़े महंगाई भत्ते को साल में दो बार (1 अप्रैल से पहले और 1 अक्टूबर से पहले) संशोधित करना अनिवार्य है।

4.) न्यूनतम मजदूरी के निर्धारण में, कार्य के घंटे प्रतिदिन 8 कार्य घंटे शामिल होंगे तथा एक या एक से अधिक विश्राम कुल मिलाकर एक घंटे से अधिक नहीं होना चाहिए। इसके अलावा एक सामान्य कार्य दिवस में अधिकतम 12 कार्य घंटे बताए गए हैं। जो कि भारत सरकार द्वारा अनुमोदित वर्तमान ILO कन्वेंशन तथा कारखाना अधिनियम, 1948 और न्यूनतम मजदूरी नियम,1950 का भी उल्लंघन करता है।

जिसके अनुसार, यह निर्दिष्ट करता है कि कर्मचारियों के काम के घंटे प्रतिदिन 8 कार्य घंटे जिसमें एक या एक से अधिक विश्राम कुल मिलाकर एक घंटे का विश्राम शामिल होगा। इसके अलावा सामान्य कार्य सप्ताह में प्रति सप्ताह 48 कार्य घंटे शामिल होंगे।

मजदूरों के कार्य के घंटे में प्रति सामान्य कार्य सप्ताह यानी की 48 कार्य घंटे से अधिक कार्य घंटे को ओवरटाइम (Overtime) मानकर ओवरटाइम भत्ता (Overtime Allowance) दिया जाता है। जो कि समान्य दर से डबल होता है। जिसको इस प्रस्ताव में शामिल ही नहीं किया गया है। जिससे मालिकों को बेरोकटोक मजदूरों को 12 घंटे काम करवाने का छूट मिल जायेगा।

5.) पहले के पूर्व के कानून के अनुसार सप्ताहिक दिन के बदलाव (रविवार की जगह किसी और दिन) के लिए अग्रिम सूचना मुख्य निरीक्षक को देना था. जबकि जबकि कोड ऑफ़ वेज में विश्राम का साप्ताहिक दिन निर्धारण में का नियम में हेरफेर किया गया है। यही नहीं बल्कि अब नए नियम के अनुसार 6 दिन लगातार काम करने वाला मजदूर ही 1 दिन का साप्ताहिक अवकाश पा सकेगा।

6.) मजदूरी पर दिल्ली राज्य सलाहकार समिति बोर्ड व टेक्निकल कमेटी में दिल्ली सरकार द्वारा नामित किए जाने वाले नियोक्ता और कर्मचारियों के प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्ति तथा स्वतंत्र व्यक्ति एवं राज्य के प्रतिनिधि शामिल होंगे। अब नियोक्ता और कर्मचारियों के 12-12 प्रतिनिधि शामिल होंगे।

जबकि पहले ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाता था। यह न केवल मजदूरों के ट्रेड यूनियन अधिकारों पर हमला है बल्कि ऐसे में सरकार किसी भी अपने मनचाहे आदमी को मजदूर का प्रतिनिधि नियुक्त कर लेगी।

7.) Night Duty (नाइट ड्यूटी) के लिए Night Duty Allowance (नाइट ड्यूटी भत्ता) दिया जाना चाहिए। जब दिल्ली सरकार खुद अपने सरकारी कर्मचारियों को नाइट ड्यूटी करने के लिए वेतन के अलावा नाइट ड्यूटी भत्ता भी देती है। यही नहीं बल्कि कोड ऑन वेज में नाईट ड्यूटी के लिए विस्तार यानी अधिकतम 16 घंटे तक होगा। जो कि सरासर अन्यायपूर्ण है।

यही नहीं बल्कि मजदूरी का भुगतान, बोनस का भुगतान और मजदूरी पर बड़े ही चालाकी से प्रावधानों को बदल दिया गया है। जिनको मद्देनजर ‘मजदूर संहिता (दिल्ली) नियमावली, 2021’ का विरोध करते हैं। जिसको मजदूर हीत में तुरंत ही रद्द किया जाए। इसके साथ ही सरकार को चेतावनी देते हैं कि अगर इस काले कानून को जोर जबरदस्ती लागू करने का कोशिश किया गया तो हम विरोध में सड़क पर उतरने को विवश होंगे।

भवदीय,
सुरजीत श्यामल
लेबर एक्टिविस्ट
दिल्ली-91

“कोड ऑन वेज” के द्वारा सरकार मजदूरों को गुलाम बनाना चाहती? Open Letter

कोड ऑन वेज 2021 को रद्द करने की मांग करें।

हम आपसे भी निवेदन करते हैं कि अगर आपको ऊपर लिखी बातें समझ में आ गई हो। ऐसे में दो लाइन में ही लिखकर सरकार को जरूर भेजें। साथ ही दिल्ली के 50 लाख मजदूरों तक पोस्ट को शेयर करें। अगर यही भी नहीं कर सकते तो याद रखिए, हमारे पूर्वजों ने खून देकर हमारे हक में 44 श्रम कानून बनवाये थे। जिसको आज हम चुप रहकर आने वाले कल बच्चों के लिए गुलामी की जंजीरें तैयार होने में मदद कर रहें हैं। अगर आप भी ईमेल भेजना चाहते हैं तो नीचे दिए फॉर्मेट के लिंक पर क्लिक कर डाउनलोड करें।

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19 thoughts on “Code of Wage 2021 के द्वारा मोदी सरकार मजदूरों को गुलाम बनाना चाहती?”

  1. हम कोड आनवेज 2021 रद्द करने की माँग करते है हम इस वेज से सहमत नहीं है

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  2. Sarkar ko private karmchari ke liye ye kadam uthan chahiye jaldi se jaldi wages lagu karke family secuerity our employee ko benifits de

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    • आप पूरा ड्राफ्ट पढ़ कर कमेंट लिख रही तो आप महान हैं.

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      • Aaj bi ap kahi per delhi citi me private me kam kar rahe logo se pusho ki salary 10000 se kam per kaam kar rahe .or job security nahi..or jo thekedar ko delhi ke har office har bank me rakh kar unke upr sosan kar rahe thekedar ghar me beth kar lakho croro rupee dkar rahe..or document me salary puri per emploee ko nahi mil rahi eske pishe ka curreption jo hai usme sarkar jimedar jis ne office work me bi thekedari ko lakar sirf apni jeb bharne ka kam kiya?

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        • आपको क्या लगता है कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है? हमसे पूछियेगा तो हम तो कहेगे कि सरकार से ज्यादा हम जिम्मेदार हैं.

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  3. नही होना चाहिए ऐसा नियम य गलत नियम है, जो है ऐसे सही है

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  4. मोदी सरकार अब तक की सब सरकारें से मजदूरों के लिए अच्छा किया हैं जैसे किसान नहीं समझे वैसे मजदूर भी नहीं समझ रहे ।

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