Blog: आप सभी को जानकारी होगी कि दक्षिणी दिल्ली के घिटोरिनी इलाके में शनिवार को टैंक की सफाई करने के लिए उतरे चार मजदूरों की मौत हो गई. बताया जाता है कि मृतकों में तीन मजदूर और एक ठेकेदार है. मौत की वजह टैंक के अंदर चारों का दम घुटना बताई जा गई है. शुरुआती जांच में पता चला है कि टैंक के अंदर मजदूरों को सफाई करनी थी और अंदर से मोटर निकालनी थी. हिंदुस्तान टाइम्स के खबर कि माने तो दक्षिणी जिले के डीसीपी ईश्वर सिंह ने बताया कि सुबह 10:43 बजे सूचना मिली कि घिटोरिनी में मेहता फार्म के पास पांच लोग हार्वेस्टिंग टैंक में गिर गए हैं.
चार मजदूरों की मौत
मौके पर पहुंची पुलिस सभी को अस्पताल ले गई. इनमें तीन को फोर्टिस, एक को सफदरजंग और एक अन्य को एम्स ट्रामा सेंटर ले जाया गया. इनमें से चार लोगों को डॉक्टरों ने इलाज के दौरान मृत घोषित कर दिया. इनकी पहचान स्वर्ण सिंह, दीपू, अनिल, बलविंदर और बिल्लू के तौर पर हुई. डीसीपी ने बताया कि चारों मृतक छतरपुर पहाड़ी में अंबेडकर नगर कॉलोनी के रहने वाले थे. इनमें से स्वर्ण सिंह ठेकेदार थे, वहीं तीन अन्य मजदूर थे. वसंतकुंज साउथ थाने की पुलिस मामले की जांच कर रही है.
आज पुरे देश में स्वच्छ भारत अभियान का डंका बज रहा है. स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार द्वारा आरम्भ किया गया राष्ट्रीय स्तर का अभियान है जिसका उद्देश्य गलियों, सड़कों तथा अधोसंरचना को साफ-सुथरा करना है. यह अभियान महात्मा गाँधी के जन्मदिवस 02 अक्टूबर 2014 को आरम्भ किया गया. महात्मा गांधी ने अपने आसपास के लोगों को स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा प्रदान कर राष्ट्र को एक उत्कृष्ट संदेश दिया था. सरकार ने भी ऐसी नाम पर हम आप से 0.5 % सेस भी ले रही है. मगर किस लिए किसी ने जानने कि कोसिस की है? शायद नहीं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत अभियान के लिए केंद्र सरकार ने फंड जुटाने का रास्ता बना लिया है. यानी, जो सेवाएं पाने के लिए लोगों को टैक्स देना पड़ रहा है उनके लिए अब 0.5 प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स या उपकर भरना पड़ता है. इस उपकर से जुटाए गए धन को सरकार क्लीन इंडिया मिशन पर खर्च करेगी.
हर कोई कैमरा के सामने झाड़ू लेकर साफ जगह पर ही रगड़ रहा है, भले ही उसे पता नहीं होगा कि उसके अपने घर में झाड़ू कहाँ रखा है. असल स्वच्छता के सिपाही ये मजदूर ही है. ऐसे लोगो के मेरे तरफ से सलाम है. जो सचमुच है देश के हीरो है. डेंगू मलेरिया चिकनगुनिया से लड़ कर हमारी रक्षा करते हुए शहीद हो जाते है.
मगर बदले में इनको समाज में तृस्कार और नफरत के सिवा कुछ नहीं मिलता है जो दिन रात गंदगी से लड़ते है और पुरे देश को साफ रखते है. मगर कभी सरकार ने स्वच्छता के सच्चे सिपाही के लिविंग कंडीशन पर ध्यान दिया है. आज भी वे मात्रा 5 से 6 हजार मासिक में अपने परिवार का बिना परवाह किये ऐसे मौत के कुएं में उतर जाते है. मगर इनकी मौत पर शायद ही किसी के आँखों में पानी आये.
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