जन सूचना अधिकारी को जुर्माना, अपीलार्थी की शिकायत पर जांच व् हर्जाना?

अक्सर आपने आरटीआई कार्यकर्त्ता को प्रताड़ित करने की खबर सुनी होगी। मगर आज हम आपको केंद्रीय सुचना आयोग के एक ऐसे आदेश के बारे में बतायेंगे। जिसमें न केवल गलत जवाब देने के लिए केंद्रीय जन सूचना अधिकारी को जुर्माना लगाया बल्कि अपीलार्थी की शिकायत पर जांच के साथ हर्जाना देने का आदेश जारी किया गया है। आइये जानते हैं कि पूरा मामला क्या है?

जन सूचना अधिकारी को जुर्माना

अगर आप आरटीआई एक्ट 2005 के तहत जनहित के मुद्दे उठाते हैं। ऐसे में आपके लिए हमारी यह जानकारी फायदेमंद हो सकती है। अगर आपको जन सूचना अधिकारी द्वारा झूठा/भ्रामक जवाब दिया जाए तो आप माननीय सूचना आयोग से हर्जाना की अपील कर सकते हैं। जिसके लिए हम पोस्ट के अंत में आदेश का PDF कॉपी भी दे रहे हैं।
अभी हाल ही में केंद्रीय सूचना आयोग ने रेल से जुड़े मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। जिसके तहत रेलवे के जन सूचना अधिकारी को 5000/- रुपया का जुर्माना के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। माननीय आयोग ने अपने आदेश में अपीलार्थी की शिकायत पर गहन जांच के आदेश के साथ अपीलार्थी को 5000/- रुपया हर्जाना का आदेश जारी किया है।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला मध्य रेल डीआरएम ऑफिस पुणे का है। जिसके अपीलार्थी श्री रमेश शर्मा ने भोपाल से पुणे 15.09.2019 को यात्रा ट्रेन नं. 12104 से यात्रा कर रहे थे। उनके कोच के अंदर कोई भी कोच अटेंडेंट मौजूद नहीं था। जब उन्होंने टिकट चेकर (टीसी) से पूछताछ की कि वहां पर कोई अटेंडेंट क्यों नहीं है? ऐसे में उक्त टीसी ने आधिकारिक रूप से आवंटित सभी आठ (8) कोच पर्यवेक्षक को बुलाया।

जब उन्होंने पूछा कि कंपार्टमेंट में कोई अटेंडेंट क्यों नहीं है तो सुपरवाइजर नाम श्री राकेश प्रजापति (आईडी नंबर 1543) ने उन्हें सूचित किया कि केवल आठ कोचों के लिए चार परिचारक आठ आवंटित और शेष चार अनाधिकृत रूप से वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों के आवासों पर तैनात हैं। अपीलकर्ता ने तुरंत कोच अटेंडेंट की अवैध अनुपस्थिति के बारे में एक शिकायत (नंबर 032463) लिखी कि उनकी गैर-मौजूदगी में कैसे एक वरिष्ठ नागरिक को असुविधा का समाना करना पड़ा।

RTI आवेदन लगाकर की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी

अपनी इसी शिकायत पर RTI आवेदन लगाकर की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी। मगर वह चौंक गए जब सीपीआईओ ने यह कहते हुए गलत जवाब दाखिल किया कि सभी आठ आवंटित परिचारक उस दिन ट्रेन में मौजूद थे।

RTI Application for action taken

अपीलार्थी ने सीपीआईओ द्वारा गलत जवाब देने और उन्हें गुमराह करने के लिए सजा और अपने लिए मुआवजा की मांग की। उन्हें मानसिक पीड़ा हुई और यात्रियों और विशेष रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने की मांग की। आगे कहा कि वरिष्ठ नागरिकों को अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करने वाले रेलवे अधिकारियों की दया पर नहीं छोड़ा जाता है। जिसके बाद यह महत्वपूर्ण फैसला दिया गया है।

अपीलार्थी की शिकायत पर जांच के साथ हर्जाना

द्वितीय अपील की सुनवाई करते हुए माननीय सूचना आयुक्त श्री उदय माहुरकर ने मध्य रेल द्वारा वरिष्ठ नागरिक को उचित सेवा नहीं देने के आधार पर महाप्रबंधक मध्य रेलवे को आवेदक द्वारा की गई शिकायत की गहन जांच का आदेश दिया। इसके साथ ही केंद्रीय जन सूचना अधिकारी को भ्रामक जानकारी देने हेतु रु 5000 /- का अर्थदंड लगाया है। साथ ही अपीलार्थी को मानसिक क्षतिपूर्ति के एवज में रु 5000 /- का मुआवजा देने का आदेश भी पारित किया है। जिससे जनहित में आरटीआई लगाने वाले आरटीआई कार्यकर्तों को मनोबल बढ़ेगा।
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