5 Private Employees Rights in India सबको पता होना चाहिए, जानें क्या?

अगर आप किसी कंपनी या संस्थान में प्राइवेट कर्मचारी के रूप में काम कर रहें हैं। ऐसे में संबंधित सरकार के द्वारा आपके भी कुछ अधिकार तय किये गए हैं। जिसके बारे में जानकारी नहीं होने से आप शोषण का शिकार हो सकते हैं। आज हम आप प्राइवेट कर्मचारियों के लिए 5 ऐसे ही क़ानूनी अधिकार (Private Employee Rights in India) की जानकारी लेकर आये हैं?

5 Private Employee Rights in India

प्राइवेट ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारियों को यूँ तो बहुत सारे अधिकार दिए गए हैं। जिसके बारे जानने के लिए हमारे पुराने पोस्ट Employees Rights in India को पढ़ सकते हैं। मगर अभी हम अपने से पोस्ट में आप प्राइवेट कर्मचारियों को यह 5 क़ानूनी अधिकार की चर्चा करेंगे। जिसकी जानकारी हर प्राइवेट कर्मचारियों को होना चाहिए। अगर आपको आपके क़ानूनी अधिकार की जानकारी होती है तो सुरक्षा का भाव होता है।

प्राइवेट कर्मचारी के अधिकार 5 #Best Right’s

आज हम आप देश के तमाम प्राइवेट कर्मचारियों के लिए कार्यस्थल पर आपके क़ानूनी अधिकारी की जानकारी देने जा रहे हैं। जिसके तहत आपको अपने निम्न अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए-

1. कंपनी के द्वारा अपॉइंटमेंट/एग्रीमेंट पेपर का अधिकार-

देश के हर कर्मचारी को नौकरी ज्वाइन करते समय नियुक्ति पत्र (Appointment Letter) प्राप्त करने का अधिकार है। कर्मचारी का अपॉइंटमेंट लेटर/एग्रीमेंट पेपर में ही उसके नौकरी से सम्बंधित सेवा शर्त, सैलरी, परमोशन, ट्रांसफर, इस्तीफा आदि के नियम लिखा होता है। जिसको कर्मचारी नौकरी ज्वाइन करते समय सिग्न करता है। जिसका एक कॉपी कर्मचारी को पाने का अधिकार है।

2. उचित काम के घंटे और ओवरटाइम का अधिकार-

सभी कमचारियों के साथ प्राइवेट कर्मचारी को भी कार्यस्थल पर बुनियादी सुविधाओं के साथ काम के घंटे निर्धारित हैं। श्रमिकों और गैर-कर्मचारियों के काम के घंटे के अधिकारों की रक्षा फैक्ट्री अधिनियम और दुकान और स्थापना अधिनियम (राज्यवार) करता है। एक वयस्क श्रमिक/प्राइवेट कर्मचारी को प्रति दिन 9 घंटा या प्रति सप्ताह 48 घंटा तक से काम कराया जा सकता है। जिसके आलावा घंटे काम का ओवरटाइम नियमित वेतन से दोगुना वेतन का प्रावधान है।

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एक महिला कर्मचारी को सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक काम करवाया जा सकता है। जिसके बाद स्पष्ट अनुमति और ओवरटाइम और सुरक्षित परिवहन सुविधा के भुगतान पर ही इसमें रात 9.30 बजे तक की छूट दी जा सकती है। जिसमें साप्ताहिक अवकाश के अलावा, आधे घंटे का ब्रेक और किसी भी दिन 12 घंटे से अधिक काम करना अनिवार्य नहीं है।

3. पीएफ खाते का अधिकार

सभी तरह के कर्मचारियों के तरफ प्राइवेट कर्मचारियों को भी पीएफ खाते का अधिकार है। अगर आप किसी ऐसे कंपनी या संस्थान में काम करते हैं तो आपके एम्प्लायर खुद को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के पास खुद रजिस्टर्ड होगा। जिसके बाद आपका पीएफ खाता खुलवायेगा। जिसके तहत आप कर्मचारियों के सैलरी (Basic+DA) का 12 फीसदी और खुद भी उतना ही यानी 12 फीसदी आपके पीएफ खाते में जमा करेगा। जो पीएफ आपके खाते में डबल हो जायेगा।

ईपीएफ को ही शार्ट में हम पीएफ कहते हैं। ईपीएफ का फुल फॉर्म एम्प्लॉयी प्रॉविडेंट फंड (Employee Provident Fund) होता है। जो कि एक लांग टर्म रिटारमेंट स्कीम है। जिसके तहत कर्मचारियौं को 10 साल की सेवा पूरी करने पर रिटारमेंट के समय पेंशन की भी सुविधा दी जाती है।

पीएफ मेंबर्स को EPFO के तरफ से एक EDLI Scheme की सुविधा भी दी जाती है। जिसकी जानकारी आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। आपको बता दें कि अगर नौकरी के दौरान किसी पीएफ Active मेंबर्स कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है। ऐसे में EPFO विभाग के EDLI स्कीम के तहत 2.5 लाख रूपये से लेकर अधिकतम राशि है 7 लाख रूपये तक की राशि कर्मचारी के परिवार जनों को मिल सकता है।

4. ESIC का अधिकार 

अगर आप एक प्राइवेट कर्मचारी है तो हम तो कहेंगे कि जिस एक वरदान स्वरूप है। ESIC स्कीम – कर्मचारी राज्य बीमा योजना के तहत श्रम व् रोजगार मंत्रालय लाखों कर्मचारियों को पेंशन और मुफ्त ईलाज की सुविधा प्रधान करता है। अब आप आप जरूर जानना चाहेंगे कि ESIC स्कीम क्या है?

जिस कंपनी या संस्थानों में 10 या 10 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं।  ऐसे में उस कंपनी यानि नियोक्ता को इस ESIC स्कीम के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। जिसके बाद आपको कंपनी के द्वारा ESIC का Temporary Card दिया जाता है। जिसको लेकर आप पुरे परिवार अपने जिस अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा की लाभ उठा सकते हैं।

आपको अपने Temporary Card को ESIC कार्यालय जानकर परमानेंट कार्ड बनाना होता है। ESIC Scheme के साथ आपको मुफ्त ईलाज के साथ अन्य निम्न सुविधायें मिलती है-

  1. बीमारी हित लाभ – MEDICAL BENIFITS
  2. अपंगता हितलाभ – DISABLEMENT BENEFIT
  3. आश्रितजन हितलाभ – DEPENDANTS’ BENEFIT
  4. मातृत्व हितलाभ – MATERNITY BENEFIT
  5. चिकित्सा हितलाभ – SICKNESS BENEFIT
  6. बेरोजगारी हितलाभ – UN-EMPLOYMENT ALLOWANCE

5 Private Employees Rights in India सबको पता होना चाहिए, जानें क्या?

5. Gratuity का अधिकार 

अगर आप किसी कंपनी में 5 साल तक काम करते हैं तो आपको के तहत ग्रेच्युटी का हकदार माना जाता है। ग्रेच्‍युटी वो रकम है जो कंपनी के तरफ से कर्मचारी को नौकरी छोड़ते समय रिवार्ड के रूप में दिया जाता है। अगर आप इसको साधारण तौर पर समझना चाहें तो ग्रेच्‍युटी कर्मचारियों के लिए लम्बे समय तक काम करने का ईनाम कह सकते हैं।

सरकारी कर्मचारियों के साथी प्राइवेट कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी वह लाभकारी योजना है, जो उनको रिटारमेंट, नौकरी छोड़ने या खत्म हो जाने पर नियोक्ता के द्वारा दिया जाता है। आमतौर पर 5 साल की सेवाओं को पूरा करने पर कर्मचारी ग्रेच्युटी का हक़दार बन जाता है. ऐसे में अगर आप 1-2 साल पर नौकरी बढ़लेंगे तो आप ग्रेच्युटी से वंचित हो जायेंगे। मगर ध्यान रहे उस कंपनी में कम से कम 10 या उससे अधिक कर्मचारी काम करने चाहिए।

हाल ही में मोदी सरकार ने ऐलान किया है कि अब 1 साल पूरी करने के बाद भी कमचारियों को ग्रेच्युटी देने का प्रावधान लाने जा रही है. हालांकि, अभी ऐसा कानून बना नहीं है मगर हमारे ख्याल से यह कर्मचारियों के हित में नहीं होगा।

अगर आप अपने ग्रेच्युटी कैलकुलेट करना चाहते हैं तो यह बहुत ही आसान है। आपके नौकरी छोड़ते समय आपके अंतिम माह के बेसिक वेतन+ मंहगाई भत्ता को जोड़कर फिर 15 से गुणा किया जाता है। जिसमें आपको अपनी कुल सेवा वर्ष से गुणा कर कुल को 26 से भाग दिया जाता है। अब जो रकम निकल कर आई है वही आपका ग्रेच्युटी हुआ।

ग्रेच्युटी= [(अंतिम माह का बेसिक वेतन + महंगाई भत्ता) x 15 x सेवा में दिए गए साल] / 26

अब आप पूछेंगे कि हमें हमारी कंपनी से ग्रेच्युटी कैसे मिलेगी? आपको इसके लिए अपनी कंपनी के पास ग्रेच्युटी क्लेम करना होगा। जिसके बाद आपको कंपनी के द्वारा 30 दिनों के अंदर ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया जाता तो आप सम्बंधित प्राधिकार के पास शिकायत कर सकते हैं।

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